US China Trade War – दुनिया की दो महाशक्तियों के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर है। अमेरिका और चीन के बीच जारी ‘टैरिफ वॉर’ (Tariff War) के बीच एक नया और गंभीर मामला सामने आया है। अमेरिका द्वारा ताइवान (Taiwan) को 11.1 बिलियन डॉलर (करीब 93 हजार करोड़ रुपये) के हथियारों का पैकेज देने के फैसले से चीन बुरी तरह भड़क गया है। इसके जवाब में चीन ने अमेरिका की 20 बड़ी डिफेंस कंपनियों पर प्रतिबंध (Sanctions) लगा दिए हैं। यह कदम शी जिनपिंग (Xi Jinping) और डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के बीच तनाव को एक नए स्तर पर ले जा सकता है, जिसे विशेषज्ञ ‘अनौपचारिक युद्ध’ की शुरुआत मान रहे हैं।
चीन ने क्यों लिया इतना कड़ा फैसला?
यह विवाद तब शुरू हुआ जब ट्रंप प्रशासन ने ताइवान को अब तक के सबसे बड़े हथियार पैकेज को मंजूरी दी। चीन, ताइवान को अपना अभिन्न अंग मानता है और वहां किसी भी विदेशी हस्तक्षेप का सख्त विरोधी है। चीनी विदेश मंत्रालय ने इस कदम को अपनी संप्रभुता (Sovereignty) और सुरक्षा हितों पर हमला बताया है। बीजिंग का कहना है कि ताइवान का मुद्दा चीन-अमेरिका संबंधों में एक ‘रेड लाइन’ है, जिसे पार करने की कोशिश का करारा जवाब दिया जाएगा।
इन कंपनियों पर गिरी गाज, संपत्तियां होंगी फ्रीज
चीन ने जिन 20 अमेरिकी कंपनियों पर बैन लगाया है, उनमें ‘नॉर्थ्रॉप ग्रम्मन सिस्टम्स कॉर्पोरेशन’ (Northrop Grumman Systems Corporation) और ‘L3Harris मैरिटाइम सर्विसेज’ जैसी दिग्गज डिफेंस फर्म शामिल हैं। इसके अलावा, डिफेंस फर्म ‘Anduril Industries’ के फाउंडर समेत 10 वरिष्ठ अधिकारियों पर भी प्रतिबंध लगाए गए हैं। चीन ने साफ कर दिया है कि इन कंपनियों और व्यक्तियों की चीन में मौजूद सभी संपत्तियों को फ्रीज कर दिया जाएगा और उन्हें चीन में किसी भी तरह के व्यापार या प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।
विश्लेषण: महाशक्तियों की भिड़ंत, दुनिया पर असर (Expert Analysis)
यह घटनाक्रम सिर्फ अमेरिका और चीन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके ग्लोबल मायने हैं। अमेरिका अपनी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत ताइवान को मजबूत कर रहा है, तो वहीं चीन इसे अपनी संप्रभुता के लिए खतरा मानता है। 20 डिफेंस कंपनियों पर बैन लगाना चीन का एक रणनीतिक कदम है, जो दर्शाता है कि वह आर्थिक नुकसान सहने को तैयार है लेकिन अपनी ‘वन चाइना पॉलिसी’ (One China Policy) से समझौता नहीं करेगा। यह तनाव वैश्विक सप्लाई चेन और डिफेंस सेक्टर को प्रभावित कर सकता है। देखना होगा कि ‘टैरिफ किंग’ ट्रंप अब इस पर क्या पलटवार करते हैं।
जानें पूरा मामला (Background)
ताइवान और चीन के बीच संघर्ष दशकों पुराना है। चीन दावा करता है कि ताइवान उसका हिस्सा है और जरूरत पड़ने पर वह बल प्रयोग से इसे वापस ले सकता है। वहीं, अमेरिका ताइवान संबंध अधिनियम (Taiwan Relations Act) के तहत ताइवान को अपनी रक्षा के लिए हथियार मुहैया कराने के लिए बाध्य है। हाल ही में ट्रंप प्रशासन द्वारा 11.1 बिलियन डॉलर के हथियारों की मंजूरी ने आग में घी का काम किया है।
मुख्य बातें (Key Points)
-
China ने अमेरिका की 20 डिफेंस कंपनियों पर कड़े प्रतिबंध लगाए।
-
यह कार्रवाई अमेरिका द्वारा Taiwan को 11.1 बिलियन डॉलर के हथियार देने के विरोध में की गई।
-
प्रतिबंधित कंपनियों की संपत्तियां फ्रीज होंगी और अधिकारियों के प्रवेश पर Ban लगेगा।
-
चीन ने इसे अपनी ‘संप्रभुता और सुरक्षा’ के खिलाफ बताया और US को चेतावनी दी।
-
यह कदम Donald Trump और शी जिनपिंग के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है।






