China Bans Japanese Seafood: एशियाई राजनीति में एक नए तनाव ने भारतीय बाजार के लिए सुनहरे अवसर के दरवाजे खोल दिए हैं। चीन ने अचानक जापानी समुद्री खाद्य पदार्थों (Sea Food) पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस एक फैसले ने जहां जापान को आर्थिक झटका दिया है, वहीं भारतीय सीफूड एक्सपोर्टर्स की चांदी कर दी है।
यह खबर भारत के लिए इसलिए भी बेहद खास है, क्योंकि भारतीय सीफूड सेक्टर पिछले कुछ समय से अमेरिका के भारी टैरिफ (50% तक) का दबाव झेल रहा था। अब चीन के बाजार का खुलना भारतीय निर्यातकों के लिए किसी ‘संजीवनी’ से कम नहीं है।
‘शेयर बाजार में दिखी तेजी’
चीन के इस फैसले का सीधा असर भारतीय शेयर बाजार पर देखने को मिला है। सीफूड से जुड़ी भारतीय कंपनियों के शेयरों में जबरदस्त उछाल आया है। तेलंगाना स्थित ‘अवंती फीड्स’ (Avanti Feeds) के शेयरों में लगभग 10% की तेजी दर्ज की गई, जो पिछले दो महीनों में एक दिन की सबसे बड़ी बढ़त है।
इसी तरह, ‘कोस्टल कॉरपोरेशन’ (Coastal Corporation) के शेयरों में भी 5% की बढ़ोतरी हुई है। ये कंपनियां अमेरिका में टैरिफ बढ़ने के बाद नए बाजारों की तलाश में थीं और चीन का यह कदम उनके लिए एक बड़े और नए विकल्प के रूप में सामने आया है।
‘क्यों लगा जापान पर बैन’
इस पूरे विवाद की जड़ में जापान की एक राजनेता का बयान और ताइवान का मुद्दा है। दरअसल, जापानी नेता साने तकाईची ने 7 नवंबर को एक बयान दिया था कि अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया, तो जापान उसकी मदद के लिए अपनी सेना भेजेगा। चीन ने इस बयान को बेहद गैर-जिम्मेदार और उकसाने वाला करार दिया।
इस तल्खी के बाद चीन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए जापानी सीफूड के आयात पर रोक लगा दी। इसके अलावा, दो जापानी फिल्मों की रिलीज रोक दी गई और जापानी पर्यटन को लेकर भी सख्त एडवाइजरी जारी कर दी गई। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि यह प्रतिबंध फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट से समुद्र में छोड़े गए पानी की वजह से लगाया गया है, लेकिन हालिया कूटनीतिक तनाव को इसका मुख्य कारण माना जा रहा है।
‘जापान को झटका, भारत को मौका’
जापान के लिए चीन का बाजार बंद होना एक बड़ा आर्थिक झटका है। जापान अपने कुल सीफूड निर्यात का करीब 20 से 25 प्रतिशत हिस्सा अकेले चीन को भेजता था। हाल ही में दो साल के अंतराल के बाद जापान ने चीन को दोबारा निर्यात शुरू किया था, जिसे अब फिर से रोक दिया गया है।
दूसरी तरफ, भारत के लिए यह स्थिति बेहद फायदेमंद साबित हो रही है। अमेरिका अभी भी भारतीय सीफूड का सबसे बड़ा खरीदार है, लेकिन वहां 50% टैरिफ के कारण अक्टूबर महीने में निर्यात में 9% की गिरावट आई थी। ऐसे में चीन के बाजार में अचानक आई सीफूड की कमी को पूरा करने के लिए भारत एक मजबूत विकल्प बनकर उभरा है।
‘जापान ने जारी की एडवाइजरी’
चीन और जापान के बीच बढ़ते तनाव का असर आम नागरिकों की सुरक्षा पर भी पड़ रहा है। जापानी कैबिनेट सचिव मीनारू किहारा ने बताया कि चीनी मीडिया में जापान के खिलाफ बने माहौल को देखते हुए चीन में रहने वाले जापानी नागरिकों के लिए सुरक्षा अलर्ट जारी किया गया है।
इस एडवाइजरी में जापानी नागरिकों को भीड़भाड़ वाली जगहों से बचने, अकेले यात्रा न करने और बच्चों के साथ बाहर निकलते समय विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। साथ ही, किसी भी संदिग्ध व्यक्ति या समूह से तुरंत दूर रहने को कहा गया है।
‘जानें पूरा मामला’
यह पूरा विवाद भू-राजनीतिक (Geopolitical) तनाव और व्यापार युद्ध का मिश्रण है। चीन ताइवान को अपना अभिन्न हिस्सा मानता है, जबकि जापान और अमेरिका ताइवान की यथास्थिति में किसी भी जबरन बदलाव के खिलाफ हैं। ताइवान जापान से महज 110 किलोमीटर दूर है और उसके आसपास का समुद्री क्षेत्र जापान के व्यापार के लिए जीवनरेखा समान है। यही कारण है कि ताइवान को लेकर जापान की संवेदनशीलता चीन को नागवार गुजरी है, जिसका नतीजा अब व्यापारिक प्रतिबंधों के रूप में सामने आ रहा है, जिससे परोक्ष रूप से भारत को आर्थिक लाभ मिल रहा है।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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चीन ने जापानी सीफूड पर प्रतिबंध लगाया, जिससे भारतीय निर्यातकों के लिए नए अवसर खुले।
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अवंती फीड्स और कोस्टल कॉरपोरेशन जैसी भारतीय कंपनियों के शेयरों में भारी उछाल आया।
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विवाद का कारण जापानी नेता का ताइवान पर दिया गया बयान और फुकुशिमा प्लांट का मुद्दा बताया जा रहा है।
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जापान ने चीन में रह रहे अपने नागरिकों के लिए सुरक्षा अलर्ट जारी किया है।






