Child Healthcare बच्चों की बेहतर सेहत और मजबूत शारीरिक विकास के लिए दूध को सबसे उत्तम आहार माना जाता है, लेकिन अक्सर अनजाने में माता-पिता कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जो फायदे की जगह नुकसान पहुंचा देती हैं। विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि बच्चों को दूध देते समय उसमें पानी और चीनी का इस्तेमाल उनकी सेहत के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।
ज्यादातर घरों में बच्चों के दूध को मीठा बनाने के लिए चीनी डाली जाती है, लेकिन यह आदत बच्चों में कब्ज (Constipation) और पेट से जुड़ी समस्याओं का मुख्य कारण बनती है। डॉक्टरों के अनुसार, 6 महीने तक के बच्चों के लिए केवल मां का दूध ही अनिवार्य है। इसके बाद उन्हें दाल, दलिया और खिचड़ी जैसे घर के बने ठोस आहार की आदत डालनी चाहिए। अगर एक साल तक के बच्चे को सिर्फ दूध पर ही रखा जाता है, तो उसके शरीर में खून की भारी कमी हो सकती है।
कमजोर इम्यूनिटी और संक्रमण का खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि जो बच्चे केवल दूध पर निर्भर रहते हैं, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) कमजोर होने लगती है। इसके परिणामस्वरूप उन्हें बार-बार वायरल संक्रमण और एलर्जी की समस्याएं घेर लेती हैं। शरीर को पर्याप्त पोषक तत्व न मिलने के कारण विकास की गति भी धीमी पड़ जाती है।
तेज बुखार में बरतें ये सावधानी
वीडियो में यह भी बताया गया है कि यदि बच्चे को तेज बुखार आता है, तो तुरंत उसके कपड़े उतार देने चाहिए और पूरे शरीर पर सादे पानी की पट्टियां रखनी चाहिए। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि बुखार 102 फारेनहाइट से ऊपर न जाए, क्योंकि इससे बच्चे को दौरे पड़ने का जोखिम रहता है।
6 महीने के बाद कैसा हो खान-पान
6 महीने की उम्र पार करने के बाद बच्चों को ऐसा भोजन दें जिसे वे बिना चबाए आसानी से निगल सकें। इसमें दाल का पानी, मैश किया हुआ केला, दलिया और खिचड़ी सबसे बेहतर विकल्प हैं। अक्सर लोग दूध में पानी मिलाकर बच्चे का पेट तो भर देते हैं, लेकिन इससे उनके शरीर को जरूरी पोषण नहीं मिल पाता। हमेशा याद रखें कि पहले बच्चे को ठोस आहार खिलाएं और जब उसका पेट भर जाए, तब बिना चीनी और बिना पानी वाला शुद्ध दूध पिलाएं।
एलर्जी और चर्म रोग से बचाव
बदलते मौसम में धूल, मिट्टी और प्रदूषण से बच्चों को एलर्जी हो सकती है। ऐसे में उन्हें बाहर जाते समय मास्क पहनाना और गुनगुना पानी पिलाना फायदेमंद रहता है। सर्दियों में बच्चों को बहुत ज्यादा गर्म कपड़े पहनाने से पसीना आता है, जिससे त्वचा संबंधी रोग (Skin Diseases) हो सकते हैं। इसलिए शरीर की साफ-सफाई और रोजाना स्नान कराना आवश्यक है।
डॉक्टरी सलाह है अनिवार्य
फास्ट फूड का सेवन और संक्रमण मुंह में छालों का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा, खून की कमी या लंबी बीमारी के कारण बच्चों में ईएसआर (ESR) का स्तर बढ़ सकता है। ऐसी स्थिति में खुद से दवा देने के बजाय तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए ताकि सही कारण का पता लगाकर समय पर इलाज शुरू किया जा सके।
जानें पूरा मामला
यह जानकारी बाल रोग विशेषज्ञों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुभवों पर आधारित है, जिसका उद्देश्य माता-पिता को बच्चों के पालन-पोषण और उनके खान-पान की सही आदतों के प्रति जागरूक करना है। छोटी-छोटी सावधानियां बच्चों को निमोनिया, एनीमिया और गंभीर संक्रमण जैसी बीमारियों से बचा सकती हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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दूध में चीनी मिलाने से बच्चों को कब्ज और पेट की समस्या होती है।
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6 महीने के बाद दाल, दलिया और खिचड़ी जैसे ठोस आहार देना शुरू करें।
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केवल दूध पिलाने से बच्चों में खून की कमी और कमजोरी हो सकती है।
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तेज बुखार होने पर सादे पानी की पट्टियां रखें ताकि दौरे न पड़ें।






