नई दिल्ली, 24 मार्च (The News Air) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट का नाम ‘शिव शक्ति’ रखने की घोषणा की थी। इस ऐलान के करीब सात महीने बाद, इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन (IAU) ने 19 मार्च को इस नाम को मंजूरी दे दी। गजेटियर ऑफ प्लैनेटरी नोमेनक्लेचर के अनुसार, IAU वर्किंग ग्रुप फॉर प्लैनेटरी सिस्टम नोमेनक्लेचर ने चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर के लैंडिंग स्थल के लिए ‘शिव शक्ति’ नाम को मंजूरी दे दी है।
पीएम मोदी ने दिया ‘शिव शक्ति’ नाम : 23 अगस्त, 2023 को विक्रम लैंडर की चंद्रमा पर ऐतिहासिक लैंडिंग के तीन दिन बाद पीएम मोदी ने बेंगलुरु में इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (Istrac) में ‘शिव शक्ति’ नाम का ऐलान किया था। प्रधानमंत्री ने कहा था कि शिव में मानवता के कल्याण का संकल्प है और शक्ति हमें उन संकल्पों को पूरा करने की ताकत देती है। चंद्रमा का यह शिव शक्ति प्वाइंट हिमालय से कन्याकुमारी तक जुड़ाव का एहसास कराता है।
चांद पर लैंडिंग साइट का नामकरण : चंद्रयान-3 विक्रम लैंडर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास एक जगह पर मार्कर के रूप में काम करना शुरू किया। गजेटियर ऑफ प्लैनेटरी नोमेनक्लेचर की घोषणा के अनुसार, नाम की उत्पत्ति को इस प्रकार परिभाषित किया गया है। भारतीय पौराणिक कथाओं से लिया गया शब्द जो प्रकृति के पुल्लिंग ‘शिव’ और स्त्रीलिंग ‘शक्ति’ को दर्शाता है। चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर का लैंडिंग स्थल अब ‘शिव शक्ति’ नाम से जाना जाएगा।
चंद्रयान-2 की लैडिंग प्वाइंट को मिला ‘तिरंगा’ नाम : चंद्रयान-3 की सॉफ्ट-लैंडिंग से पंद्रह साल पहले, भारत के चंद्रयान-1 ने मून इम्पैक्ट की जांच (MIP) ने 14 नवंबर, 2008 को चंद्रमा की सतह पर असर डाला था। इस प्रभाव स्थल को ‘जवाहर पॉइंट’ या ‘जवाहर स्थल’ कहा जाता था। इसे अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) की ओर से नोटिफाई किया गया था। शिव शक्ति के अलावा, पीएम मोदी ने उस दिन यह भी घोषणा की थी कि जिस प्वाइंट पर चंद्रयान-2 ने अपने पैरों के निशान छोड़े थे, उसे ‘तिरंगा’ कहा जाएगा। उन्होंने कहा था कि यह भारत की ओर से किए जाने वाले हर प्रयास के लिए एक प्रेरणा के रूप में काम करेगा और यह याद दिलाएगा कि असफलता अंत नहीं है।
‘टचडाउन मूमेंट’ को इस सदी के सबसे प्रेरक क्षणों में से एक बताते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पूरी दुनिया भारत की साइंटफिक स्पिरिट, प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक स्वभाव की ताकत को देख रही है और स्वीकार कर रही है। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा था कि प्रधानमंत्री इस ऐतिहासिक घटना को लेकर भावुक थे और हम सभी दो साइट्स के नामकरण को जानकर बेहद खुश हैं।