नई दिल्ली, 24 अगस्त (The News Air)
केंद्र सरकार आर्थिक मंदी को दूर करने के लिए रेल, सड़क, एयरपोर्ट, गैस पाइपलाइन, स्टेडियम, बिजली, गोदाम को निजी क्षेत्रों के बड़े खिलाड़ियों को कुछ समय के लिए किराये पर देगी और बदले में उनसे मोटी रक़म वसूल करेगी। केंद्र सरकार के अनुसार इस पूरी प्रक्रिया में इन प्रोजेक्ट का स्वामित्व निजी कंपनियों को हस्तांतरित नहीं होगा। कुछ सालों के बाद इन प्रोजेक्ट के संचालन की ज़िम्मेदारी केंद्र सरकार फिर अपने हाथों में ले लेगी। फ़िलहाल ये समय कितना लंबा होगा, इसकी जानकारी केंद्र और निजी कंपनियों के बीच होने वाले समझौते के बाद ही मिलेगी। यह सारा काम एसेट मोनेटाइजेशन के तहत होगा।
एसेट मोनेटाइजेशन क्या है? –संपत्ति मौद्रिकरण का अर्थ सरकारी क्षेत्र की उन संपत्तियों से आय के नए साधनों के रास्ते खोजना है, जिनका अबतक पूरा दोहन नहीं किया गया है। चूंकि सरकार पूंजी की क़िल्लत से जूझ रही है इसलिए सरकार चाहती है कि निजी कंपनियां पैसे लगाए। इससे सालों से बेकार पड़े सरकारी संसाधनों का समुचित उपयोग तो होगा ही और साथ ही सरकार को भी फ़ायदा होगा। केंद्र सरकार ने एसेट मोनेटाइजेशन के लिए नीति आयोग को एक रिपोर्ट तैयार करने को कहा था। नीति आयोग ने बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर वाले मंत्रालयों के साथ सलाह करके उन संपत्तियों की सूची तैयार की है, जहां एसेट मोनेटाइजेशन की संभावना है।
इन सेक्टरों में रेलवे, सड़क परिवहन और हाईवे, जहाजरानी, टेलीकॉम, बिजली, नागरिक उड्डयन, पेट्रोलियम और नैचुरल गैस, युवा मामले और खेल आदि।
कहां से आएगा कितना पैसा-रेलवे- सरकार के एसेट मोनेटाइजेशन में रेलवे और राजमार्गों का बड़ा रोल रहने वाला है। सरकार रेल सेक्टर से स्टेशन, ट्रैक, पैसेंजर ट्रेन, कोंकण रेलवे को मोनेटाइज करने वाली है। इससे चार साल में सरकार को 1.52 लाख करोड़ रुपए मिलेंगे। सरकार अगले चार साल में 400 रेलवे स्टेशन, 90 पैसेंजर ट्रेन, 1400 किलोमीटर रेलवे ट्रैक, 741 किलोमीटर का कोंकण रेलवे, 15 रेलवे स्टेडियम, रेलवे के 265 गोदामों को किराए पर देगी।
सड़क- केंद्र की तिजोरी सबसे ज़्यादा सड़कों के मोनेटाइजेशन से भरेगी। अगले चार साल में सड़कों के मोनेटाइजेशन से केंद्र को 1.60 लाख करोड़ मिलेंगे। इसके लिए केंद्र 26,700 किलोमीटर की मौजूदा सड़क और नई बनने वाली सड़कों को मोनेटाइज करेगी।
बिजली- केंद्र सरकार 28,608 सर्किट किलोमीटर पावर ट्रांसमिशन को मोनेटाइज कर रही है। इससे सरकार को लगभग 45,200 करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा, जबकि 6 गीगावाट बिजली उत्पादन करने वाली संपत्तियों के मोनेटाइजेशन से सरकार को 39,832 करोड़ राजस्व की प्राप्ति होगी.
टेलिकॉम सेक्टर- देश की सरकार 2.86 किलोमीटर के भारत नेट फाइबर को मोनेटाइज करने जा रही है। जबकि बीएसएनएल और एमटीएनएल के 14917 टावरों को सरकार निजी कंपनियों को देगी। सरकार को इससे 35100 करोड़ रुपये मिलेंगे।
कोयला खदान और गोदाम- पीटीआई के अनुसार अगले चार सालों में गोदाम और कोयला खदान के मौद्रिकरण से यानी कि निजी कंपनियों को देने से सरकार को 29000 करोड़ रुपये मिलेंगे।
गैस पाइपलाइन- सरकार 8154 किलोमीटर नैचुरल गैस पाइपलाइन को निजी कंपनियों को देने वाली है। इससे सरकार को 24 हज़ार 462 करोड़ रुपये की आय होगी और 3930 किलोमीटर प्रोडक्ट पाइपलाइन के मोनेटाइजेशन से सरकार को 22,504 करोड़ रुपये मिलेंगे।
एयरपोर्ट- सरकार एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया के 25 हवाई अड्डों को निजी कंपनियों को देने जा रही है। इनमें से चेन्नई, भोपाल, वाराणसी और वड़ोदरा शामिल हैं। इससे सरकार को 20782 रुपये मिलने वाले हैं. जबकि बंदरगाहों के मोद्रिकरण से सरकार को 12828 करोड़ रुपये मिलेंगे।
स्टेडियम- केंद्र सरकार दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम, बेंगलुरु और जीरकपुर स्थित स्टेडियम को भी निजी हाथों में सौंपने जा रही है। इससे सरकार को 11450 करोड़ रुपये मिलेंगे।
आवासीय कॉलोनियां- सरकार दिल्ली की सात कॉलोनियां का रिडेवलपमेंट करेगी, इनमें से सरोजनी नगर, नरौजी नगर शामिल हैं। इसके अलावा दिल्ली के घिटोरनी में सरकार 240 एकड़ ज़मीन पर आवासीय और व्यावसायिक घरों का निर्माण करेगी. इससे सरकार को 15000 करोड़ रुपये की आय होगी।
अब बारिश के पानी पर देना होगा टैक्स! क्या है Rain Tax?
देश में इनकम टैक्स, हाउस टैक्स, टोल समेत कई ऐसे टैक्स हैं जो आम व्यक्ति की जेब पर एक बोझ...