- गर्मियों के मौसम के दौरान राज्य में बिजली की कोई कमी नहीं होगी-मुख्य मंत्री
- दिल्ली में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के साथ मुलाकात कर मुख्यमंत्री ने शर्त हटाने पर आर.के. सिंह का किया धन्यवाद
- मुलाकात में मध्य प्रदेश से सौर ऊर्जा की पूर्ति और पछवाड़ा कोयला खान की क्षमता बढ़ाने पर भी हुई बातचीत
नई दिल्ली, चंडीगढ़, 27 फरवरी (The News Air): मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की कोशिशों के कारण केंद्र सरकार महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एम.सी.एल.) से कोयले की सप्लाई तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (टी.एस.पी.एल.) को करने के समय पर लगाई गई अनिवार्य शर्त रेल-समुद्र-रेल (आर.एस.आर.) में छूट देने के लिए सहमत हो गई है।
यहाँ आज केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के साथ मुलाकात के लिए पहुँचे मुख्यमंत्री ने कोयला सप्लाई के लिए अनिवार्य आर.एस.आर की शर्त में छूट देने के लिए उनका धन्यवाद किया। भगवंत मान ने 9 दिसंबर 2022 को ऊर्जा मंत्री के साथ हुई मीटिंग के दौरान यह मुद्दा उठाया था और इस सम्बन्धी पत्र भी लिखा था। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री ने अवगत करवाया कि जहाँ तक कोयले की ढुलाई का सम्बन्ध है, भारत सरकार ने कोई रूट या बंदरगाह तय नहीं किया और ढुलाई की समूची जि़म्मेदारी राज्यों/उत्पादकों से सम्बन्धित है। उन्होंने कहा कि एम.सी.एल. से पंजाब को अतिरिक्त कोयला आवंटित हो सकता है और अगर पंजाब किसी अन्य तरीके से ढुलाई करना चाहता है तो उसे ऐसा करने की इजाज़त होगी।
एक अन्य मसला उठाते हुए मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री आर.के. सिंह से अपील की कि पछवाड़ा खान से कोयला, केस-2 इंडिपैंडेंट पावर प्रोड्यूसजऱ् (आई.पी.पीज़) को स्थानांतरित करने की मंजूरी दी जाए। उन्होंने कहा कि राज्य को आवंटित पछवाड़ा (सैंट्रल) हुई कोयला खान का कोयला केस-2 इंडिपैंडेंट पावर प्रोड्यूसरों (आई.पी.पीज़) को स्थानांतरित करने का मामला इस समय कोयला मंत्री के पास लम्बित है। भगवंत मान ने कहा कि ऊर्जा मंत्रालय ने पहले ही यह केस अपनी सकारात्मक टिप्पणी के साथ कोयला मंत्रालय को भेज दिया और कोयला मंत्रालय ने कानूनी पक्षों की जाँच-पड़ताल के लिए यह केस कानून मंत्रालय को भेजा है। उन्होंने इस मामले के जल्द निपटारे के लिए केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के दख़ल की माँग की।
मुख्यमंत्री ने आर.के. सिंह से अपील की कि वह सोलर एनर्जी कोर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एस.ई.सी.आई.) को राज्य के लिए तीन हज़ार मैगावॉट बिजली निरंतर तौर पर नवीकरणीय ऊर्जा माध्यम (आर.ई.-आर.टी.सी.) से खरीदने के लिए कहा जाए। उन्होंने कहा कि पी.एस.पी.सी.एल. ने अगस्त 2022 में एस.ई.सी.आई. को तीन हज़ार मैगावॉट आर.ई.-आर.टी.सी. बिजली लेने की सैद्धांतिक मंजूरी संबंधी बता दिया था। भगवंत मान ने कहा कि पंजाब और मध्य प्रदेश की बिजली माँग में एक-दूसरे के पूरक हैं और एस.ई.सी.आई. इस साझे प्रस्ताव पर काम कर रही है।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि बोली के लिए किसी एकरूप दस्तावेज़ को अंतिम रूप न मिलने के कारण एस.ई.सी.आई. इस सम्बन्धी आगे कोई कार्यवाही करने के योग्य नहीं है। भगवंत मान ने कहा कि इस कारण यह मसला लटक रहा है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री को दख़ल देने की विनती की, जिससे मंत्रालय इस मुद्दे को जल्द ही अंतिम रूप दे सके और एस.ई.सी.आई. राज्य के लिए आर.ई.-आर.टी.सी. बिजली की खऱीद के लिए कदम उठा सकेगा।
कोयला आधारित सैंट्रल सैक्टर जैनरेटिंग स्टेशन्ज़ (सी.जी.एस.) से बिजली पी.एस.पी.सी.एल. को देने की माँग उठाते हुए मुख्यमंत्री ने आर.के. सिंह को बताया कि पंजाब में सर्दियों में बारिश न होने के कारण जनवरी से बिजली की माँग तेज़ी से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में कटाई सीजन के दौरान भी बिजली की माँग में तेज़ी का रुझान जारी रहने की संभावना है। भगवंत मान ने कहा कि पंजाब ने पिछले धान के सीजन के दौरान बिजली की सबसे अधिक माँग 14,300 मैगावॉट पूरी की थी और ऊर्जा मंत्रालय ने केंद्रीय क्षेत्र के जेनरेशन स्टेशनों से जून से सितम्बर 2022 के दौरान पंजाब के लिए पहले से निर्धारित न होने के बावजूद अतिरिक्त बिजली देने की मंजूरी दी थी। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार का कर्तव्य बनता है कि आगामी गर्मी और धान के सीजन के दौरान बिजली की कोई कमी ना आए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस साल राज्य में बिजली की माँग 15,500 मैगावॉट तक पहुँचने की संभावना है। इसलिए 15000 मैगावॉट से अधिक माँग की पूर्ति के लिए धान के लिए अतिरिक्त बिजली की ज़रूरत पड़ेगी, जिसके लिए राज्य को केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के सहयोग की ज़रूरत है, जिससे पहले से निर्धारित न होने के बावजूद अतिरिक्त बिजली मिले। भगवंत मान ने इस सम्बन्धी केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के दख़ल की माँग की, क्योंकि पी.सी.पी.एल. के सी.एम.डी पहले ही ऊर्जा मंत्रालय के सचिव को पंजाब के लिए केंद्रीय क्षेत्र के प्लांटों से अतिरिक्त बिजली देने की माँग कर चुके हैं।