Justice Yashwant Varma Impeachment Process : मार्च 2025 में दिल्ली (Delhi) स्थित जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Varma) के सरकारी आवास में आग लगने की घटना के बाद, वहां से भारी मात्रा में नकदी बरामद होने का दावा किया गया। इस मामले ने न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना (CJI Sanjiv Khanna) ने 22 मार्च को इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया। समिति ने 3 मई को अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें जस्टिस वर्मा की भूमिका पर सवाल उठाए गए। इसके बाद, सीजेआई ने जस्टिस वर्मा से इस्तीफा देने का सुझाव दिया, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया।
जस्टिस वर्मा के इस्तीफा न देने के बाद, सीजेआई ने रिपोर्ट राष्ट्रपति (President) और प्रधानमंत्री (Prime Minister) को भेज दी। अब केंद्र सरकार (Central Government) मानसून सत्र में राज्यसभा (Rajya Sabha) में महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है। राज्यसभा में कम से कम 50 और लोकसभा (Lok Sabha) में 100 सांसदों के समर्थन से ही यह प्रस्ताव पेश किया जा सकता है।
महाभियोग प्रक्रिया के तहत, संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित होना आवश्यक है। इसके बाद, राष्ट्रपति के अनुमोदन से जज को पद से हटाया जा सकता है। यह प्रक्रिया न्यायपालिका में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।






