Canada Election Result : कनाडा (Canada) में हुए आम चुनाव में खालिस्तान समर्थक नेता जगमीत सिंह (Jagmeet Singh) की करारी हार ने न केवल उनकी राजनीतिक साख को गहरा झटका दिया है, बल्कि खालिस्तानी एजेंडे की सियासी जमीन भी हिला दी है। सोमवार को आए नतीजों में जगमीत सिंह ने अपनी पार्टी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (New Democratic Party – NDP) की दुर्दशा के बीच अपनी व्यक्तिगत हार को भी स्वीकार किया और संसद से इस्तीफा दे दिया।
जगमीत सिंह ने ब्रिटिश कोलंबिया (British Columbia) की बर्नेबी सेंट्रल (Burnaby Central) सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें लिबरल पार्टी (Liberal Party) के उम्मीदवार वेड चांग (Wade Chang) से हार का सामना करना पड़ा। उन्हें महज 27.3% वोट मिले, जबकि वेड को 40% से अधिक वोट प्राप्त हुए। इतना ही नहीं, सिंह अपने संसदीय क्षेत्र में तीसरे स्थान पर फिसल गए, जो उनके लिए एक बड़ा राजनीतिक झटका है।
एनडीपी (NDP) को देश में कम से कम 12 सीटें जीतनी थीं ताकि वह राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बरकरार रख सके, लेकिन इसमें भी पार्टी असफल रही। इससे एनडीपी की पहचान पर संकट गहराता दिख रहा है। कभी खुद को “किंगमेकर” कहने वाले जगमीत सिंह इस बार हर मोर्चे पर पिछड़ते नजर आए। नतीजों के तुरंत बाद उन्होंने इस्तीफा देकर हार की जिम्मेदारी ली और कहा, “इस हार से मैं निराश हूं, लेकिन अपनी मूवमेंट से नहीं। भविष्य में पार्टी बेहतर प्रदर्शन करेगी।”
इसी के साथ पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) की लिबरल पार्टी को भी बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। लेकिन इस हार के बावजूद, मार्क कार्नी (Mark Carney) के नेतृत्व में लिबरल पार्टी सत्ता में लौटती नजर आ रही है। कैनेडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (Canadian Broadcasting Corporation) के मुताबिक शुरुआती रुझानों में यह साफ हो गया कि कार्नी की पार्टी ने बहुमत हासिल कर लिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा बार-बार कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बताना और ट्रूडो को गवर्नर कहना, चुनावी माहौल को बदलने वाला फैक्टर साबित हुआ। इससे कनाडा की जनता को लगा कि ट्रूडो अब प्रभावी नेता नहीं रहे, और लोगों का भरोसा कार्नी की ओर गया।
कुल मिलाकर, इस चुनाव ने कनाडा की राजनीति में बड़ा मोड़ ला दिया है। खालिस्तान एजेंडे को पीछे धकेलते हुए जनता ने मुख्यधारा की राजनीति को प्राथमिकता दी है। जगमीत सिंह की हार से जहां अलगाववादी ताकतें कमजोर हुई हैं, वहीं कार्नी की जीत से लिबरल पार्टी को नया संबल मिला है।






