Budget 2026 को लेकर बैठकों का दौर शुरू, BFSI सेक्टर ने टैक्स में समानता की मांग की। देश के आम बजट की तैयारियों के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंश्योरेंस (BFSI) सेक्टर के प्रतिनिधियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) ने अपनी-अपनी दिक्कतें सामने रखीं और बजट 2026 के लिए कई सुझाव दिए। सबसे बड़ी चर्चा फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और म्यूचुअल फंड्स पर लगने वाले टैक्स को लेकर हुई।

FD और म्यूचुअल फंड पर एक जैसा टैक्स हो
बैठक में बैंकों ने एक बहुत ही अहम मुद्दा उठाया। बैंकों का कहना है कि उन्हें अपना ‘कासा रेशियो’ (CASA Ratio) मेंटेन करने में मुश्किल आ रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि लोग अब एफडी के बजाय म्यूचुअल फंड में ज्यादा निवेश कर रहे हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि एफडी और म्यूचुअल फंड पर टैक्स के नियम (Tax Treatment) अलग-अलग हैं, जिसमें एफडी पर ज्यादा टैक्स लगता है।
बैंकों ने वित्त मंत्री से साफ मांग की है कि फिक्स्ड डिपॉजिट और म्यूचुअल फंड पर टैक्स का ट्रीटमेंट एक समान किया जाए, ताकि लोग एफडी की तरफ भी आकर्षित हों और बैंकों के पास जमा पूंजी बढ़े।
एनपीए प्रोविजनिंग और टैक्स छूट
बैंकों ने एक और महत्वपूर्ण मांग एनपीए (Non-Performing Assets) की प्रोविजनिंग को लेकर रखी। फिलहाल जब बैंक एनपीए के लिए प्रोविजनिंग करते हैं, तो उन्हें अपनी आय में करीब 8.5% का डिडक्शन मिलता है। बैंकों ने सुझाव दिया है कि इस सीमा को 8.5% से और बढ़ाया जाना चाहिए। इससे बैंक ज्यादा प्रोविजनिंग कर पाएंगे और उनकी वित्तीय स्थिति मजबूत होगी।

NBFCs ने भी रखीं अपनी शर्तें
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) ने भी इस बैठक में अपनी पुरानी मांगें दोहराईं। उन्होंने नेशनल हाउसिंग बैंक (NHB) की तर्ज पर एक ‘रीफाइनेंसिंग विंडो’ (Refinancing Window) की मांग की है, ताकि उन्हें भी आसानी से कर्ज मिल सके।
इसके अलावा, एनबीएफसी ने टैक्स में भेदभाव का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि अभी उनकी ‘इंटरेस्ट इनकम’ पर टीडीएस (TDS) कटता है, जबकि बैंकों के साथ ऐसा नहीं होता। उन्होंने मांग की है कि बैंकों की तरह उन्हें भी इंटरेस्ट इनकम पर टीडीएस से छूट मिलनी चाहिए, ताकि दोनों के बीच समानता रहे।
जानें पूरा मामला
बजट 2026 से पहले वित्त मंत्रालय विभिन्न सेक्टरों के साथ प्री-बजट बैठकें कर रहा है। इसी कड़ी में आज BFSI सेक्टर की बैठक हुई। इसमें बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने अपनी चुनौतियां साझा कीं। बैंकों का मुख्य जोर डिपॉजिट बढ़ाने और टैक्स नियमों में बदलाव पर था, जबकि NBFCs ने लिक्विडिटी और टैक्स में बराबरी की मांग की। अब देखना होगा कि वित्त मंत्री इनमें से किन सुझावों को आगामी बजट में शामिल करती हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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बैंकों ने एफडी और म्यूचुअल फंड पर एक समान टैक्स लगाने की मांग की।
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एनपीए प्रोविजनिंग में टैक्स डिडक्शन की सीमा 8.5% से बढ़ाने का सुझाव।
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NBFCs ने इंटरेस्ट इनकम पर टीडीएस हटाने और रीफाइनेंसिंग विंडो की मांग की।
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने BFSI प्रतिनिधियों के साथ प्री-बजट चर्चा की।






