Budget 2023: सरकार अगले फाइनेंशियल ईयर में पूंजीगत खर्च (Capital Expenditure) का टारगेट बढ़ाकर 9.5 लाख रुपये कर सकती है। DBS Bank की सीनियर इकोनॉमिस्ट राधिका राव ने यह उम्मीद जताई है। अगर सरकार ऐसा करती है तो यह पूंजीगत खर्च में कम से कम 20 फीसदी की वृद्धि होगी। इस फाइनेंशियल ईयर में सरकार ने पूंजीगत खर्च के लिए 7.5 लाख रुपये का प्रस्ताव रखा था। मनीकंट्रोल से बातचीत में राव ने अगले बजट को लेकर व्यापक चर्चा की। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार का फोकस अगले बजट में किन बातों पर हो सकता है। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी, 2023 को यूनियन बजट पेश करेंगी। उम्मीद है कि इस बजट में वह इकोनॉमिक ग्रोथ की रफ्तार तेज करने के उपायों पर फोकस करेंगी।
राव ने कहा कि अगले यूनियन बजट में तीन बातों पर सरकार का फोकस हो सकता है। पहला, सप्लाई साइड के अड़चनों को दूर करना होगा। इसके लिए सरकार सोशल, रूरल प्रोग्राम सहित पूंजीगत खर्च आधारित मंत्रालयों के लिए आवंटन बढ़ा सकती है। दूसरा, सरकार रूरल इंप्लॉयमेंट स्कीम के लिए आवंटन बढ़ाकर रोजगार पर अपना फोकस बढ़ सकती है। तीसरा, उम्मीद है कि सरकार डायरेक्ट टैक्स में कोई बड़ा बदलाव नहीं करेगी।
उन्होंने फिस्कल डेफिसिट के उपायों पर भी सरकार का जोर होने की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि अगल बजट में फिस्कल डेफिसिट में 50-60 बेसिस प्वाइंट्स कमी लाने का टारगेट तय किया जा सकता है। इसका मतलब है कि अगले फाइनेंशियल ईयर के लिए फिस्कल डेफिसिट का टारगेट जीडीपी का 5.8 से 5.9 फीसदी हो सकता है। हालांकि, नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ में कमी और प्राइवेट सेक्टर की एक्टिविटी में नरमी से थोड़ी दिक्कत हो सकती है।
डिसइनवेस्टमेंट टारगेट के बारे में राव ने कहा कि अगले फाइनेंशियल ईयर का टारगेट ज्यादा व्याहवारिक रहने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि अगले फाइनेंशियल ईयर के टारगेट पर करीबी नजर होगी। हमें यह याद रखना होगा कि फाइनेंशियल ईयर 2022-23 के टारगेट में दूसरे खर्चों के साथ ही राज्यों को इंटरेस्ट रेट फ्री लोन शामिल था। कैपेसिटी यूटिलाइजेशन बढ़ने से प्राइवेट सेक्टर एक्टिविटी बढ़ी है। जहां तक मैन्युफैक्चरिंग का सवाल है तो PLI स्कीम के फायदे नजर आए हैं। इस स्कीम में घरेलू और विदेशी कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है।
उन्होंने कहा कि अगले बजट में सरकार को फोकस इनक्लूसिव डेवलपमेंट पर हो सकता है। हमें उम्मीद है कि सरकार स्ट्रेटेजिक अपॉर्चुनिटी का फायदा उठाने की कोशिश करेगी। राहत के उपायों पर ज्यादा फोकस और कमोडिटी के प्राइसेज में उछाल से फाइनेंशियल चईयर 2022-23 में सरकार का सब्सिडी एलोकेशन बढ़ा था। लेकिन, ग्लोबल प्राइसेज में कमी की वजह से इसे लेकर दबाव थोड़ा कम हो सकता है।