Union Budget 2023: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) तीन दिन बाद यानी एक फरवरी को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट (Union Budget 2023-24) संसद में पेश करेंगी। छपाई के स्तर पर बजट डॉक्यूमेंट को अंतिम रूप देने का आखिरी चरण माना जाने वाला पारंपरिक हलवा समारोह गुरुवार को हुआ। इस रस्म में वित्त मंत्री शामिल हुईं और उन्होंने परंपरा के तौर पर हलवा बांटा। यह समारोह हर साल होने वाली एक रस्म है। यह वास्तव में परंपरागत बजट कार्यक्रम है, जिसे बजट की छपाई से पहले मनाया जाता रहा है।
इसमें हलवा तैयार किया जाता है और बजट की तैयारी में शामिल रहे वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को परोसा जाता है। पिछले साल कोरोना महामारी को देखते समारोह नहीं हुआ था। उसकी जगह मिठाई बांटी गई थी। इस बार यह गणतंत्र दिवस के दिन यानी 26 जनवरी को हुआ।
यह समारोह दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक के ‘बेसमेंट’ में आयोजित किया जाता है। यहीं पर प्रिटिंग प्रेस है। वित्त मंत्रालय नार्थ ब्लॉक में ही स्थित है। इसमें वित्त मंत्री और अन्य उच्च पदस्थ अधिकारी शामिल होते हैं। अगले साल 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव से पहले यह मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा। इस लिहाज से यह कहा जा रहा है कि निर्मला सीतारमण के इस बजट में चुनावी झलक भी साफ-साफ दिखाई देगी।
पहले राष्ट्रपति भवन में छपता था बजट
नॉर्थ ब्लॉक से पहले किसी समय बजट की छपाई का काम राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan) में हुआ करता था। जी हां, आजादी के बाद साल 1950 तक बजट छपाई का काम राष्ट्रपति भवन में ही होता था। रिपोर्ट के मुताबिक, 1950 में बजट का कुछ हिस्सा लीक हो गया था। इसके बाद काफी हंगामा हुआ था और तत्कालीन वित्त मंत्री जॉन मथाई (John Matthai) के खिलाफ विरोधियों ने भी प्रदर्शन किए। इतना ही नहीं विरोध इतना बढ़ गया कि बजट पेश करने के बाद जॉन मथाई को वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा।
इसके बाद प्रिंटिंग के स्थान को बदलना पड़ा और बाद में नई दिल्ली के मिंटो रोड में बजट छापने की प्रक्रिया शुरू हुई। हालांकि, साल 1980 में बजट छपाई होने की जगह में फिर से बदलाव हुआ और नॉर्थ ब्लॉक में प्रिंटिंग प्रेस लगाने का फैसला हुआ। उसके बाद से आज तक केंद्रीय बजट की छपाई का काम नॉर्थ ब्लॉक में ही होता आ रहा है।
इस बार बजट में दिखेगी 2024 लोकसभा चुनावों की झलक
माना जा रहा है कि इस बार के बजट में लोकसभा चुनाव की झलक भी दिखाई देगी। विपक्षी पार्टियां जिन मुद्दों को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश करेंगी, उन तमाम मुद्दों की काट इस बार के बजट में दिखाई पड़ सकती है। मोदी सरकार के इस आखिरी पूर्ण बजट के पिटारे से सबके लिए कुछ न कुछ सौगातें निकलने वाली हैं।
बजट को लेकर सरकार की तैयारियों और रिकॉर्ड को देखते हुए माना जा रहा है कि मोदी सरकार तमाम कल्याणकारी योजनाओं में कुल मिलाकर आवंटित राशि में बड़ी बढ़ोतरी कर सकती है। बेरोजगारी के मसले पर विपक्षी पार्टियों की तरफ से लगातार राजनीतिक हमले का सामना कर रही मोदी सरकार अपने आगामी बजट में रोजगार एवं नौकरी के अवसरों और संख्या को बढ़ाने पर खासा ध्यान देने जा रही है।