भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) के डेटा हैकिंग मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। अमेरिका के टेक्सस (Texas) में एक सैनिक को BSNL और अन्य टेलीकॉम कंपनियों के डेटा चोरी और उसे डार्क वेब पर बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। ये मामला भारत की डिजिटल सुरक्षा के लिए एक गंभीर चेतावनी है।
कैसे हुआ BSNL डेटा चोरी का खुलासा? : मई 2023 में एक हैकर ने BSNL के SOLARIS सर्वर को हैक कर कंपनी के सब्सक्राइबर्स और अन्य संवेदनशील डेटा चोरी कर लिया था।
इस डेटा में शामिल थे:
होम लोकेशन डेटाबेस (Home Location Database)
इंटरनेशनल मोबाइल सब्सक्राइबर्स की पहचान (IMSI)
SIM नंबर
आरोपी कौन है?: गिरफ्तार किए गए सैनिक का नाम Cameron John Wagenius है। वह दक्षिण कोरिया (South Korea) में तैनात एक कम्युनिकेशंस स्पेशलिस्ट है।
- कैमरून ने डार्क वेब मार्केटप्लेस
Breached Forums पर लगभग 5,000 डॉलर में BSNL के 278GB डेटा को बेचने की पेशकश की थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कैमरून का कोडनेम “kiberphant0m” था।
डेटा चोरी के परिणाम : इस डेटा की कीमत लाखों डॉलर आंकी गई थी। हैकर ने दावा किया था कि यह डेटा बेहद महत्वपूर्ण और दुर्लभ है, जिसे वह बेहद कम कीमत में बेच रहा है।
जुलाई 2023 में सरकार ने लोकसभा में यह जानकारी दी थी कि BSNL का एक सर्वर हैक हुआ है। इस मामले की जांच इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT-In) कर रही थी।
साइबर सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम : भारत सरकार ने साइबर हमलों पर रोक लगाने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं:
- I4C और DoT की पहल:
17,000 विदेशी WhatsApp एकाउंट्स को ब्लॉक किया गया।
ये एकाउंट्स क्रिमिनल नेटवर्क्स से जुड़े हुए थे।
- विदेशी नेटवर्क्स पर सख्ती:
फिशिंग अटैक्स, डेटिंग ऐप्स, और क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर हैकर्स लोगों को फंसाते हैं।
जनजागरूकता अभियान:
सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए जनता को सतर्क किया जा रहा है।
BSNL डेटा हैकिंग: सरकार के लिए बड़ा सबक : BSNL डेटा चोरी का मामला भारत की साइबर सुरक्षा की कमजोरियों को उजागर करता है।
सरकारी और निजी संस्थानों को अपने सर्वर्स और सिक्योरिटी सिस्टम को अपग्रेड करने की जरूरत है।
डार्क वेब पर बढ़ती आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी है।
BSNL डेटा चोरी का मामला साइबर सुरक्षा के प्रति हमारी सतर्कता और मजबूत कदम उठाने की आवश्यकता को दर्शाता है। यह घटना न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर भी डेटा प्रोटेक्शन और डिजिटल सुरक्षा की जरूरत को रेखांकित करती है।
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