Jugvinder Singh Barar Sanctions : अमेरिका (America) ने भारतीय मूल के व्यक्ति जुगविंदर सिंह बराड़ (Jugvinder Singh Barar) और उनकी चार कंपनियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए प्रतिबंध (Sanctions) लगा दिया है। अमेरिकी वाणिज्य मंत्रालय (Department of Commerce) के अनुसार, बराड़ पर आरोप है कि उन्होंने ईरान (Iran) के तेल को अवैध रूप से अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने में मदद की। बराड़ के पास कई जहाज हैं, जिनका संचालन उन्होंने यूएई (UAE) और भारत (India) से किया। अमेरिकी बयान में कहा गया कि इन जहाजों के जरिए ईरानी तेल को ट्रांसफर कर अंतरराष्ट्रीय बाजार में भेजा गया, जो अमेरिकी प्रतिबंधों का सीधा उल्लंघन है।
बराड़ के जहाज हाई-रिस्क शिप-टू-शिप ट्रांसफर (Ship-to-Ship Transfer) में शामिल थे और इनका संचालन ईरान, इराक, ओमान और यूएई की खाड़ी (Gulf waters) में हुआ। अमेरिका का दावा है कि बराड़ ने इस मॉडल के तहत कई छोटे जहाजों का इस्तेमाल कर बड़े टैंकरों तक तेल पहुंचाया, ताकि उनका पता लगाना मुश्किल हो। इस तरह की गतिविधियों को ‘शैडो फ्लीट (Shadow Fleet)’ कहा जाता है, जो प्रतिबंधित तेल की तस्करी के लिए इस्तेमाल होती है।
जुगविंदर सिंह बराड़ की दो प्रमुख कंपनियाँ – प्राइम टैंकर्स (Prime Tankers) और ग्लोरी इंटरनेशनल (Glory International) – UAE में रजिस्टर्ड हैं। ये कंपनियाँ करीब 30 छोटे टैंकर ऑपरेट करती हैं, जिनका मुख्य काम समुद्र के बीच तेल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाना है। बराड़ की यह पूरी प्रणाली ईरान के समर्थन वाले हथियारबंद संगठन हूती (Houthi) से भी जुड़ी बताई जा रही है।
अमेरिका का दावा है कि बराड़ ने हूती के फाइनेंशियल अधिकारी सैद-अल-जमाल (Saeed al-Jamal) के साथ मिलकर यह नेटवर्क तैयार किया। इस नेटवर्क का हिस्सा बने जहाजों में से एक का नाम ‘नादिया (Nadia)’ है, जिसे अमेरिका ने सीधे तौर पर ईरान की सेना के नियंत्रण में बताया है। बराड़ के छोटे जहाजों की खासियत यह थी कि वे ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (AIS) में नहीं आते थे, जिससे उनका ट्रैक करना मुश्किल होता था।
अमेरिकी मंत्री स्कॉट बेसेंट (Scott Bessent) ने कहा कि ईरान का यही तरीका रहा है – वह बराड़ जैसे बिचौलियों के जरिए अवैध डील करता है। अब जब अमेरिका ने इस पूरे नेटवर्क को ट्रैक कर लिया है, तो बराड़ और उनकी कंपनियों पर सख्त एक्शन लिया गया है। अमेरिका द्वारा लगाए गए इस बैन से यह स्पष्ट होता है कि वैश्विक स्तर पर प्रतिबंधों के उल्लंघन पर अब शून्य सहनशीलता की नीति अपनाई जा रही है।