Punjab Assembly Election 2027 : पंजाब (Punjab) की राजनीतिक फिज़ा एक बार फिर गर्म हो गई है। 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) को लेकर देश के गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि अगर कोई सोचता है कि पंजाब के चुनाव का आकलन आसान है, तो यह भूल है – “पंजाब का चुनाव तो ब्रह्मा (Brahma) भी नहीं आंक सकते।” उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले समय में पंजाब की जनता एक मजबूत और बहुमत वाली सरकार चुनेगी।
दिल्ली (Delhi) में एक निजी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में अमित शाह से जब पूछा गया कि पंजाब में आगामी चुनावों में भाजपा (BJP) की भूमिका क्या होगी और क्या पार्टी अकाली दल (Akali Dal) के साथ गठबंधन करेगी, तो उन्होंने जवाब में अकाली दल पर कुछ न बोलते हुए हल्के फनी अंदाज़ में कहा कि पंजाब के चुनावों का आकलन ब्रह्मा जी भी नहीं कर सकते। उन्होंने उम्मीद जताई कि जनता सही निर्णय लेगी।
खालिस्तान (Khalistan) जैसे संवेदनशील मुद्दे पर बोलते हुए शाह ने दो टूक कहा कि देश को तोड़ने की बात करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि भले ही यह प्राथमिक रूप से पंजाब सरकार (Punjab Government) की जिम्मेदारी है, लेकिन केंद्र सरकार (Central Government) का भी यह कर्तव्य है कि ऐसी देशविरोधी गतिविधियों को सख्ती से कुचला जाए। शाह ने कहा कि भाजपा सरकार इस मामले में पूरी तरह प्रतिबद्ध है और किसी भी साजिश को सहन नहीं किया जाएगा।
पिछले चुनावी समीकरणों की बात करें तो 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में भाजपा और अकाली दल ने अलग-अलग चुनाव लड़ा। किसान आंदोलन के बाद दोनों पार्टियों के रिश्तों में खटास आई थी, जिसका असर चुनावी गठबंधन पर भी दिखा। नतीजा यह रहा कि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) केवल बठिंडा (Bathinda) की एक सीट ही जीत पाया, जिसे हरसिमरत कौर बादल (Harsimrat Kaur Badal) ने अपने नाम किया।
वहीं, भाजपा को पंजाब में एक भी सीट नहीं मिली, लेकिन वोट शेयर के मामले में भाजपा ने 18 प्रतिशत का आंकड़ा छूकर खुद को तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में स्थापित किया। इससे यह संकेत मिलता है कि पंजाब की राजनीति में भाजपा धीरे-धीरे अपनी पकड़ मजबूत कर रही है।
2024 में कांग्रेस ने सात सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में वापसी की। आम आदमी पार्टी (AAP) को तीन सीटें मिलीं, जबकि दो सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों के खाते में गईं। यह चुनाव परिणाम दर्शाते हैं कि पंजाब की राजनीति में अभी भी बदलाव की संभावनाएं बनी हुई हैं।
अमित शाह का यह बयान न केवल आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की रणनीति की झलक देता है, बल्कि यह भी साफ करता है कि खालिस्तान जैसे मुद्दों पर केंद्र कोई नरमी नहीं बरतेगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पंजाब की जनता अगले चुनाव में किस पार्टी को बहुमत देकर सत्ता की चाबी सौंपती है।