नई दिल्ली, 22 जनवरी (The News Air) बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने एक अभूतपूर्व फैसले में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate, ED) पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई मुंबई (Mumbai) में एक रियल एस्टेट डेवलपर, राकेश जैन (Rakesh Jain) के खिलाफ बिना ठोस सबूतों के धन शोधन की जांच शुरू करने के लिए की गई। इस फैसले के माध्यम से, न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव (Justice Milind Jadhav) ने केंद्रीय एजेंसियों को कानून के दायरे में रहने की चेतावनी देते हुए कहा कि वे नागरिकों को बिना वजह परेशान न करें।
जुर्माना और अदालत की टिप्पणियां : जस्टिस जाधव ने अपने निर्णय में कहा, “अब समय आ गया है कि ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियां कानून को अपने हाथ में लेना बंद करें और नागरिकों को परेशान करना बंद करें।” उन्होंने ईडी की कार्रवाई को “बिना सोचे-समझे” बताया और इसे एक ऐसा कदम कहा जो नागरिकों को उत्पीड़ित करने के लिए उठाया गया। उन्होंने यह भी कहा कि कानून लागू करने वाली एजेंसियों को एक कड़ा संदेश देने की जरूरत है कि वे कानून का पालन करें और अपने अधिकारों का दुरुपयोग न करें।
केस की पृष्ठभूमि : यह मामला शुरू हुआ जब एक संपत्ति खरीदार ने विले पार्ले (Vile Parle), मुंबई में एक संपत्ति सौदे के संबंध में राकेश जैन पर धोखाधड़ी और समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। इसके आधार पर, ईडी ने जैन के खिलाफ धन शोधन की जांच शुरू की, जिसमें उन्होंने जैन के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA – Prevention of Money Laundering Act) के तहत कार्रवाई की। हालांकि, जैन के पक्ष में कोई ठोस सबूत न होने के कारण, उच्च न्यायालय ने जांच को गलत ठहराया।
अदालत का फैसला : उच्च न्यायालय ने जैन के खिलाफ जारी किये गए समन/नोटिस को रद्द कर दिया और ईडी की कार्रवाई को ‘दुर्भावनापूर्ण’ कहा। न्यायमूर्ति जाधव ने कहा कि जैन के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है, इसलिए धन शोधन के आरोप भी टिकते नहीं हैं। इस मामले में, उच्च न्यायालय ने न केवल ईडी को जुर्माना लगाया बल्कि शिकायतकर्ता को भी दंडित किया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अदालत केवल एजेंसियों को ही नहीं, बल्कि झूठे मुकदमे दर्ज करने वालों को भी जवाबदेह ठहरा रही है।
जुर्माने का उपयोग : अदालत ने ईडी को चार सप्ताह के भीतर एक लाख रुपये का भुगतान उच्च न्यायालय पुस्तकालय को करने का आदेश दिया। इसके अलावा, मूल शिकायतकर्ता को भी एक लाख रुपये का जुर्माना भरना होगा, जिसे मुंबई की कीर्तिकर लॉ लाइब्रेरी (Kirtikar Law Library) को दान देना होगा।
अपील का अधिकार : ईडी के वकील, श्रीराम शिरसाट (Shriram Shirsat) ने अदालत से अनुरोध किया कि उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) में अपील दायर करने के लिए समय दिया जाए। अदालत ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए, फैसले पर एक सप्ताह की रोक लगा दी।
इस फैसले ने न केवल ED को एक कड़ा संदेश दिया है, बल्कि यह भी स्पष्ट किया है कि नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए अदालतें कितनी दूर जा सकती हैं। इसने सरकारी एजेंसियों की कार्यप्रणाली को भी चुनौती दी है, उन्हें अपनी जांच प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और संतुलित बनाने के लिए प्रेरित किया है।