Jaipur Chomu Stone Pelting – राजधानी जयपुर से सटे चौमूं कस्बे की रात अचानक ‘जंग के मैदान’ में बदल गई। गुरुवार देर रात मस्जिद के बाहर से अतिक्रमण हटाने गई पुलिस टीम पर अचानक भीड़ ने हमला बोल दिया, जिससे पूरा इलाका छावनी में तब्दील हो गया है। हालात इतने तनावपूर्ण हो गए कि पुलिस को अपनी जान बचाने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े और लाठियां भांजनी पड़ीं।
शांतिपूर्ण कार्रवाई कैसे बनी खूनी संघर्ष?
सब कुछ ठीक चल रहा था। रात के करीब 2:00 बज रहे थे। पुलिस और प्रशासन की टीम आपसी सहमति के बाद बस स्टैंड स्थित एक मस्जिद के बाहर रखे बड़े पत्थरों और मलबे को हटाने पहुंची थी। शुरुआत में कोई विरोध नहीं हुआ, क्योंकि बात पहले ही तय हो चुकी थी। लेकिन अचानक, मानो किसी इशारे का इंतजार हो रहा था। देखते ही देखते गलियों से एक भीड़ निकलकर आई और पुलिसकर्मियों पर ईंट-पत्थरों की बरसात शुरू कर दी।
साजिश या अफवाह? रात के अंधेरे का सच
जो मंजर सामने आया, वह रोंगटे खड़े करने वाला था। पुलिसकर्मी, जो सुरक्षा के लिए गए थे, खुद को बचाने के लिए भागने पर मजबूर हो गए। बड़े-बड़े पत्थर और ईंटें पुलिस की तरफ फेंकी जा रही थीं। यह हमला इतना सुनियोजित लग रहा था कि पुलिस को संभलने का मौका तक नहीं मिला। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया। सवाल यह है कि जब सहमति बन गई थी, तो अचानक इतनी भीड़ कहाँ से आई?
अफवाहों का बाजार और इंटरनेट पर ताला
अंधेरे में एक अफवाह ने आग में घी का काम किया। उपद्रवियों के बीच यह झूठ फैला दिया गया कि पुलिस मस्जिद को नुकसान पहुँचा रही है या उसे तोड़ रही है। इसी डर और अफवाह का फायदा उठाकर भीड़ को उकसाया गया। प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए पूरे इलाके में Internet Services को पूरी तरह बंद कर दिया है ताकि WhatsApp और सोशल मीडिया के जरिए कोई और फर्जी वीडियो या मैसेज न फैले।
“साहब, हम तो सो रहे थे” – आरोपियों की दलील
पुलिस अब एक्शन मोड में है। उपद्रवियों की पहचान कर उन्हें घरों से उठाया जा रहा है। हालांकि, हिरासत में लिए गए लोग अजीब दलीलें दे रहे हैं। कोई कह रहा है, “मैं तो फिरोजाबाद का हूँ, चूड़ी बेचता हूँ,” तो कोई कह रहा है, “साहब, हम तो सो रहे थे, हमें कुछ नहीं पता।” एक आरोपी ने तो कसम खाते हुए कहा, “ईमान की कसम, मैंने एक पत्थर भी नहीं उठाया।” लेकिन पुलिस का कहना है कि पत्थरबाजी हुई है और कानून तोड़ने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
विश्लेषण: विश्वास की कमी या सोची-समझी साजिश? (Expert Analysis)
इस पूरी घटना में सबसे बड़ा सवाल ‘टाइमिंग’ और ‘इंटेलीजेंस’ पर उठता है। रात के 2 बजे अतिक्रमण हटाने का फैसला शायद इसलिए लिया गया होगा ताकि टकराव न हो, लेकिन यही दांव उल्टा पड़ गया। भीड़ का इतनी जल्दी इकट्ठा होना और पुलिस पर हमला करना यह दर्शाता है कि यह केवल एक तात्कालिक गुस्सा नहीं था, बल्कि इसके पीछे एक गहरी साजिश हो सकती है। लोकतंत्र में भीड़तंत्र का यह रूप चिंताजनक है, जहाँ पुलिस—जो कानून की रक्षक है—उसी को निशाना बनाया जाता है। यह घटना प्रशासन को यह सबक देती है कि संवेदनशील मामलों में केवल ‘आपसी सहमति’ काफी नहीं होती, बल्कि ‘प्लान बी’ (सुरक्षा की पूरी तैयारी) होना भी जरूरी है।
जानें पूरा मामला (Background)
यह पूरा विवाद चौमूं बस स्टैंड स्थित एक मस्जिद के बाहर के हिस्से को लेकर है। प्रशासन के मुताबिक, मस्जिद के बाहर सड़क पर कुछ बड़े पत्थर और निर्माण सामग्री रखकर अतिक्रमण किया गया था, जिससे रास्ता बाधित हो रहा था। पुलिस का दावा है कि उन्होंने समुदाय के लोगों से बात कर ली थी और वे इसे हटाने को तैयार थे। इसी सहमति के आधार पर पुलिस मलबा हटाने गई थी, लेकिन मौके पर कुछ असमाजिक तत्वों ने इसे धार्मिक रंग देकर हिंसा भड़का दी।
मुख्य बातें (Key Points)
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Jaipur के चौमूं में मस्जिद के बाहर से पत्थर हटाते वक्त पुलिस पर भारी पथराव।
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हालात काबू करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े।
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इलाके में तनाव को देखते हुए इंटरनेट सेवाएं (Internet Ban) बंद कर दी गई हैं।
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पुलिस घर-घर जाकर उपद्रवियों की धरपकड़ कर रही है; कई लोग हिरासत में लिए गए।
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आरोप है कि मस्जिद को लेकर फैलाई गई एक झूठी अफवाह ने भीड़ को उकसाया।






