BJP Donation Controversy : कांग्रेस सांसद अजय माखन ने राज्यसभा में एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि 2024 में बीजेपी के बैंक खाते में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक जमा हो गए हैं। यह रकम कांग्रेस की तुलना में 75 गुना ज्यादा है। सवाल यह है कि इतना पैसा कहां से आ रहा है और किसके फैसलों के बदले आ रहा है?
जिस देश में सरकार इतिहास बनाने, बदलने और थोपने में व्यस्त हो जाए, वहां वर्तमान की समस्याएं नजरअंदाज होती रहती हैं। आज भारत में जो कुछ भी हो रहा है, वह किसी को दिख नहीं रहा। कल क्या होगा, यह किसी को सूझ नहीं रहा। लेकिन कल क्या हुआ था, उसके सब एक्सपर्ट बन गए हैं।
ठेका दो, चंदा लो – यह कैसा समीकरण?
रिपोर्टर्स कलेक्टिव की एक रिपोर्ट ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। पत्रकार अंगना चक्रवर्ती की इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 से 2024 के बीच असम, त्रिपुरा, अरुणाचल और मणिपुर में बीजेपी को 77 करोड़ रुपये का चंदा मिला।
इसमें से आधा पैसा उन ठेकेदारों से आया, जिन्हें इन्हीं राज्यों में सरकारी ठेके मिले थे। मतलब साफ है जिसे ठेका मिलता है, वही बीजेपी को चंदा दे रहा है। इस तरह बीजेपी एक तरह से बैंक जैसी होती जा रही है।
अरुणाचल के CM पेमा खांडू पर सुप्रीम कोर्ट की नजर
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू के परिवार की चार कंपनियों को तवांग में 146 सरकारी कॉन्ट्रैक्ट मिले हैं। यह मामला इतना गंभीर है कि सुप्रीम कोर्ट ने जांच के आदेश दे दिए हैं।
एक तरफ प्रधानमंत्री लाल किले से परिवारवाद का विरोध करते हैं, दूसरी तरफ बीजेपी के ही मुख्यमंत्री के परिवार के लोग ठेके पर ठेके ले रहे हैं। सवाल यह भी है कि क्या बीजेपी ने इनके परिवार की कंपनियों से भी चंदा लिया?
संदेश्रा केस: घोटालेबाज का हीरो बनना
संदेश्रा बैंक से हजारों करोड़ लेकर भाग गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि 5100 करोड़ जमा करो और केस रफादफा करो। हैरानी की बात यह है कि संदेश्रा ने यह रकम सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा भी करा दी।
आज तक किसी घोटालेबाज ने इतनी जल्दी, इतना ज्यादा पैसा नहीं लौटाया होगा। संदेश्रा भारत के हर फ्रॉड और ठग का हीरो बन गया है।
लेकिन दूसरी बेंच ने सर्वोदय हाईवे लिमिटेड के 52 करोड़ के बैंक फ्रॉड मामले में कहा कि वन टाइम पेमेंट से केस खत्म नहीं हो सकता, खासकर जब किसी वित्तीय संस्थान को नुकसान पहुंचा हो। तो फिर संदेश्रा के लिए अलग नियम क्यों?
इंजीनियर बन गया डॉक्टर – 2 साल तक इलाज करता रहा
ललितपुर के सरकारी अस्पताल में डॉक्टर राजीव गुप्ता की डिग्री पर एक इंजीनियर अभिनव सिंह मरीजों का इलाज कर रहा था। पूरे दो साल तक किसी को कुछ पता नहीं चला।
यह घटना बताती है कि देश में सिस्टम कितना कमजोर हो गया है। जब एक इंजीनियर डॉक्टर बनकर इलाज कर सकता है, तो मरीजों की जान की कीमत क्या रह गई?
तिरुपति में 54 करोड़ का दुपट्टा घोटाला
तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट ने लोगों को सम्मानित करने के लिए केवल दुपट्टा ओढ़ाने में 54 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। लेकिन यहां भी घोटाले की खबर है।
पैसा दिया गया सिल्क के दुपट्टों के लिए, लेकिन सप्लाई हुई पॉलीस्टर के दुपट्टों की। 10 साल तक किसी को पता भी नहीं चला। धर्म के नाम पर भी भ्रष्टाचार की सीमा नहीं रही।
भारत में असमानता ने तोड़े सारे रिकॉर्ड
विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 के अनुसार, भारत में अमीर और गरीब के बीच की खाई दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही है।
भारत की कुल संपत्ति का 65% सिर्फ 10% लोगों के पास है। इसमें से भी 40% हिस्सा टॉप 1% के पास है। राष्ट्रीय आय का 58% सिर्फ 10% लोगों को मिलता है, जबकि 50% आबादी के पास केवल 12% ही है।
इसे आसान भाषा में समझें अगर आपके जिले के सभी अमीरों को एक बिल्डिंग में रख दिया जाए, तो वे 100-200 फ्लैट में समा जाएंगे। बाकी पूरा जिला गरीब नजर आएगा।
नकली नोटों का चलन 37% बढ़ा
नोटबंदी का मकसद नकली नोटों को खत्म करना था। लेकिन पिछले एक साल में भारत में 500 रुपये के नकली नोटों का चलन 37% बढ़ गया है। यह पिछले 6 साल में सबसे ज्यादा वृद्धि है।
मतलब कोई तो है जो नकली नोट छाप रहा है और सिस्टम उसे पकड़ नहीं पा रहा। जो पकड़ में आया है वह कितना है, जो नहीं आया वह कितना होगा — यह सोचने वाली बात है।
प्रदूषण पर सरकार का रवैया – हवा खराब, मीटर बदलो
दिल्ली और उत्तर भारत का प्रदूषण जानलेवा हो गया है। डॉक्टर बोल-बोल कर थक गए कि बच्चों के फेफड़े खराब हो रहे हैं, बुजुर्गों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है।
लेकिन सरकार कह रही है कि हवा की क्वालिटी नापने के वैश्विक पैमाने आधिकारिक नहीं हैं। WHO की गाइडलाइन भी सिर्फ सुझाव है, बाध्य नहीं है। अब सरकार “भारतीय मीटर” बनाने की बात कर रही है।
राहुल गांधी ने संसद में कहा कि प्रदूषण पर सरकार और विपक्ष को मिलकर काम करना चाहिए। यह विचारधारा का मामला नहीं है। हर शहर के लिए 5-10 साल का प्लान बनाना चाहिए।
बिहार पर कर्ज का बोझ – हर बिहारी पर ₹27,000
बिहार में मुफ्त की योजनाओं के लिए कर्ज लिया गया है। इस साल बिहार सरकार ने 55,737 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। पिछले साल 6,366 करोड़ का कर्ज था।
अब हालत यह है कि हर बिहारी पर 27,000 रुपये का कर्ज हो गया है। अगर केंद्र ने सहयोग नहीं किया तो 10 लाख कर्मचारियों की सैलरी और 5 लाख कर्मचारियों की पेंशन फंस सकती है।
महाराष्ट्र – अमीर राज्य डूब रहा कर्ज में
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र पर कर्ज 7.8 लाख करोड़ से बढ़कर 9.3 लाख करोड़ होने वाला है। भारत का सबसे अमीर माना जाने वाला राज्य कर्ज में डूब रहा है।
इसी महाराष्ट्र में इस साल 9 महीने में 781 किसानों ने आत्महत्या कर ली। यह सरकारी आंकड़ा है। लोग ढाई-पांच-दस हजार में वोट बेच रहे हैं।
रुपये की रिकॉर्ड गिरावट
रुपया डॉलर के मुकाबले लगातार गिर रहा है। अब यह 90.50 के नीचे जा रहा है और 91 तक पहुंचने वाला है। आम आदमी की जेब पर इसका सीधा असर पड़ रहा है।
9 लाख भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता
पिछले 5 साल में लगभग 9 लाख भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी। इन लोगों को शायद लगा होगा कि भारत में कुछ नहीं हो सकता। बाकी जिन्हें नहीं पता कि क्या हो रहा है, वही यहां रहकर कह रहे हैं कि देश में कुछ नहीं हो रहा।
पाकिस्तान में भी हलचल — ISI चीफ को जेल
पाकिस्तान के रिटायर्ड आईएसआई चीफ फैज हमीद को 14 साल के लिए जेल भेज दिया गया है। पाकिस्तान में सब एक-दूसरे को जेल भेजने में लगे हैं।
वहीं पाकिस्तान ने अमेरिका से F-16 विमान की डील कर ली है और IMF से भी लोन लेने वाला है। जबकि भारत रूस से भी डिफेंस डील नहीं कर पाया।
मेक्सिको ने लगाया 50% टैरिफ
मेक्सिको ने भारत पर 50% का टैरिफ लगा दिया है। ऑटोपार्ट्स, टेक्सटाइल, स्टील और केमिकल का आयात अगर भारत से होगा तो यह टैरिफ लागू होगा।
स्वीडन के एक पेंशन फंड ने भी भारतीय कंपनियों से पैसा इसलिए निकाल लिया क्योंकि यहां मजदूरों की हालत अच्छी नहीं है।
राज्यसभा स्थगित — कोई मंत्री नहीं आया
राज्यसभा में सवालों का जवाब देने के लिए कोई मंत्री नहीं आया। मंत्री नहीं आया तो राज्यसभा स्थगित करनी पड़ी। यह अति गंभीर सरकार का अत्यंत गंभीर प्रयास है।
“चीफ हिस्टोरियन ऑफ इंडिया”
बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी तो है ही, लेकिन अब इतिहासकारों की भी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है।
पार्टी के अध्यक्ष से लेकर ब्लॉक प्रमुख तक, कार्यकर्ता से लेकर समर्थक तक हर व्यक्ति अपने आप में इतिहासकार हो चुका है। नेहरू पर सवाल करो तो चोल की बात करने लगते हैं, चोल पर सवाल करो तो अशोक की बात करने लगते हैं।
लेकिन जब संजय सिंह और प्रियंका गांधी ने पूछा कि आजादी की लड़ाई में संघ का इतिहास क्या था, तो कोई नहीं बता सका। आरएसएस ने 53 साल तक अपने मुख्यालय में तिरंगा क्यों नहीं फहराया इसका जवाब भी नहीं मिला।
क्या है पूरी पृष्ठभूमि?
यह पूरा विश्लेषण उस भारत की तस्वीर पेश करता है जहां सत्ताधारी पार्टी के पास 10,000 करोड़ रुपये हैं और विपक्ष के पास उसका 1% भी नहीं। जहां घोटालेबाज पैसे लौटाकर मुक्त हो जाते हैं और आम आदमी EMI न चुकाने पर परेशान होता है। जहां प्रदूषण से बच्चों के फेफड़े खराब हो रहे हैं लेकिन सरकार मीटर बदलने की बात करती है। जहां राज्य कर्ज में डूब रहे हैं और किसान आत्महत्या कर रहे हैं। जहां 9 लाख लोग देश छोड़कर जा चुके हैं। फिर भी कहा जाता है देश में कुछ नहीं हो रहा।
मुख्य बातें (Key Points)
- BJP के खाते में ₹10,000 करोड़: कांग्रेस की तुलना में 75 गुना ज्यादा, ठेकेदारों से चंदा आने के आरोप
- असमानता चरम पर: देश की 65% संपत्ति सिर्फ 10% लोगों के पास, 50% आबादी के पास सिर्फ 12% आय
- राज्यों पर कर्ज का बोझ: बिहार में हर व्यक्ति पर ₹27,000 कर्ज, महाराष्ट्र पर 9.3 लाख करोड़ का कर्ज
- नकली नोट 37% बढ़े: नोटबंदी के बाद भी 500 के नकली नोटों का चलन बढ़ा
- 9 लाख भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता: पिछले 5 साल में देश छोड़ने वालों की संख्या में उछाल






