बीजेपी 400 पार को दे रही धार, कांग्रेस अपने झगड़े में ही उलझी,

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Lok Sabha Chunav Bjp Vs Congress,बीजेपी 400 पार को दे रही धार, कांग्रेस अपने झगड़े में ही उलझी, कैसे पार लगेगी लोकसभा चुनाव की नाव - bjp focus 400 seats targets congress what plan to stop them lok sabha chunav 2024 analysis
नई दिल्ली, 26 मार्च (The News Air) : 2024 के चुनावी रण में बीजेपी ने न केवल अपने गठबंधन को लेकर 400 पार का टारगेट सेट किया है, बल्कि इसे हासिल करने के लिए लगातार धार देने जुटी है। पार्टी इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूरे जोश में नजर आ रही। जिन राज्यों में बीजेपी पहले से मजबूत है उसके मुकाबले पार्टी वहां खास फोकस कर रही जहां उन्हें बड़ी कामयाबी के आसार नजर आ रहे। यही वजह है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले करीब डेढ़ महीने में 23 दिन दक्षिण भारतीय राज्यों का दौरा किया। पार्टी नेतृत्व लगातार अपना कुनबा बढ़ाने और नए सियासी दलों को अपने साथ जोड़ने में जुटा है। दूसरी ओर देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की स्थिति पर नजर डालें तो ऐसा लग रहा मानो वो अब तक ये तय नहीं कर सके हैं इस चुनावी घमासान में उनकी रणनीति क्या रहने वाली है? कांग्रेस की हरसंभव कोशिश बीजेपी के विजय अभियान को रोकने की है। इसके लिए पार्टी ने अलग-अलग राज्यों की विपक्षी पार्टियों के साथ INDI (Indian National Developmental Inclusive) अलायंस भी बनाया। हालांकि, सवाल यही उठ रहा कि क्या इस गठबंधन के सहारे कांग्रेस की चुनावी नैया पार हो सकेगी?

कांग्रेस के लिए ये चुनाव क्यों है अस्तित्व की लड़ाई?

देश की सबसे पुरानी पार्टी के लिए ये चुनाव उनके अस्तित्व की लड़ाई भी है। ऐसा इसलिए क्योंकि 2014 से पार्टी न केवल सत्ता से बाहर है बल्कि दहाई के आंकड़ें पर पहुंच चुकी है। उसकी स्थिति ऐसी भी नहीं है कि अपने बूते नेता प्रतिपक्ष का दर्जा हासिल कर सके। यही वजह है कि पार्टी ने इंडी अलायंस के जरिए सत्ताधारी बीजेपी के विजय रथ को रोकने की कवायद शुरू की है। हालांकि, पार्टी को अगर वाकई में मजबूत दावेदारी पेश करना है तो पहले अपनी पार्टी के नेताओं को जोड़कर रखना होगा। इसके साथ ही इस चुनाव में अपने बूते सेंचुरी लगाना भी जरूरी होगा। मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर कांग्रेस का नाम इसलिए लिया जाता है क्योंकि देश के 543 लोकसभा सीटों में से करीब 200 पर कांग्रेस और BJP का सीधा मुकाबला है। इनमें कर्नाटक, छत्तीसगढ़, हरियाणा, गुजरात, मध्य प्रदेश, असम, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश वो राज्य हैं जहां बीजेपी Vs कांग्रेस की सीधी लड़ाई है। यहां पार्टी को मजबूत दावेदारी करना जरूरी होगा। ये तभी संभव है जब पार्टी आपसी झगड़ों को सुलझाकर इस चुनाव में बीजेपी के खिलाफ पूरी एकजुटता से उतरे।

कैंडिडेट्स घोषित करने में पिछड़ती दिख रही कांग्रेस

हालांकि, कांग्रेस में जिस तरह से घमासान नजर आ रहा, इसकी संभावना कम ही नजर आ रही। हम ऐसा पार्टी की मौजूदा स्थिति को देखकर कह रहे हैं। जहां बीजेपी ने अब तक लोकसभा चुनाव के लिए 350 से अधिक उम्मीदवारों की घोषणा की है, वहीं कांग्रेस केवल 200 से अधिक सीटों पर ही नाम तय कर सकी है। कांग्रेस अभी भी अपनी स्थिति को ही परख रही है जबकि बीजेपी, पीएम मोदी के साथ लंबी छलांग लगा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार चुनाव प्रचार में जुटे हैं। मंदिरों का दौरा, मतदाताओं से मुलाकात के साथ-साथ चुनावी रैली में मंच से ‘मोदी की गारंटी’ के जरिए आम लोगों को अपने साथ जोड़ने में व्यस्त हैं। प्रधानमंत्री की रैली में पहुंचने वाली लोगों की भीड़ से पार्टी नेतृत्व को उम्मीद जग रही कि वो 400 पार का आंकड़ा जरूर पार कर लेंगे।

सीट बंटवारे को लेकर भी कांग्रेस में घमासान

दूसरी ओर, कांग्रेस की चुनावी प्लानिंग पर नजर डालें तो अब तक उनकी ओर से जोरदार प्रचार करना भूल जाइए, पार्टी ने कोई बड़ी चुनावी रैली भी नहीं की है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के समापन पर जरूर एक बड़ी रैली की गई, जिसमें इंडिया ब्लॉक के कई बड़े चेहरे जुटे। हालांकि, पार्टी ने अकेले में अभी कोई बड़ी चुनावी रैली नहीं की। यही नहीं बीजेपी की ओर से जारी उम्मीदवारों की लिस्ट में कई बड़े नामों के टिकट काटे गए। वहीं कई चौंकाने वाले नाम भी लिस्ट में जोड़े गए। बावजूद इसके पार्टी में कोई खास नाराजगी या आक्रोश सामने नहीं आई। दूसरी ओर कांग्रेस में टिकट बंटवारों को लेकर माथापच्ची तो चल ही रही है। उम्मीदवारों की घोषणा के बाद कैंडिडेट भी बदले जा रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण राजस्थान में देखने को मिला। कांग्रेस पार्टी ने जयपुर से सुनील शर्मा को उम्मीदवार बनाया था। हालांकि, उनके नाम पर विवाद हुआ तो पार्टी ने उनकी जगह राजस्थान के पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास को कैंडिडेट घोषित कर दिया।

इन दिग्गजों ने छोड़ा कांग्रेस का दामन

कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने वाले नेताओं की फेहरिस्त भी थमती नहीं दिख रही। पिछले 10 वर्षों में, कांग्रेस के कई नेता जिन्होंने पार्टी छोड़ी उनमें कईयों ने बीजेपी का दामन थामा। यही नहीं पार्टी ने उन्हें पुरस्कृतक भी किया। इसमें ताजा उदाहरण नवीन जिंदल है। वह 2004 से 2014 तक कांग्रेस सांसद थे। इनके अलावा कांग्रेस से ज्योतिरादित्य सिंधिया, मिलिंद देवड़ा, जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह जैसे नेता – जो राहुल गांधी के करीबी दोस्त थे। उन्होंने भी पार्टी छोड़ी। जब सिंधिया ने 2020 में कांग्रेस छोड़ी थी, तो भविष्यवाणी की गई थी कि वह छह महीने में वापस आएंगे। ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। फिलहाल कांग्रेस को अपनी स्थिति बेहतर करने के लिए पार्टी नेताओं को जोड़ने के साथ ही खुद और मजबूत करना बेहद जरूरी है।

क्या कांग्रेस रोक सकेगी बीजेपी की हैट्रिक?

कुल मिलाकर इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेतृत्व की स्थिति ‘करो या मरो’ जैसी है। अगर पार्टी इस चुनाव में मजबूत दावेदारी पेश नहीं कर सकी तो संगठन पर असर पड़ेगा ही, साथ में क्षेत्रीय दल भी कांग्रेस को आंखें दिखाएंगे। इस चुनाव में कांग्रेस के सामने एक बड़ा सवाल ये भी है कि अगर वह अपना प्रदर्शन नहीं सुधारती तो पार्टी में बड़े पैमाने पर भगदड़ मचेगी। भले ही कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे हों, लेकिन पार्टी आज भी गांधी परिवार पर ही निर्भर दिखती है। ऐसे में ये लोकसभा चुनाव कहीं न कहीं गांधी परिवार के लिए साख का सवाल भी है।

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