चंडीगढ़, 21 जून, (The News Air)
बेशक किसान आंदोलन के चलते शिरोमणि अकाली दल का गठबंधन टूटने के बाद पंजाब में भारतीय जनता पार्टी हाशिए पर चली गई हो, परन्तु पार्टी 117 सीटों पर चुनाव लड़ने के ऐलान से पीछे नहीं हटी है। भाजपा ने चुनावी अखाड़े में उतरने से पहले पूरे पंजाब राज्य में 17 प्वाइंट पर एक सर्वे करवा रही है। 45 दिन के अंदर यह सर्वे पूरा कर लिया जाएगा, जिसकी अंतिम रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी जाएगी।
सर्वे में तलाश है 117 सीटों पर प्रत्याशियों की- प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने कहा है कि कि उनका चाहे किसी भी समान विचारधारा की पार्टी से गठबंधन हो, परन्तु 117 सीटों पर भाजपा के ही चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ा जाएगा। अश्वनी शर्मा का कहना है सर्वे में भाजपा 117 सीटों पर उम्मीदवारों की तलाश भी करेगी। गौरतलब है कि भाजपा पंजाब में पहले ही ऐलान कर चुकी है कि पंजाब में यदि उसकी सरकार बनती है तो सीएम दलित समुदाय से ही बनाया जाएगा। भाजपा का पूरा ध्यान इस समय दलित नेताओं पर ही केंद्रित है।
अकाली-भाजपा गठबंधन हार गया था 2017 में- भाजपा गठजोड़ में रही शिरोमणि अकाली दल के साथ 23 सीटों पर चुनाव लड़ती रही है। 2017 विधान सभा चुनावों में भाजपा और अकाली गठबंधन को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। राज्य की 117 विधान सभा सीटों में से अकाली दल को 15 और भाजपा को सिर्फ़ 3 सीटें ही मिल पाईं थी, जबकि कांग्रेस की 77 सीटों पर जीत हुई थी और दूसरे नंबर पर 20 सीटों के साथ आम आदमी पार्टी विपक्षी दल के रूप में उभरी कर सामने आई थी।
इस बार शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा को छोड़ने के बाद बसपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ने का मन बनाया है। अकाली दल ने बसपा को 20 सीटें दी हैं, जबकि वह 97 सीटों पर ख़ुद चुनाव लड़ेगी। पंजाब में इस बार के विधान सभा चुनाव में चौतरफा मुक़ाबला होने की पूरी संभावना है। कांग्रेस, अकाली दल, आम आदमी पार्टी तथा भारतीय जनता पार्टी ने अकेले-अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है।