S400 Missile Deal भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग का एक नया और बड़ा अध्याय जल्द ही खुलने जा रहा है। 5 दिसंबर को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच होने वाली बहुप्रतीक्षित बैठक में S400 एयर डिफेंस सिस्टम को लेकर एक ऐतिहासिक डील पर मुहर लग सकती है। भारत रूस से पांच अतिरिक्त S400 स्क्वाड्रन खरीदने की योजना पर गंभीरता से काम कर रहा है।
इस नई डील का आधार ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान S400 का शानदार प्रदर्शन है। भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह के अनुसार, इस ऑपरेशन में S400 ने अब तक की सबसे लंबी मारक क्षमता (314 कि.मी.) का प्रदर्शन करते हुए पाकिस्तान के कम से कम पांच हाईटेक लड़ाकू विमानों, जिनमें F16 और JF7 शामिल हैं, को मार गिराया था। इस सफलता ने भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान का भरोसा इस सिस्टम पर और बढ़ा दिया है।
56,000 करोड़ रुपये की होगी नई डील
भारत अब रूस से पांच और S400 स्क्वाड्रन खरीदने की प्लानिंग में है। मौजूदा एक्सचेंज रेट के मुताबिक, एक S400 स्क्वाड्रन की कीमत लगभग 1.25 बिलियन डॉलर (करीब 111 लाख 49 हजार करोड़ रुपये) है। इस हिसाब से पांच नए स्क्वाड्रन के लिए भारत को तकरीबन 56,000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे।
राष्ट्रपति पुतिन की 5 दिसंबर 2025 को होने वाली भारत यात्रा के दौरान पीएम मोदी के साथ बैठक में इन अतिरिक्त यूनिट्स की खरीद पर करार होने की पूरी उम्मीद है।
पहले से मौजूद सिस्टम का होगा विस्तार
भारत और रूस के बीच 2018 में S400 की पांच स्क्वाड्रन के लिए 5 बिलियन डॉलर से ज्यादा का समझौता हुआ था। इसमें से तीन यूनिट भारत को मिल चुकी हैं। रूस ने भरोसा दिलाया है कि बाकी बची दो स्क्वाड्रन नवंबर 2026 तक मिल जाएंगी। हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण इनकी सप्लाई में थोड़ी बाधा आई थी।
अगर पांच नई स्क्वाड्रन की डील पक्की होती है, तो भारत के पास कुल मिलाकर S400 के 10 स्क्वाड्रन हो जाएंगे। इस मामले में भारत, चीन से भी आगे निकल जाएगा, जिसके पास फिलहाल छह स्क्वाड्रन हैं। रूस भारत में इन सिस्टम्स के लिए एमआरओ (मेंटेनेंस, रिपेयर एंड ओवरहॉल) सुविधा भी स्थापित करेगा।
मिसाइलों के नए जखीरे को भी मंजूरी
रक्षा मंत्रालय ने करीब 100 करोड़ रुपये की अतिरिक्त S400 मिसाइलों की खरीद को भी मंजूरी दे दी है। पाकिस्तान के साथ तनाव के दौरान इन मिसाइलों का इस्तेमाल हुआ था, इसलिए उनका रिजर्व स्टॉक फिर से बनाना जरूरी हो गया है। इन मिसाइलों की इंटरसेप्शन रेंज 120, 200, 250 और 380 किलोमीटर तक है।
पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान पर असमंजस
एक तरफ S400 पर बात आगे बढ़ रही है, वहीं दूसरी तरफ रूस के पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एस 57 की खरीद पर फैसला अभी लटका हुआ है। भारत अभी तक एस 57 की दो से तीन स्क्वाड्रन खरीदने पर निर्णय नहीं ले पाया है।
रूस इस विमान को अमेरिकी F35 के मुकाबले का बताकर पेश कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक, भारतीय वायुसेना को 2035 तक स्वदेशी स्टील्थ फाइटर AMCA के आने तक एक अस्थायी विकल्प के तौर पर फिफ्थ जनरेशन लड़ाकू विमान चाहिए, लेकिन अंतिम फैसला अभी नहीं हुआ है।
जानें पूरा मामला: अमेरिका-रूस के बीच संतुलन
यह पूरी डील ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप व्यापार और अन्य मोर्चों पर कड़े फैसले ले रहे हैं, जिसका असर भारत पर भी पड़ सकता है। भारत के लिए जरूरी है कि वह द्विपक्षीय व्यापार के स्तर पर दोनों महाशक्तियों के बीच संतुलन बनाए।
भारत अपने पारंपरिक मित्र रूस के साथ रक्षा संबंध मजबूत करने के साथ-साथ अमेरिका के साथ भी बढ़ते सहयोग के बीच संतुलन साधने की कोशिश कर रहा है। पिछले 15 सालों में अमेरिका भारत को 26 अरब डॉलर से ज्यादा के सैन्य उपकरण बेच चुका है।
मुख्य बातें (Key Points)
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पीएम मोदी और व्लादिमीर पुतिन की 5 दिसंबर की बैठक में पांच अतिरिक्त S400 स्क्वाड्रन की डील पर बात होगी।
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इस नई डील की संभावित कीमत करीब 56,000 करोड़ रुपये हो सकती है।
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‘ऑपरेशन सिंदूर’ में S400 ने पाकिस्तान के 5 लड़ाकू विमानों को 314 किमी दूर मार गिराया था।
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रक्षा मंत्रालय ने 100 करोड़ रुपये की अतिरिक्त S400 मिसाइलों की खरीद को भी मंजूरी दी है।






