Tarique Rahman Return Bangladesh Politics : बांग्लादेश में जारी राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा के बीच एक बड़ी खबर ने वहां की सियासत में भूचाल ला दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान (Tarique Rahman) करीब दो दशक बाद देश लौट रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तारिक 25 दिसंबर को बांग्लादेश की धरती पर कदम रख सकते हैं।
उनकी इस ‘ग्रैंड एंट्री’ को फरवरी में होने वाले आम चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है। कयास लगाए जा रहे हैं कि BNP उन्हें अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर सकती है, जो मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार और प्रतिबंधित आवामी लीग के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।
18 साल का वनवास और अब वापसी
तारिक रहमान की वापसी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। 2007 में तत्कालीन सैन्य-समर्थित सरकार ने उन्हें गिरफ्तार किया था। वे करीब 18 महीने जेल में रहे और उन पर यातनाएं सहने के आरोप भी लगे। 2008 में जमानत मिलने के बाद वे इलाज के बहाने लंदन चले गए और तब से वहीं निर्वासित जीवन जी रहे थे।
शेख हसीना सरकार के दौरान उन पर मनी लॉन्ड्रिंग और 2004 के ग्रेनेड हमले जैसे कई गंभीर आरोप लगे और उन्हें अनुपस्थिति में उम्रकैद की सजा भी सुनाई गई। लेकिन अब, जब शेख हसीना देश छोड़ चुकी हैं और उनकी पार्टी पर बैन लग गया है, तारिक रहमान की वापसी BNP के लिए ‘संजीवनी’ का काम कर सकती है।
भारत का रुख: ‘वेट एंड वॉच’ की रणनीति
तारिक रहमान की वापसी पर भारत की भी गहरी नजर है। हालांकि तारिक को पारंपरिक रूप से भारत-विरोधी रुख के लिए जाना जाता है, लेकिन बदलती परिस्थितियों में कूटनीति भी करवट ले रही है। हाल ही में जब खालिदा जिया अस्पताल में थीं, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की थी।
विश्लेषकों का मानना है कि यह भारत की तरफ से एक ‘हिडन मैसेज’ था। शेख हसीना की पार्टी के कमजोर होने के बाद, भारत को बांग्लादेश में एक स्थिर और लोकतांत्रिक सरकार की जरूरत है, और मौजूदा हालात में BNP ही एक मजबूत विकल्प नजर आ रही है। अगर तारिक सत्ता में आते हैं, तो भारत अपने रणनीतिक हितों को साधने के लिए BNP के साथ नए सिरे से रिश्ते बनाने की कोशिश करेगा।
आम आदमी पर असर (Human Impact)
बांग्लादेश की आम जनता, जो पिछले कई महीनों से हिंसा, अराजकता और कट्टरपंथियों के उत्पात से जूझ रही है, इस राजनीतिक बदलाव को उम्मीद और आशंका दोनों नजरिए से देख रही है। अगर तारिक रहमान एक मजबूत और स्थिर सरकार देने में सफल होते हैं, तो हिंसा का दौर थम सकता है और अर्थव्यवस्था पटरी पर आ सकती है। लेकिन अगर यह वापसी बदले की राजनीति को जन्म देती है, तो आम नागरिक की मुसीबतें और बढ़ सकती हैं।
विश्लेषण: क्या BNP बचा पाएगी लोकतंत्र की साख?
यह तारिक रहमान और BNP के लिए ‘करो या मरो’ की स्थिति है। एक तरफ मोहम्मद यूनुस की सरकार कट्टरपंथियों और कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर घिरी हुई है, तो दूसरी तरफ शेख हसीना का अध्याय लगभग समाप्त हो चुका है। ऐसे में तारिक रहमान का आना एक ‘वैक्यूम’ को भरने जैसा है।
अगर वे खुद को एक परिपक्व राजनेता के रूप में पेश करते हैं और भारत के साथ संतुलित रिश्ते रखते हुए देश को स्थिरता देते हैं, तो वे एक ‘हीरो’ बनकर उभरेंगे। लेकिन अगर वे पुरानी गलतियों को दोहराते हैं, तो बांग्लादेश फिर से अराजकता की गर्त में जा सकता है। फिलहाल, उनकी वापसी बांग्लादेश की राजनीति का सबसे बड़ा ‘टर्निंग पॉइंट’ साबित हो सकती है।
जानें पूरा मामला
बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से ही राजनीतिक शून्यता बनी हुई है। फरवरी में चुनाव होने हैं, लेकिन कोई भी पार्टी स्पष्ट नेतृत्व नहीं दिखा पा रही थी। खालिदा जिया की तबीयत खराब होने के कारण पार्टी को एक युवा और आक्रामक चेहरे की तलाश थी। तारिक रहमान की वापसी इसी रणनीति का हिस्सा है। सर्वे भी बता रहे हैं कि BNP को आने वाले चुनावों में बड़ी बढ़त मिल सकती है।
मुख्य बातें (Key Points)
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Return: तारिक रहमान 25 दिसंबर को बांग्लादेश लौट रहे हैं।
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Background: वे 2008 से लंदन में निर्वासित थे और उन पर कई आपराधिक मुकदमे थे।
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Election: फरवरी में होने वाले चुनावों में वे BNP के PM उम्मीदवार हो सकते हैं।
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India’s Stance: भारत पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए है और BNP के साथ संपर्क साधने के संकेत दे रहा है।






