पीएफआई के नेटवर्क को लेकर बड़ा खुलासा….

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नई दिल्‍ली, 21 अक्टूबर (The News Air): पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के नेटवर्क को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। ईडी समेत विभिन्न एजेंसियों की जांच में सामने आया है कि पीएफआई की जड़ें भारत के कई राज्यों के साथ-साथ विदेशों तक फैली हुई हैं। इसके अलावा इसके पैसे के स्रोत को लेकर भी बड़ी जानकारियां सामने आई हैं। इस संगठन के खिलाफ जांच 2022 में शुरू हुई थी। इसका सिलसिला शुरू हुआ था दिसंबर 2020 से। तब ईडी ने कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के महासचिव केए रऊफ शेरिफ को गिरफ्तार किया था। इस गिरफ्तारी के बाद पीएफआई के नेटवर्क के बारे में कई जानकारियां सामने आईं। यह संगठन भारत और विदेशों में धन इकट्ठा कर रहा है और देश में आतंकी गतिविधियों के लिए इसका इस्तेमाल कर रहा है।

चार साल की जांच के बाद ईडी द्वारा तैयार डोजियर में कई जानकारियां सामने आई हैं। इसमें केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, जम्मू कश्मीर और मणिपुर में इसके सदस्य और ऑफिस होने की बात सामने आई है। ईडी के डोजियर के अनुसार, 2022 की जुलाई में संगठन द्वारा पीएम मोदी पर हमले का असफल प्रयास हुआ। इसके बाद इस पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया। इस सिंगापुर और पांच खाड़ी देशों में कम से कम 13,000 सदस्य हैं। यहां से अज्ञात लोगों से कैश लिया जाता है और हवाला के जरिए से भारत भेजा जाता है।

इन पैसों को ट्रस्टों और संबद्ध संस्थाओं के 29 बैंक खातों में जमा किया गया। पिछले कुछ साल में ईडी ने भारत से पीएफआई के 26 शीर्ष पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया। इसके बाद उनकी संपत्ति और बैंक खातों को सीज कर दिया गया है। ईडी के डोजियर के मुताबिक पीएफआई ने दिल्ली दंगों और हाथरस में अशांति फैलाने में भूमिका निभाई थी। 2020 के बाद से गिरफ्तार किए गए लोगों में प्रमुख शामिल हैं रऊफ शेरिफ, सीएफआई के राष्ट्रीय महासचिव शफीक पायथ, कतर में स्थित एक पीएफआई सदस्य परवेज अहमद, दिल्ली पीएफआई के अध्यक्ष और साहुल हमीद शामिल हैं। साहुल हमीद सिंगापुर से पीएफआई के लिए हवाला का कारोबार कर रहे हैं।

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