Cyber Fraud CBI Chargesheet: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने एक अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराध नेटवर्क के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए 1000 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले का पर्दाफाश किया है। एजेंसी ने इस मामले में 17 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र (Chargesheet) दाखिल किया है, जिनमें चार चीनी नागरिक भी शामिल हैं। यह गिरोह फर्जी कंपनियों और डिजिटल भुगतान के जरिए आम जनता को शिकार बना रहा था।
111 शेल कंपनियों का जाल
सीबीआई की जांच में सामने आया है कि इस सिंडिकेट ने धोखाधड़ी के पैसे को इधर-उधर करने के लिए 111 शेल (मुखौटा) कंपनियों का इस्तेमाल किया। ये कंपनियां पूरी तरह से फर्जी दस्तावेजों, पतों और निदेशकों के नाम पर बनाई गई थीं। इनका असली मकसद कोई कारोबार करना नहीं, बल्कि बैंक खाते और पेमेंट गेटवे (जैसे यूपीआई, फोनपे) खोलना था ताकि अपराध से कमाए गए पैसे को देश से बाहर भेजा जा सके।
कोरोना काल में शुरू हुआ ठगी का खेल
जांच रिपोर्ट बताती है कि इस धोखाधड़ी की शुरुआत साल 2020 में कोरोना महामारी के दौरान हुई थी। उस समय लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे और नई नौकरियों की तलाश में थे। इसी मजबूरी का फायदा उठाकर इस गिरोह ने फर्जी लोन एप्लिकेशन, नकली निवेश योजनाएं, पोंजी स्कीम और पार्ट-टाइम जॉब के लुभावने ऑफर देकर लोगों को फंसाना शुरू किया।
ऐसे काम करता था सिंडिकेट
यह गिरोह इतना शातिर था कि पैसे के स्रोत को छिपाने के लिए ‘म्यूल अकाउंट्स’ (किराए के खाते) का इस्तेमाल करता था। सीबीआई के मुताबिक, एक ही बैंक खाते में बहुत कम समय में 12 करोड़ रुपये तक जमा किए गए। पैसे आते ही उन्हें तुरंत दूसरे खातों में ट्रांसफर कर दिया जाता था ताकि जांच एजेंसियां उन तक न पहुंच सकें। इस पूरे रैकेट को विदेशी नागरिक रियल टाइम में कंट्रोल कर रहे थे।
विदेशी हैंडलर्स का हाथ
आरोपपत्र में चार चीनी हैंडलर्स—जोई हुवान, वेजियान, लिए और गुहान हुआ—के नाम सामने आए हैं। इन्हीं के इशारे पर भारत में उनके सहयोगियों ने फर्जी कंपनियां बनाईं और म्यूल अकाउंट खोले। जांच में पता चला है कि अगस्त 2025 तक दो भारतीय आरोपियों के बैंक खातों से जुड़ी यूपीआई आईडी सीधे विदेश से ऑपरेट की जा रही थी।
देशभर में छापेमारी और एक्शन
अक्टूबर महीने में इस घोटाले के सामने आने के बाद सीबीआई ने कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, झारखंड और हरियाणा में 27 जगहों पर छापेमारी की थी। इस दौरान कई डिजिटल डिवाइस, दस्तावेज और वित्तीय रिकॉर्ड जब्त किए गए। फॉरेंसिक जांच में मिले सबूतों के आधार पर अब 17 लोगों और 58 कंपनियों को आरोपी बनाया गया है।
जानें पूरा मामला
यह कार्रवाई भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) से मिली जानकारी के आधार पर शुरू हुई थी। शुरुआत में निवेश और नौकरी के नाम पर ठगी की अलग-अलग शिकायतें मिली थीं। लेकिन जब सीबीआई ने इन कड़ियों को जोड़ा, तो पैसों के लेनदेन और डिजिटल सबूत एक बड़े अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट की ओर इशारा करने लगे, जिसके बाद यह बड़ा खुलासा हुआ।
मुख्य बातें (Key Points)
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सीबीआई ने 1000 करोड़ से ज्यादा के साइबर फ्रॉड में चार्जशीट दाखिल की।
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4 चीनी नागरिकों समेत 17 लोग और 58 कंपनियां आरोपी बनाई गईं।
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फर्जी लोन ऐप और पार्ट-टाइम जॉब के नाम पर लोगों को ठगा गया।
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गिरोह विदेश से रियल टाइम में भारतीय बैंक खाते ऑपरेट कर रहा था।






