Insurance Laws (Amendment) Bill, 2025 : क्या आप भी बीमा एजेंटों की लगातार आने वाली कॉल, महंगे प्रीमियम और जरूरत पड़ने पर क्लेम रिजेक्ट होने के डर से परेशान हैं? अगर हाँ, तो यह खबर आपके लिए राहत भरी हो सकती है। केंद्र सरकार ‘इंश्योरेंस लॉ (अमेंडमेंट) बिल, 2025’ लेकर आ रही है, जो भारत के बीमा सेक्टर का पूरा नक्शा बदलने की ताकत रखता है। इस नए कानून के जरिए विदेशी निवेश को 100% मंजूरी देने, एलआईसी को सरकारी दखल से आजाद करने और रेगुलेटर आईआरडीएआई (IRDAI) को और शक्तिशाली बनाने की तैयारी है।
इस कहानी की शुरुआत एक चिंताजनक आंकड़े से करते हैं। भारत में बीमा की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। देश में इंश्योरेंस पेनिट्रेशन (यानी कितने लोग बीमा ले रहे हैं) का स्तर गिर रहा है।
साल 2022-23 में यह 4.2% था, जो 2023-24 में गिरकर 4% पर आ गया और ताजा आंकड़ों (2024-25) के मुताबिक यह 3.7% रह गया है। जबकि पूरी दुनिया का औसत 7% है। यानी हमारे यहां दुनिया के मुकाबले बहुत कम लोगों तक बीमा पहुंच रहा है।
सरकार का ‘सबका बीमा’ प्लान
इसी स्थिति को बदलने के लिए सरकार ‘सबका बीमा, सबकी सुरक्षा’ के तहत यह नया बिल ला रही है। यह बिल मुख्य रूप से तीन पुराने कानूनों में बदलाव करेगा: इंश्योरेंस एक्ट 1938, एलआईसी एक्ट 1956 और आईआरडीएआई एक्ट 1999। इन बदलावों के केंद्र में तीन बड़ी बातें हैं।
पहला बड़ा बदलाव: 100% विदेशी निवेश (FDI)
अभी तक विदेशी कंपनियां भारतीय इंश्योरेंस सेक्टर में सिर्फ 74% तक ही हिस्सेदारी रख सकती थीं। बाकी 26% हिस्सा किसी भारतीय का होना जरूरी था। लेकिन नया बिल कहता है कि अब विदेशी कंपनियां 100% यानी पूरी कंपनी खरीद सकती हैं।
इसका आम आदमी पर क्या असर होगा? जब विदेशी कंपनियां भारत आएंगी, तो ग्राहकों को लुभाने के लिए वे एक-दूसरे से मुकाबला करेंगी।
कंपटीशन बढ़ने से आपको बेहतर और सस्ती पॉलिसी मिल सकती हैं। साथ ही, नई टेक्नोलॉजी भी देश में आएगी। अभी दुनिया की टॉप 25 इंश्योरेंस कंपनियों में से लगभग 20 भारत में नहीं हैं, उनके आने का रास्ता खुलेगा।
दूसरा बदलाव: LIC को आजादी
देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी, लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (LIC) में सरकार की हिस्सेदारी 96.5% है। इस वजह से इसके ज्यादातर फैसलों में सरकार का दखल रहता है।
नए बिल में प्रस्ताव है कि LIC के बोर्ड को अपने फैसले खुद लेने की आजादी दी जाए। चाहे नई ब्रांच खोलनी हो, नए लोगों को नौकरी पर रखना हो या टेक्नोलॉजी अपग्रेड करनी हो।
इससे LIC तेजी से फैसले ले पाएगी और देश के उन दूर-दराज इलाकों में भी आसानी से अपने ऑफिस खोल सकेगी, जहां अभी बीमा की सुविधा नहीं है।
तीसरा बदलाव: रेगुलेटर IRDAI को ‘पावर’
बीमा सेक्टर के रेगुलेटर, ‘इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया’ (IRDAI) को अब शेयर बाजार के रेगुलेटर ‘सेबी’ (SEBI) जैसी ताकतें देने की बात की जा रही है।
अगर कोई इंश्योरेंस कंपनी गलत तरीके से पैसे कमाती है, तो IRDAI उस पैसे को सीधे जब्त कर सकेगा।
सबसे अहम बात, अगर कोई कंपनी गलत तरीके से आपका क्लेम रिजेक्ट करती है या पॉलिसी होल्डर को धोखा देती है, तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। इससे कंपनियों में गलत क्लेम रिजेक्शन का डर पैदा होगा।
विरोध और चिंताएं
हालांकि, यह कहानी एकतरफा नहीं है। इन बदलावों का विरोध भी शुरू हो गया है। ‘ऑल इंडिया इंश्योरेंस एंप्लाइज एसोसिएशन’ (AIIEA) ने 100% FDI का विरोध किया है।
उनका तर्क है कि जब 74% की छूट थी, तब भी विदेशी निवेश सिर्फ 32% ही आया था। तो 100% करने का क्या मतलब?
कर्मचारी यूनियनों को डर है कि विदेशियों को पूरी आजादी देने से कंपनियों का फोकस लोगों की सुरक्षा से हटकर सिर्फ मुनाफा कमाने पर चला जाएगा, जिसका नुकसान गरीबों को होगा।
क्या छूट गया?
इस बिल में एक अहम मांग पूरी नहीं हुई है, वह है ‘कॉम्पोजिट लाइसेंस’। अभी अगर कोई कंपनी लाइफ इंश्योरेंस बेचती है, तो वह हेल्थ या जनरल इंश्योरेंस नहीं बेच सकती। इसके लिए अलग-अलग लाइसेंस लेने पड़ते हैं।
बीमा कंपनियां लंबे समय से मांग कर रही थीं कि उन्हें एक ही लाइसेंस पर हर तरह का बीमा बेचने की छूट मिले, लेकिन इस बिल में इसे शामिल नहीं किया गया है।
12 दिसंबर को कैबिनेट ने इस बिल पर सहमति दे दी है, अब देखना होगा कि संसद में इस पर क्या चर्चा होती है।
मुख्य बातें (Key Points)
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100% FDI: बीमा क्षेत्र में अब विदेशी कंपनियां 100% हिस्सेदारी रख सकेंगी, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और प्रीमियम सस्ते हो सकते हैं।
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LIC को स्वायत्तता: एलआईसी बोर्ड को ब्रांच खोलने और हायरिंग जैसे फैसलों के लिए सरकारी दखल से आजादी मिलेगी।
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IRDAI सख्त होगा: रेगुलेटर को सेबी जैसी शक्तियां मिलेंगी; गलत क्लेम रिजेक्शन पर भारी जुर्माना और पैसे जब्त करने का अधिकार होगा।
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भारत में कम बीमा: भारत में इंश्योरेंस पेनिट्रेशन घटकर 3.7% रह गया है, जो वैश्विक औसत (7%) से काफी कम है।






