Indigo Crisis – पिछले कई दिनों से Indigo Airlines के यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लगातार उड़ानों के रद्द होने और देरी से उड़ने के कारण हजारों यात्री परेशान हैं। इस गंभीर संकट पर अब नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने कड़ा एक्शन लिया है। DGCA ने इंडिगो के CEO Peter Elbers और COO दोनों को समन भेजकर कल दोपहर 3 बजे तलब किया है।
यह संकट केवल यात्रियों की समस्या नहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है। यही वजह है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए केंद्र सरकार से तीखे सवाल पूछे हैं।
DGCA का सख्त रुख, बनी 4 सदस्यीय समिति
DGCA ने इंडिगो के शीर्ष अधिकारियों को तलब करने के साथ ही एक चार सदस्यीय समिति का गठन भी किया है। यह समिति इंडिगो एयरलाइंस के अधिकारियों से पिछले छह दिनों में हुई उड़ानों की कैंसिलेशन और देरी के कारणों पर सवाल-जवाब करेगी।
इसके अलावा, यह समिति क्रू प्लानिंग, ऑपरेशनल तैयारियों और नए Flights Duty Rules के पालन की भी गहन जांच करेगी। DGCA ने इससे पहले रविवार को ही इंडिगो को Show Cause Notice जारी कर 24 घंटे की मोहलत दी थी और चेतावनी दी थी कि जवाब न मिलने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। DGCA ने साफ कहा है कि यात्रियों की सुरक्षा और नियमों के पालन को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को घेरा
दिल्ली हाई कोर्ट में इंडिगो फ्लाइट संकट से प्रभावित यात्रियों को Ground Support और Refund दिलाने की मांग से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से सीधे तौर पर सवाल पूछा कि आखिर ऐसी स्थिति क्यों बनी और इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
कोर्ट ने कहा कि यह सिर्फ यात्रियों की समस्या नहीं है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था से भी जुड़ा मामला है। कोर्ट ने सवाल किया कि लोगों को मुआवजा (Compensation) दिलाने के लिए सरकार ने कोई कदम क्यों नहीं उठाया।
किराये में कैपिंग पर भी उठे सवाल
केंद्र सरकार की ओर से पेश ASG Chetan Sharma ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने एयरलाइन के किराए पर Capping (सीमा) लगाई है और इसे सख्ती से लागू किया गया है। लेकिन कोर्ट ने इस पर असंतोष जताते हुए कहा कि यह Capping 5 दिनों बाद की गई, जब 5,000 रुपये में उपलब्ध होने वाले टिकट 30 से 35 हजार रुपये के हो गए थे।
कोर्ट ने यह भी पूछा कि अगर कोई आपात स्थिति थी, तो दूसरी एयरलाइंस को इसका फायदा उठाने की अनुमति क्यों दी गई। कोर्ट के इन सवालों से अब केंद्र सरकार भी इस पूरे मामले में घिरती हुई नजर आ रही है।
याचिकाकर्ताओं पर भी कोर्ट ने उठाए सवाल
एएसजी चेतन शर्मा ने कहा कि मंत्रालय का इस मामले से सीधा लेना-देना नहीं है, क्योंकि एकल पीठ ने एयरलाइन को 1 नवंबर तक का समय दिया था, लेकिन उनकी ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया। इस पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि अगर वे ऐसा करने में नाकाम रहे, तो सरकार ने क्या किया?
कोर्ट ने यह भी कहा कि यात्रियों की चिंताओं पर उचित तरीके से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हालांकि, कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि याचिका दाखिल करने के तरीके में पर्याप्त शोध और साक्ष्य की कमी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सुनवाई में कोई जल्दबाजी नहीं होगी और इस पूरे मामले में Indigo, DGCA और केंद्र सरकार, तीनों की जवाबदेही तय होगी।
मुख्य बातें (Key Points)
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DGCA ने Indigo के CEO Peter Elbers और COO को कल 3 बजे तलब किया।
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DGCA ने 4 सदस्यीय समिति गठित की है जो Indigo की क्रू प्लानिंग और ऑपरेशनल तैयारी की जांच करेगी।
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दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा, “Indigo Crisis के लिए कौन जिम्मेदार और मुआवजा क्यों नहीं दिया गया?”
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कोर्ट ने महंगे हवाई किराए पर Capping में देरी को लेकर केंद्र पर सवाल उठाए।
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कोर्ट ने Indigo और DGCA के साथ अब केंद्र सरकार को भी घेरा है।






