फिनटेक कंपनी BharatPe से अशनीर ग्रोवर (Ashneer Grover) का नाता खत्म हो गया है। लेकिन, उनके चौंकाने वाले एक खुलासे से यह मसला फिर से सुर्खियों में आ गया है। भारतपे के को-फाउंडर अशनीर ग्रोवर ने कहा है कि भाविक कोलाडिया (Bhavik Koladiya) के शेयरों को उन्होंने और कुछ अन्य इनवेस्टर्स ने खरीद लिए हैं। अन्य इनवेस्टर्स में सिकोइया कैपिटल, बीनेक्स्ट और शाश्वत नकरानी शामिल हैं।
कोलाडिया से भारतपे का क्या संबंध है?
भाविक कोलाडिया और शाश्वत नकरानी के साथ मिलकर ग्रोवर ने 2018 में भारतपे की शुरुआत की थी। अंग्रेजी बिजनेस न्यूज वेबसाइट इकोनॉमिक टाइम्स ने यह खबर दी है।
भारतपे के को-फाउंडर अशनीर ग्रोवर ने कई हफ्ते तक चले विवाद के बाद कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद से भारतपे में कोलाडिया की हिस्सेदारी को लेकर खींचतान जारी थी। दरअसल, कोलाडिया भी भारतपे के को-फाउंडर हैं। अमेरिका में एक क्रेडिट कार्ड फ्रॉड में दोषी करार दिए जाने के बाद भारतपे के प्रबंधन ने कंपनी के उनके शेयरों को अपने कब्जे में ले लिया था।
ग्रोवर ने कंपनी को लिखा था लेटर
ग्रोवर ने हाल में भारतपे के बोर्ड को एक ईमेल लिखा था। यह मेल भारतपे में कोलाडिया की हिससेदारी से जुड़ा था। इसमें ग्रोवर ने कोलाडिया को तुरंत कंपनी से हटाने को कहा था। उन्होंने यह भी लिखा था कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो वह आरबीआई को लिखेंगे। इसमें वह केंद्रीय बैंक से भारतपे के बैंकिंग लाइसेंस को कैंसिल करने की मांग करेंगे। दरअसल, भारतपे यूनिटी स्मॉल फाइनेंस बैंक (USFB) की को-प्रमोटर है।
शेयरहोल्डर के शेयरों पर दावा करना ठीक नहीं
ग्रोवर ने भारतपे के बोर्ड को लिखा है कि किसी कंपनी के शेयरहोल्डर के शेयरों पर किसी अन्य का दावा करना बिल्कुल गलत है और कानून या कॉन्ट्रैक्ट में इसका कोई आधार नहीं है। उन्होंने यह भी लिखा है कि भारतपे के हिस्सेदारों और रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के रिकॉर्ड्स को कई लॉ फर्मों ने देखा है। कंपनी में हिस्सेदारी रखने वाले लोगों का ब्योरा भी वह अहम डॉक्युमेंट है, जिस पर आरबीआई ने भारतपे को बैंकिंग लाइसेंस देने से पहले गौर किया था।
क्या कहता है कंपनी का आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन?
इससे पहले भारतपे ने कहा था कि कोलाडिया एक स्वतंत्र कंसल्टेंट हैं और कंपनी के मैनेजमेंट में उनका डायरेक्ट कोई रोल नहीं है। ग्रोवर ने यह खुलास ऐसे वक्त किया है जब भारतपे का मैनेजमेंट कंपनी में ग्रोवर के शेयरों को कब्जे में लेने की कोशिश कर रहा है। भारतपे के आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन (AOA) में इस बात का जिक्र है कि अगर कोई फाउंडर बोर्ड की मंजूरी के बगैर कंपनी से इस्तीफा दे देता है तो कंपनी उसके शेयरों को मार्केट प्राइस से कम पर खरीद लेगी।