Punjab Haryana Water Dispute : पंजाब (Punjab) और हरियाणा (Haryana) के बीच पानी को लेकर एक बार फिर टकराव की स्थिति बन गई है, जिससे Punjab Haryana Water Dispute एक बार फिर सुर्खियों में है। भाखड़ा नहर (Bhakra Canal) से हरियाणा को मिलने वाले पानी को लेकर पंजाब सरकार ने कटौती का ऐलान कर दिया है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने स्पष्ट किया कि अब हरियाणा को 9500 क्यूसिक की जगह सिर्फ 4000 क्यूसिक पानी ही मिलेगा। मान सरकार के इस फैसले से हरियाणा में गर्मियों के मौसम में पानी की किल्लत बढ़ सकती है।
मुख्यमंत्री मान ने अपने वीडियो संदेश में आरोप लगाया कि भाजपा (BJP) भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (Bhakra Beas Management Board – BBMB) पर दबाव बना रही है कि हरियाणा को अतिरिक्त पानी दिया जाए, जबकि पंजाब के पास कोई “फालतू” पानी नहीं है। उन्होंने कहा कि हरियाणा ने पहले ही अपने हिस्से का पानी मार्च में खत्म कर दिया है। इसलिए अब सिर्फ मानवीय आधार पर 4000 क्यूसिक पानी दिया जा रहा है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर केंद्र सरकार ने पाकिस्तान से रोके गए सिंधु जल समझौते (Indus Water Treaty) के अंतर्गत पानी को पंजाब को दिया, तभी आगे किसी अन्य राज्य को अतिरिक्त पानी दिया जा सकता है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini) ने इस निर्णय का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि यह केवल सतलुज यमुना लिंक (Sutlej Yamuna Link – SYL) का मामला नहीं, बल्कि पीने के पानी (Drinking Water) का विषय है। उन्होंने आरोप लगाया कि जब तक दिल्ली (Delhi) में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार थी, तब तक पानी को लेकर कोई आपत्ति नहीं थी। अब जब सरकार नहीं है, तो दिल्ली की जनता को सज़ा दी जा रही है।
इस पूरे मामले को हरियाणा सरकार ने भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड के रूल्स 1974 की धारा 7 के तहत केंद्र सरकार को भेज दिया है। BBMB ने केंद्र को पत्र लिखकर निर्णय की जिम्मेदारी सौंप दी है। यह बोर्ड केंद्रीय बिजली मंत्रालय (Ministry of Power) के अधीन आता है, जिसके मंत्री हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) हैं। उन्होंने इस विवाद पर रिपोर्ट तलब की है।
वहीं, कांग्रेस (Congress) ने भी भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि हरियाणा को उसका हक मिलना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) ने कहा कि भाजपा सरकार हरियाणा के हितों की रक्षा करने में असफल रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा SYL मामले में हरियाणा के पक्ष में निर्णय दिए जाने के बावजूद राज्य सरकार आज तक उस पर अमल नहीं करवा पाई।
यह जल विवाद अब केवल तकनीकी नहीं, बल्कि पूरी तरह से राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। पंजाब और हरियाणा के बीच पानी के इस संघर्ष में दिल्ली और केंद्र की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो गई है। गर्मी के इस मौसम में यदि कोई स्थायी समाधान नहीं निकला, तो इससे आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।






