बेंगलुरु (Bengaluru) 20 जनवरी (The News Air): टेक इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद उनके चार वर्षीय बेटे की कस्टडी को लेकर विवाद खत्म हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि बच्चा अपनी मां निकिता सिंघानिया (Nikita Singhania) के साथ ही रहेगा। इस फैसले से बच्चे की कस्टडी मांगने वाली उसकी दादी अंजू देवी (Anju Devi) को झटका लगा है।
क्या है मामला? : 9 दिसंबर 2024 को 34 वर्षीय अतुल सुभाष बेंगलुरु में अपने घर में फांसी पर लटके मिले थे। उन्होंने एक सुसाइड नोट छोड़ा था, जिसमें अपनी पत्नी निकिता और ससुरालवालों पर गंभीर आरोप लगाए गए थे।
- सुसाइड नोट में पत्नी और उसके परिवार पर उत्पीड़न का आरोप था।
- निकिता और उनके परिवार के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज हुआ।
- निकिता और उनके परिवार के सदस्यों को बाद में जमानत मिल गई।
बच्चे की कस्टडी पर क्या हुआ विवाद? : अंजू देवी (दादी) ने कोर्ट में याचिका दायर कर बच्चे की कस्टडी मांगी थी। उनका कहना था कि बच्चा उनकी बहू ने उनसे छिपा रखा है।
- अंजू देवी के वकील कुमार दुष्यंत सिंह (Kumar Dushyant Singh) ने तर्क दिया कि छह साल से कम उम्र के बच्चे को बोर्डिंग स्कूल में भेजना अनुचित है।
- उन्होंने दावा किया कि बच्चा उनकी देखरेख में बेहतर तरीके से पल सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
- जस्टिस बी.वी. नागरत्ना (B.V. Nagarathna) और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा (Satish Chandra Sharma) की बेंच ने बच्चे को कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया।
- जब बच्चा पेश नहीं किया गया, तो कोर्ट ने 30 मिनट के भीतर वीडियो लिंक से बच्चे को पेश करने का निर्देश दिया।
- बच्चे को देखकर कोर्ट ने फैसला सुनाया कि बच्चा अपनी मां निकिता सिंघानिया के साथ रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट का अहम रुख : जस्टिस नागरत्ना ने कहा, “यह मामला मीडिया ट्रायल का नहीं है। कोर्ट बच्चे के सर्वोत्तम हित को ध्यान में रखते हुए फैसला ले रहा है।”
- कोर्ट ने दादी के हलफनामे को खारिज कर स्पष्ट कर दिया कि मां की प्राथमिकता होगी।
- बच्चा हरियाणा (Haryana) के फरीदाबाद (Faridabad) के बोर्डिंग स्कूल में पढ़ रहा है और मां के साथ बेंगलुरु जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बच्चे के सर्वोत्तम हित को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। यह मामला न केवल परिवारिक विवाद की एक झलक दिखाता है, बल्कि माता-पिता के बीच कानूनी लड़ाई में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की भी जरूरत को रेखांकित करता है।