ऐक्शन के लिए तैयार रहिए… भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

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बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट की फटकार
नई दिल्ली, 2 अप्रैल (The News Air):: पंतजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को फटकार लगाई है। अदालत ने कहा है कि वो पंतजलि के जवाब से संतुष्ट नहीं है। योगगुरु बाबा रामदेव सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए हैं। उनके साथ आचार्य बालकृष्ण भी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बाबा रामदेव को अदालत में पेश होने का समन जारी किया था।
अदालत ने पतंजलि और आचार्य बालकृष्ण को अदालत के नोटिस का जवाब नहीं देने पर कड़ी आपत्ति जताई थी। सुप्रीम कोर्ट में बाबा रामदेव की ओर से सीनियर वकील बलवीर सिंह पेश हुए। अदालत ने कहा कि आपके खिलाफ दो मामले हैं, जिनका जवाब देना होगा। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बड़े अपडेट्स यहां पढ़िए।

पतंजलि विज्ञापन मामले में सुनवाई के बड़े अपडेट

➤ पंतजलि विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने सुनवाई की। जस्टिस कोहली ने पूछा कि बाबा रामदेव और दूसरे अवमाननाकर्ता का हलफनामा कहां है? पतंजलि के वकील ने जवाब दिया कि वे कोर्ट के अंदर हैं, भीड़ के कारण हम उन्हें यहां नहीं लाए।

➤ जस्टिस कोहली ने पूछा कि बाबा रामदेव के जवाब के बारे में क्या कहना है? वकील ने जवाब दिया कि प्रतिवादी 5 कंपनी है और प्रतिवादी 6 प्रबंध निदेशक है। जस्टिस कोहली ने कहा हम 27 फरवरी के आदेश के पैरा 9 को देख रहे हैं और यह इस बारे में था कि कंपनी और प्रबंधन के खिलाफ अवमानना क्यों नहीं होनी चाहिए और फिर उस हलफनामे को दाखिल न करने का आदेश दिया जाए।

➤ जस्टिस अमानतुल्लाह ने कहा आपको पहले हमें दिखाना होगा कि दोनों जवाब कहां हैं। इसके बाद बाबा रामदेव के वकील ने आचार्य बालकृष्ण का हलफनामा पढ़ा।

➤ न्यायमूर्ति कोहली ने कहा एक बार जब यह अदालती कार्यवाही है और निर्देश हैं तो इसकी जानकारी देने के लिए कौन जिम्मेदार है। यदि यह बचाव योग्य नहीं है तो आपकी माफी काम नहीं करेगी। यह सुप्रीम कोर्ट को दिए गए वचन का घोर उल्लंघन है। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपके वचन का पालन किया जाना चाहिए जो कि गंभीर है।

➤ न्यायमूर्ति कोहली ने आगे कहा जो बात हमें प्रभावित करती है वह यह है कि आपने उसके बाद क्या किया। आपने अदालत के नोटिस का उल्लंघन किया। हम इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं।

➤ जस्टिस कोहली ने कहा आपकी माफी स्वीकार करने का क्या कारण है? आपको मंत्रालय को सूचित करना चाहिए था। आपको यह सब सरकार को बताना चाहिए था।

➤ सीनियर वकील सांघी ने कहा कि ये यह व्यावसायिक नहीं है। इसके जवाब में जस्टिस कोहली बोले कि यह एक व्यावसायिक संगठन है। जस्टिस अमानतुल्लाह ने कहा कि यह मत कहिए कि आप सार्वजनिक हित या सार्वजनिक भलाई की सेवा कर रहे हैं।

➤ इसके बाद बाबा रामदेव के वकील ने अदालत में गलती मानते हुए कहा, ‘चूक हो गई’। जस्टिस कोहली ने कहा कि तो यह अंत है। अगर ये आपसे चूक है तो बस इतना ही। हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते। सीनियर वकील सिंह ने कहा कि हम बिना शर्त माफी मांग रहे हैं। वह माफी मांगने के लिए यहां व्यक्तिगत रूप से मौजूद हैं।’

➤ जस्टिस कोहली ने कहा हमें एक हलफनामे की जरूरत है। इस अवमानना को गंभीरता से लें। कोर्ट को लग रहा है कि आप किसी ऐसे व्यक्ति का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जो इस अदालत को दिए गए वचन पत्र के अनुरूप है। आपका एक कदम आगे बढ़ना और 24 घंटे में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करना दिखाता है कि आपको कार्यवाही के बारे में पता था और फिर भी आपने इसका उल्लंघन किया।

➤ अदालत की सख्ती के बाद बाबा रामदेव के वकील ने फिर से गलती मानने की बात दोहराई। जस्टिस कोहली ने कहा 24 घंटे के अंदर प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई.. क्या आपको जानकारी है? सिंह ने जवाब दिया यह एक गलती है और अदालत की महिमा का अनादर नहीं किया जा सकता, यह एक सीख है। जस्टिस कोहली ने कहा कि तो फिर सबक को तार्किक अंत तक ले जाना चाहिए था।

➤ जस्टिस अमानतुल्लाह बोले- यह सब बकवास है! हम आपके दिल में झांक नहीं सकते! अवमानना के मामलों को इस तरह नहीं निपटाया जाता। कुछ मामलों में उनके तार्किक अंत तक ले जाना पड़ता है। इतनी उदारता नहीं हो सकती।

➤ अदालत में सिंह ने कहा कि वह (बाबा रामदेव) व्यक्तिगत रूप से माफी मांगना चाहते हैं और हम बेहतर हलफनामा दायर कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम ये नहीं सुनना चाहते। हम पहले अवमानना का मामला खत्म करेंगे। आपका अदालत में पेश नहीं होना दर्शाता है कि आप इसे गंभीरता से नहीं ले रहे।

➤ जस्टिस अमानतुल्लाह बोले आप अपने जाल में फंस गए हैं। यहां खड़े होने वाले पहले व्यक्ति को माफी मांगनी चाहिए थी और किसी भी वकील को पहले नहीं उठना चाहिए था।

➤ सीनियर वकील सिंह ने कहा, यह मेरा फैसला था कि आप यहां न आएं और मुझे सुनवाई के दौरान पहले बात रखने दें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा जब अवमाननाकर्ता को बुलाया जाता है तो वकील के पास कोई अधिकार नहीं होता है। यही वह बुनियादी बात है जो हमें आपको सिखानी नहीं है।

➤ जस्टिस कोहली बोले- हालात यहां तक कैसे पहुंचे? यह केवल दिखावटी सेवा है। आप प्रेस के पास क्यों पहुंचे? यह एक आजाद देश है.. आपको कोई नहीं रोक सकता। लेकिन आप जानते हैं कि प्रेस को संबोधित करने की आपकी क्या सीमाएं थीं और आपने उनमें से प्रत्येक का उल्लंघन किया।

➤ बाबा रामदेव के वकील ने कहा कि ये उनके (बाबा रामदेव) लिए एक सबक है। जस्टिस कोहली ने कहा हम यहां उन्हें सिखाने के लिए नहीं हैं। उन्हें जो सम्मान मिलता है और उसकी तुलना आम नागरिकों से नहीं की जा सकती। उनका दावा है कि उन्होंने बहुत अच्छा शोध किया है। हम सिर्फ इसी वजह से इसे गंभीरता से ले रहे हैं।’ हम आम तौर पर अवमानना के मामलों का पालन नहीं करते हैं और यह कानून की महिमा का एहसास कराने के बारे में है, लेकिन कुछ अपवाद भी हैं और शायद आप उस अपवाद के अंतर्गत आ रहे हैं।

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