Global Memory Chip Shortage 2026 : दुनिया भर में एक बार फिर बड़े तकनीकी संकट की आहट सुनाई दे रही है। चिप बनाने वाली दिग्गज कंपनियों और तकनीकी जानकारों ने एक गंभीर चेतावनी जारी की है कि अगले साल, यानी 2026 में दुनिया भर में ‘मेमोरी चिप’ की भारी कमी होने वाली है। इस किल्लत का सीधा और गहरा असर आम लोगों की जेब पर पड़ने वाला है, क्योंकि इससे टीवी से लेकर मोबाइल और कारों तक, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोटिव इंडस्ट्री से जुड़ी कई चीजें महंगी हो सकती हैं।
क्यों आ रहा है यह बड़ा संकट?
इस आने वाले संकट की सबसे बड़ी वजह ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ (AI) का तेजी से बढ़ता बूम है। जानकारों के मुताबिक, कंपनियां एआई से होने वाली भारी डिमांड को प्राथमिकता दे रही हैं। एआई सर्वर, जो एनवीडिया जैसे डिजाइनरों के प्रोसेसर पर चलते हैं, उन्हें ‘हाई बैंडविड्थ मेमोरी’ (HBM) जैसी खास चिप्स की जरूरत होती है। एसके हनिक्स और माइक्रोन जैसी मेमोरी कंपनियां इस डिमांड को पूरा करने में लगी हैं क्योंकि इसमें मार्जिन ज्यादा है और एआई कंपनियां प्रीमियम चिप्स के लिए ज्यादा पैसे देने को तैयार हैं।
एआई के विकास ने उपलब्ध चिप सप्लाई का एक बड़ा हिस्सा अपने नाम कर लिया है। ट्राई ओरिएंट रिसर्च के वाइस प्रेसिडेंट डन निस्टेन ने सीएनबीसी को बताया कि कुल डिमांड के मामले में 2026 का साल मौजूदा साल से कहीं ज्यादा बड़ा दिख रहा है। यही कारण है कि आने वाले समय में मेमोरी चिप के शॉर्टेज की आशंका जताई जा रही है।
भारत पर असर: महंगे होंगे स्मार्ट टीवी और मोबाइल
दुनिया में होने वाली इस चिप की कमी का असर भारत पर भी देखने को मिलेगा। जानकारों का कहना है कि इसका सबसे बुरा असर मोबाइल, लैपटॉप और खासकर स्मार्ट टीवी पर पड़ने वाला है। भारत में एलईडी टीवी की कीमतों में बढ़ोतरी तय मानी जा रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आज के स्मार्ट टीवी के अंदर एक पूरा कंप्यूटर सिस्टम होता है, और मेमोरी चिप उसकी ‘आत्मा’ की तरह काम करती है।
स्मार्ट टीवी में इस्तेमाल होने वाले मेमोरी चिप उसके ऑपरेटिंग सिस्टम, एप्स, इंटरनेट कनेक्टिविटी, यूजर सेटिंग्स और सॉफ्टवेयर अपडेट्स को मैनेज करने के लिए बेहद जरूरी होते हैं। यहां तक कि नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म चलाने, चैनल लिस्ट सेव करने और रिमोट की कमांड समझने तक के हर काम के पीछे यही मेमोरी चिप होती है। एक साधारण टीवी को स्मार्ट टीवी यही चिप बनाती है। ऐसे में जब इसकी सप्लाई पर दबाव बढ़ेगा, तो इसका सीधा असर कीमतों पर पड़ेगा।
आम आदमी पर असर: इसका मतलब है कि जो इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स आज मध्यमवर्गीय परिवारों की पहुंच में हैं, वे आने वाले समय में महंगे हो सकते हैं, जिससे घर का बजट बिगड़ सकता है।
कितने बढ़ेंगे दाम और क्या है दूसरी वजह?
जानकारों का अनुमान है कि मेमोरी चिप की कमी के चलते अगले साल टीवी के दामों में 3% तक की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। दाम बढ़ने की वजह सिर्फ चिप की कमी नहीं है, बल्कि रुपये की घटती वैल्यू भी है। भारत अपनी जरूरत का ज्यादातर चिप आयात करता है। डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर हो रहा है, जिससे चिप आयात करना और महंगा हो गया है।
जब मेमोरी चिप की कीमतें बढ़ेंगी और आयात महंगा होगा, तो जाहिर है कि मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट (लागत) बढ़ जाएगी। कंपनियां यह बढ़ी हुई लागत अपनी जेब से नहीं देंगी, बल्कि वे इसे ग्राहकों से वसूलेंगी। यही वजह है कि आने वाले समय में स्मार्ट टीवी समेत कई इलेक्ट्रॉनिक चीजों के दामों में उछाल देखने को मिल सकता है।
आसान भाषा में समझें: क्या है मेमोरी चिप?
यह एक इलेक्ट्रॉनिक चिप होती है जो डाटा को स्टोर करती है। यह लाखों-करोड़ों छोटे ट्रांजिस्टर से बनी होती है और ज्यादातर सिलिकॉन मटीरियल से बनती है। यह दो तरह की होती है:
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वोलेटाइल मेमोरी (जैसे RAM): इसमें डाटा तभी तक रहता है जब तक डिवाइस में बिजली है। पावर कट होते ही डाटा खत्म हो जाता है। यह टीवी या फोन को तेज काम करने में मदद करती है।
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नॉन-वोलेटाइल मेमोरी: इसमें बिजली बंद होने के बाद भी डाटा सेव रहता है। इसमें टीवी का सॉफ्टवेयर, एप्स और सिस्टम फाइल्स स्टोर रहती हैं।
चीन का एंगल और भविष्य की चिंता
मेमोरी चिप के निर्माण में चीन का बड़ा वर्चस्व है, इसलिए उसकी भूमिका अहम हो जाती है। चीन की सबसे बड़ी कॉन्ट्रैक्ट चिप बनाने वाली कंपनी ने भी कहा है कि मेमोरी चिप की कमी के डर से उसके कस्टमर अपने प्रोडक्ट में इस्तेमाल होने वाली दूसरी तरह के चिप्स के ऑर्डर को रोक रहे हैं। मेमोरी चिप बनाने में सैमसंग, एसके हनिक्स, माइक्रोन, किओक्सिया और वेस्टर्न डिजिटल जैसी कंपनियों का दबदबा है।
हालांकि, भारत ने अपने देश में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जापान दौरे के बाद कई फैक्ट्रियों को मंजूरी भी मिली है ताकि भविष्य में भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सके। लेकिन यह एक लंबी प्रक्रिया है और मौजूदा संकट 2026 में ही दस्तक देने वाला है।
जीएसटी घटने से मिली थी राहत, अब फिर संकट
गौरतलब है कि भारतीय टीवी बाजार बहुत बड़ा है, जिसका मार्केट वैल्यू 2024 में 10 से 12 अरब डॉलर रहा है। हाल ही में, केंद्र सरकार ने ज्यादा से ज्यादा लोगों तक टीवी पहुंचाने के उद्देश्य से टीवी पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया था। इससे टीवी की कीमतों में गिरावट आई थी। 32 इंच के टीवी के दामों में औसतन 3000 से 5000 रुपये तक की कमी देखने को मिली थी, और कुछ मामलों में यह कमी 34000 रुपये तक भी थी। लेकिन अब चिप शॉर्टेज की खबरें इस मिली हुई राहत पर पानी फेर सकती हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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साल 2026 में दुनिया भर में मेमोरी चिप की भारी कमी होने की चेतावनी जारी की गई है।
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इस कमी का मुख्य कारण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के कारण बढ़ी हुई चिप की मांग है।
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भारत में स्मार्ट टीवी, मोबाइल और लैपटॉप की कीमतें बढ़ने की आशंका है; टीवी के दाम 3% तक बढ़ सकते हैं।
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स्मार्ट टीवी के ऑपरेटिंग सिस्टम और एप्स को चलाने के लिए मेमोरी चिप अनिवार्य है।
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कमजोर रुपया और महंगा आयात भी कीमतें बढ़ने की एक बड़ी वजह है।






