Cold Drink Health Risks को लेकर एक बेहद चौंकाने वाला और विस्तृत दावा सामने आया है। जिसे लोग शौक से ‘ठंडा’ समझकर पीते हैं, उसके बारे में कहा गया है कि वह शरीर की हड्डियों को गलाने वाला तेजाब है और अनजाने में आतंकवाद को फंडिंग करने का एक जरिया भी बन रहा है। यह रिपोर्ट आपकी सेहत और राष्ट्रभक्ति दोनों के नजरिए को झकझोर सकती है।
अक्सर माना जाता है कि उम्र बढ़ने के साथ हड्डियां कमजोर होती हैं, लेकिन नया दावा यह है कि हड्डियां उम्र से नहीं, बल्कि गलत खानपान, विशेषकर कोल्ड ड्रिंक्स से कमजोर होती हैं। शरीर में कैल्शियम की कमी नहीं होती, बल्कि कोल्ड ड्रिंक में मौजूद ‘फॉस्फोरिक एसिड’ (Phosphoric Acid) हड्डियों से कैल्शियम खींचकर बाहर निकाल देता है।
इसका सीधा असर यह होता है कि हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, दांत गलने लगते हैं, जोड़ों में दर्द शुरू हो जाता है और कंधे-घुटनों में खिंचाव महसूस होने लगता है। इंसान थकान और कमजोरी का शिकार हो जाता है।
‘ठंडा’ नहीं, यह है टॉयलेट क्लीनर
रिपोर्ट में एक हैरान करने वाला वैज्ञानिक पहलू भी रखा गया है। दावा किया गया है कि प्रयोगशाला परीक्षण में पेप्सी और कोका-कोला जैसी ड्रिंक्स दुनिया की सबसे घटिया गुणवत्ता की चीजें साबित हुई हैं। इनमें वही एसिड इस्तेमाल होता है जो घर में टॉयलेट साफ करने के लिए किया जाता है।
रसायन विज्ञान के पीएच मीटर (pH Meter) से जब इसकी जांच की गई, तो इसकी एसिडिटी का स्तर (pH वैल्यू) 2.4 आया, जो कि अत्यधिक अम्लीय (Highly Acidic) है। चौंकाने वाली बात यह है कि टॉयलेट क्लीनर जैसे हारपिक या फिनाइल का पीएच स्तर भी इतना ही होता है। यानी, कोल्ड ड्रिंक और टॉयलेट क्लीनर की गुणवत्ता एक बराबर बताई गई है।
दांत गलाने और कैंसर का खतरा
इस पेय की भयावहता को दर्शाने के लिए एक व्यक्तिगत प्रयोग का भी जिक्र किया गया है। एक टूटा हुआ इंसानी दांत जब कोका-कोला की बोतल में डाला गया, तो वह महज 15 दिनों में पूरा गायब हो गया। जबकि इंसानी दांत इतना मजबूत होता है कि मरने के बाद अंतिम संस्कार में भी नहीं जलता और हजारों साल तक जमीन में दफन रहने पर भी सुरक्षित रहता है। अगर यह ड्रिंक दांत को गला सकती है, तो पेट के अंदर क्या हाल करती होगी, यह सोचने का विषय है।
दावा है कि इन ड्रिंक्स में 14 तरह के खतरनाक रसायन मिलाए जाते हैं, जो कैंसर पैदा कर सकते हैं। इनमें एस्परटेम (Aspartame) जैसा केमिकल भी शामिल है, जिसे मूत्र नली के कैंसर का बड़ा कारण माना जाता है।
कोल्ड ड्रिंक खरीदना यानी आतंकवाद को बढ़ावा
इस रिपोर्ट में सेहत के साथ-साथ एक गहरा राष्ट्रीय और आर्थिक मुद्दा भी उठाया गया है। यह तर्क दिया गया है कि पेप्सी और कोक पीने वाले लोग अनजाने में भारत माता के दुश्मन बन रहे हैं। जब हम ये विदेशी ड्रिंक्स खरीदते हैं, तो हमारा पैसा अमेरिका जाता है। अमेरिका वही पैसा पाकिस्तान को मदद के रूप में देता है, और पाकिस्तान सरकार वह पैसा आतंकवादियों को देती है, जो भारत में बम धमाके करते हैं।
अफसोस जताया गया है कि पढ़े-लिखे इंजीनियर, डॉक्टर और प्रोफेसर “बेस्ट क्वालिटी” के नाम पर इसे पी रहे हैं, जबकि कम पढ़ा-लिखा किसान गन्ने या संतरे का रस पीकर देश का पैसा देश में ही रखता है। इसे एक तरह की आर्थिक गद्दारी बताया गया है, जिसकी तुलना ऐतिहासिक गद्दार मीर जाफर से की गई है।
बंदरों पर हुआ जानलेवा प्रयोग
इस पेय की विषाक्तता को साबित करने के लिए एक और गंभीर उदाहरण दिया गया है। मनुष्य के सबसे करीबी माने जाने वाले बंदरों पर जब परीक्षण किया गया और उनके खून में इंजेक्शन के जरिए पेप्सी डाली गई, तो डेढ़ से दो घंटे में उनकी मौत हो गई। जबकि बंदर का खून बहुत आदर्श माना जाता है और वह जल्दी बीमार नहीं पड़ता।
यह रिपोर्ट समाज से एक विनम्र अपील करती है कि अगर हम वास्तव में देश से आतंकवाद खत्म करना चाहते हैं और अपनी सेहत बचाना चाहते हैं, तो आज ही संकल्प लें कि न खुद पेप्सी-कोक पिएंगे और न दूसरों को पीने देंगे। मेहमानों को ‘टॉयलेट क्लीनर’ जैसा पेय पिलाने के बजाय गन्ने का रस, नारियल पानी या लस्सी जैसे देशी विकल्प अपनाएं।
मुख्य बातें (Key Points)
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कोल्ड ड्रिंक में मौजूद फॉस्फोरिक एसिड हड्डियों से कैल्शियम खींच लेता है, जिससे हड्डियां कमजोर होती हैं और दांत गलते हैं।
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इसका पीएच लेवल (2.4) टॉयलेट क्लीनर के बराबर होता है, जो इसे अत्यधिक एसिडिक और हानिकारक बनाता है।
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इसमें कैंसर पैदा करने वाले 14 प्रकार के खतरनाक रसायन और एस्परटेम जैसे तत्व होते हैं।
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विदेशी कोल्ड ड्रिंक खरीदने से देश का पैसा बाहर जाता है, जो अप्रत्यक्ष रूप से आतंकवाद को पोषित करता है।






