देश में बासमती की खेती पर नजर जालें 2023 के खरीफ सीजन में 80 लाख टन का उत्पादन हुआ था। पिछले साल से 20 फीसदी ज्यादा उत्पादन हुआ था। देश में बासमती की घरेलू खपत 15 लाख टन है
सूत्रों के हवाले से मिल जानकारी के मुताबिक इंटरनेशनल मार्केट में कीमतों में आई गिरावट के कारण सरकार बासमती की MEP (minimum export price) घटा सकती है। सरकार एक्सपोर्टर्स को राहत देनें के लिए बासमती की MEP में कटौती कर सकती है। सूत्रों का कहना है कि कई वैरायटी के दाम MEP के नीचे आ गए है। इनके दाम घटने से MEP घट सकती है। फिलहाल अभी बासमती की एमईपी 950 डॉलर प्रति टन है। पिछले साल अक्टूबर में बासमती की एमईपी घटी थी।
उस समय बासमती की एमईपी को 1200 डॉलर प्रति टन से घटाकर 950 डॉलर प्रति टन किया गया था। बता दें कि बासमती के ग्लोबल बाजार में भारत का 80 फीसदी हिस्सा है। इस पर इंडस्ट्री का कहना है कि ऊंची MEP से घरेलू खरीद पर असर पड़ने की आशंका है। इससे अगले सीजन के लिए बासमती की खरीद घट सकती है। खरीद घटने से किसानों की आय गिर सकती है।
इंटरनेशनल मार्केट में बासमती के भाव की बात करें तो पूसा 6 का भाव 750-800 डॉलर प्रति टन और पूसा 1509 का भाव भी 750-800 डॉलर प्रति टन है।
कैबिनेट करेगी फैसला?
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक इस मुद्दे पर जल्द ही कैबिनेट की बैठक हो सकती है। इसमें MEP घटाने पर बात बन सकती है। सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट की बैठक में नॉन-बासमती के एक्सपोर्ट में भी रियायत मिलनी संभव है।
देश में बासमती की खेती
देश में बासमती की खेती पर नजर जालें 2023 के खरीफ सीजन में 80 लाख टन का उत्पादन हुआ था। पिछले साल से 20 फीसदी ज्यादा उत्पादन हुआ था। देश में बासमती की घरेलू खपत 15 लाख टन है। सूत्रों के मुताबिक देश में बासमती का कैरी फॉरवर्ड स्टॉक 15-20 लाख टन है। 2024 के खरीफ सीजन में उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है। अच्छे मानसून से बासमती का उत्पादन बढ़ सकता है। उत्पादन बढ़ने से कीमतों और गिरावट संभव है।