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Japan में मुस्लिमों को दफ़नाने पर रोक! Mizuhou Umemura का सबसे बड़ा बयान, Big Controversy!

जापान में मुस्लिम समुदाय की बढ़ती आबादी और दफनाने के लिए जमीन की कमी के बीच सरकार के एक फैसले ने दुनिया भर में बहस छेड़ दी है।

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शुक्रवार, 5 दिसम्बर 2025
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Muslim Burial Rights Japan
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Muslim Burial Rights Japan: तकनीक और परंपरा के अनूठे संगम वाले देश जापान से एक ऐसी खबर आई है, जिसने दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक पहचान पर बहस छेड़ दी है। जापान सरकार ने देश में रह रहे मुस्लिम समुदाय को दफनाने के लिए नए कब्रिस्तान की जमीन देने से साफ इनकार कर दिया है। इतना ही नहीं, सरकार ने यह भी सुझाव दिया है कि वे शवों को उनके मूल देश वापस ले जाएं।

यह फैसला जापान की सख्त सांस्कृतिक और धार्मिक नीतियों को उजागर करता है। जापान एक ऐसा देश है जहां 12 करोड़ से ज्यादा की आबादी रहती है, लेकिन जमीन की भारी कमी है। यहां 99% से ज्यादा मौतों के बाद शवों का दाह संस्कार किया जाता है, जो बौद्ध और शिंतो धर्म की परंपरा है।

इस्लामिक परंपरा और जापान की मजबूरी

इस्लाम में शवों को दफनाना जरूरी है, दाह संस्कार की इजाजत नहीं है। जापान में मुस्लिम आबादी करीब 2 लाख है, जो तेजी से बढ़ रही है। इसी वजह से मुस्लिम समुदाय को दफनाने के लिए जगह की सख्त जरूरत पड़ रही है। लेकिन सरकार ने साफ कर दिया है कि नए कब्रिस्तान के लिए जमीन नहीं मिलेगी।

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सरकार का कहना है कि देश की धार्मिक और भौगोलिक सीमाओं के कारण ऐसा संभव नहीं है। जमीन की कमी एक बड़ा मुद्दा है, इसलिए शवों को अपने देश भेजने का सुझाव दिया गया है।

भावनात्मक और आर्थिक बोझ

इस फैसले ने जापान के मुस्लिम समुदाय में गुस्सा और निराशा भर दी है। परिवारों को अब न सिर्फ अपनों को खोने का भावनात्मक सदमा सहना पड़ेगा, बल्कि शवों को दूसरे देश भेजने का भारी खर्च भी उठाना पड़ेगा, जो हजारों डॉलर तक जा सकता है।

जापान की धार्मिक तस्वीर पर नजर डालें तो यहां 48% लोग शिंतो, 46% बौद्ध, 1% ईसाई और बाकी अन्य धर्मों को मानने वाले हैं, जिनमें मुस्लिम आबादी बहुत कम है। लेकिन बढ़ती आबादी के साथ यह समस्या और गंभीर होती जा रही है।

धार्मिक स्वतंत्रता बनाम व्यावहारिक फैसला

यह नीति सिर्फ जमीन की कमी का मुद्दा नहीं है, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता पर भी सवाल उठाती है। मुस्लिम संगठन इसे भेदभाव बता रहे हैं, जबकि सरकार इसे व्यावहारिक फैसला कह रही है। यूरोप या अमेरिका जैसे देशों में अल्पसंख्यकों के लिए अलग कब्रिस्तान बने हैं, लेकिन जापान की घनी आबादी इसे मुश्किल बना देती है।

आने वाले दिनों में कोर्ट या अंतरराष्ट्रीय दबाव से शायद यह फैसला बदल जाए, लेकिन फिलहाल यह जापान की सख्त सांस्कृतिक पहचान को दर्शाता है। यह मुद्दा हमें सोचने पर मजबूर करता है कि विकास और परंपरा के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा कैसे की जाए।

मुख्य बातें (Key Points)
  • जापान सरकार ने मुस्लिम समुदाय को नए कब्रिस्तान के लिए जमीन देने से इनकार किया।

  • सरकार ने शवों को उनके मूल देश वापस ले जाने का सुझाव दिया है।

  • जापान में 99% शवों का दाह संस्कार होता है, जबकि इस्लाम में दफनाना जरूरी है।

  • मुस्लिम समुदाय इस फैसले से निराश है और इसे भेदभावपूर्ण मान रहा है।

  • जापान में जमीन की भारी कमी और बढ़ती मुस्लिम आबादी इस समस्या की मुख्य वजह है।

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