चंडीगढ़ 10 मईः
शिरोमणी अकाली दल ने बेअदबी मामले में दोषियों को गिरफ्तार करने तथा सजा दिलाने में असफल रहने में मुख्यमंत्री तथा नवजोत सिद्धू दोनों समान रूप से दोषी दोनों नेता इस मामले में न्याय सुनिश्चत करने में अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के बजाय इस मुददे पर राजनीति कर रहे हैं।
यहां एक प्रेस बयान जारी करते हुए अकाली दल के वरिष्ठ नेता और सांसद बलविंदर सिंह भूंदड़ ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि चार साल शासन में रहने के बाजवूद नवजोत सिद्धू बेअदबी का मुददा पूरी तरह से कैप्टन अमरिंदर सिंह से मुख्यमंत्री की कुर्सी छीनने के लिए उठा रहे हैं। ‘ नवजोत सिद्धू ने पिछले चार साल में कभी भी बेअदबी मामले में न्याय हासिल करने के लिए कुछ भी नही किया और अपनी भारत-पाक मैत्री में व्यस्त रहे। यदि उन्होने तब इस मामले में मेहन की होती हो यह मामला अब तक सुलझ गया होता ।
बलविंदर सिंह भूंदड़ ने कहा कि बेअदबी मामलों में न्याय सुनिश्चित करवाना तो सिद्धू के दिमाग में कोसों दूर था कहते हुए कहा कि कांग्रेसी नेता मंत्रियों और विधायको की मीटिंगे कर रहे हैं ताकि बेअदबी मामले पर चर्चा की जा सके बल्कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के विरूद्ध करने के खिलाफ की जा रही हैं। ‘ सिद्धू यही भी जानते हैं कि लोग उनसे 2022 में पूछेंगे कि उन्होने विधानसभा में पवित्र शहर का प्रतिनिधित्व करने के बावजूद इस मामले में न्याय सुनिश्चित करने के लिए कुछ क्यों नही किया और यही कारण है कि वह लोगों के गुस्से से बचने के लिए बेअदबी का मुददा उठा रहे हैं।
राज्यसभा सांसद ने कहा कि अगर सिद्धू वास्तव में बेअदबी के आरोपी को गिरफ्तार करने और दोषी ठहराने के बारे में गंभीर थे तो उन्होने तब आवाज उठाई होती जब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बेअदबी की जांच को शिरोमणी अकाली दल के खिलाफ प्रतिशोध की कवायद में बदल दिया जिससे दोषियों को सजा नही मिलने के बजाय राहत मिली। ‘ कांग्रेस सरकार ने सबसे पहले मुख्यमंत्री के करीबी मित्र जस्टिस (सेवानिवृत) रंजीत सिंह को बेअदबी मामले की जांच के लिए नियुक्त किया। जब पूर्व जज बेअदबी मामले में अकाली दल पर नकेल कसने में नाकाम रहे तो सरकार ने अपने सहयोगी और पूर्व आईजी कुंवर विजय प्रताप सिंह को यह जिम्मेदारी दे दी। पुलिस अधिकारी ने तीन साल मामले की जांच भी की लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री परकाश सिंह बादल और पूर्व गृहमंत्री सरदार सुखबीर सिंह बादल समेत अकाली दल और उसके शीर्ष नेतृत्व को फंसाने की कांग्रेस पार्टी के गेम प्लान में सफल नही हो सके। हाल ही में इस साजिश को उच्च न्यायालय ने भी उजागर किया था जिसने कोटकपुरा फायरिंग केस में कुंवर विजय प्रताप के निष्कर्षों को खारिज कर दिया था और पूर्व आईजी के खिलाफ सख्ती के साथ साथ जांच के पूरे तरीके के अलावा एसआईटी को भंग कर दिया था।
यह बताते हुए कि जब हाईकोर्ट ने सब साफ कर दिया है तथा अब जबकि दूसरी एसआईटी गठित की जा चुकी है , तो कोटकपूरा गोलीकांड के साथ साथ अन्य संबधित मामलों की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए। ‘ एसआईटी की स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से काम करने की अनुमति दी जानी चाहिए और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के पहली योजना के अनुसार आगे बढ़ने के लिए मजबूर नही किया जाना चाहिए’।
भूंदड़ ने कहा कि अकाली दल इस मामले में शीघ्र जांच के लिए खड़ा है और एसआईटी को जांच को यथाशीघ्र पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए छह महीने बीतने का इंतजार नही करना चाहिए।