मुंबई (Mumbai), 25 जनवरी (The News Air): अभिनेता सैफ अली खान (Saif Ali Khan) पर हुए चाकू हमले के मामले में नया मोड़ आ गया है। मुंबई पुलिस अब आरोपी शरीफुल इस्लाम शहजाद मोहम्मद रोहिल्ला अमीन फाकिर का फेशियल रिकग्निशन टेस्ट (FRT) कराने की तैयारी कर रही है। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि यह साफ हो सके कि CCTV फुटेज में कैद व्यक्ति और गिरफ्तार आरोपी एक ही हैं या नहीं।
घटना का पूरा घटनाक्रम
16 जनवरी की रात, एक हमलावर सैफ अली खान के घर में घुसा और चाकू से उन पर हमला कर दिया। सैफ को तुरंत लीलावती अस्पताल (Lilavati Hospital) में भर्ती कराया गया, जहां उनकी सर्जरी की गई। 21 जनवरी को उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
घटना के तीन दिन बाद, पुलिस ने 19 जनवरी को आरोपी शरीफुल को ठाणे (Thane) से गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, आरोपी के पिता ने यह दावा किया है कि उनके बेटे को गलत तरीके से फंसाया जा रहा है और CCTV में दिखने वाला व्यक्ति शरीफुल नहीं है।
CCTV फुटेज बना जांच का आधार
घटना के बाद पुलिस ने सैफ अली खान के घर के पास लगे CCTV कैमरों की फुटेज खंगाली। फुटेज में एक व्यक्ति का चेहरा साफ तौर पर दिख रहा है। हालांकि, जब इसे गिरफ्तार आरोपी से मिलाया गया, तो कई लोगों ने सवाल उठाए कि दोनों के चेहरों में समानता नहीं है।
मुंबई पुलिस ने आरोपी को बांद्रा (Bandra) की मजिस्ट्रेट अदालत में पेश किया, जहां उसकी हिरासत 29 जनवरी तक बढ़ा दी गई है। पुलिस अब FRT टेस्ट के जरिए यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि CCTV में दिखा व्यक्ति शरीफुल ही है या नहीं।
क्या होता है फेशियल रिकग्निशन टेस्ट (FRT)?
फेशियल रिकग्निशन टेस्ट एक बायोमेट्रिक तकनीक (Biometric Technology) है, जो व्यक्ति के चेहरे की विशेषताओं की तुलना उपलब्ध छवियों से करती है। यह तकनीक मुख्य रूप से तीन चरणों में काम करती है:
- चेहरे की पहचान (Face Detection): तस्वीर में चेहरे को पहचानना।
- चेहरा ट्रैकिंग (Face Tracking): एक ही व्यक्ति के चेहरे को अलग-अलग एंगल से ट्रैक करना।
- चेहरे की तुलना (Face Matching): तस्वीरों के बीच समानताओं का विश्लेषण करना।
इस तकनीक में व्यक्ति के चेहरे की आंखों, नाक और होंठों की संरचना, उनके बीच की दूरी, और अन्य बारीकियों को देखा जाता है। यह यह सुनिश्चित करता है कि दो अलग-अलग तस्वीरें एक ही व्यक्ति की हैं या नहीं।
आरोपी के पिता ने लगाए आरोप
शरीफुल के पिता ने दावा किया है कि उनका बेटा निर्दोष है और केवल समानताओं के आधार पर उसे फंसाया जा रहा है। उन्होंने पुलिस पर सवाल उठाते हुए कहा कि CCTV फुटेज में दिख रहा व्यक्ति उनका बेटा नहीं है।
पुलिस का पक्ष:
सरकारी अभियोजक एस. पाटिल और प्रसाद जोशी ने अदालत में कहा कि आरोपी के चेहरे की पहचान की पुष्टि करना जरूरी है। FRT तकनीक से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि गिरफ्तार व्यक्ति वही है जो घटना के समय मौजूद था।
पुलिस की जांच और तैयारियां
मुंबई पुलिस इस मामले की गहन जांच कर रही है। आरोपी को पकड़ने के लिए कुल 35 टीमों का गठन किया गया था। अब तक 50 से अधिक लोगों से पूछताछ की जा चुकी है।
FRT टेस्ट के अलावा, पुलिस अन्य वैज्ञानिक और फोरेंसिक तकनीकों का भी इस्तेमाल कर रही है। जांच अधिकारियों ने कहा है कि आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत जुटाए जा रहे हैं ताकि केस मजबूत हो सके।
क्या सुलझेगा सैफ हमले का रहस्य?
FRT टेस्ट के नतीजे इस केस के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं। यदि CCTV फुटेज और आरोपी की पहचान मेल खाती है, तो यह घटना का सच सामने लाने में मदद करेगी। वहीं, अगर दोनों अलग पाए गए, तो यह पुलिस की जांच के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।
सैफ अली खान पर हमला केवल एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि कानून और व्यवस्था की सुरक्षा पर सवाल है। FRT जैसे आधुनिक तकनीकी कदम इस केस को सुलझाने में मददगार हो सकते हैं।