The News Air – (नई दिल्ली) लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र को लेकर सरकार की तरफ़ से जल्दी ही क़ानून में ज़रूरी बदलाव किया जाएगा। बदलाव के बाद लड़कियों की शादी की सीमा 18 से बढ़ाकर 21 साल कर दी जाएगी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को दो बड़े सुधारों से जुड़े विधेयकों को मंजूरी दे दी। पहला बड़ा सुधार लड़कियों के विवाह की उम्र से जुड़ा है। कैबिनेट ने लड़कों और लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र एक समान, यानी 21 वर्ष करने के विधेयक को मंजूरी दे दी है। यह क़ानून लागू हुआ तो सभी धर्मों और वर्गों में लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र बदल जाएगी। वहीं, चुनाव सुधारों से जुड़े विधेयक को भी मंजूरी दे दी गई है।
इस विधेयक के संसद से पास होने पर वोटर ID को आधार कार्ड से जोड़ने के साथ ही नए वोटरों को रजिस्ट्रेशन के ज़्यादा मौक़े मिलेंगे। माना जा रहा है कि ये दोनों विधेयक संसद के मौजूदा सत्र में ही पेश किए जाएंगे। यह दोनों ही सुधार अपने आप में क्रांतिकारी माने जा रहे हैं। लड़कियों और लड़कों के विवाह की न्यूनतम उम्र एक समान करने की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2020 में लाल क़िले से अपने संबोधन के दौरान की थी। वहीं, चुनाव सुधारों का मुद्दा चुनाव आयोग काफ़ी समय से उठाता आ रहा है।
मोदी सरकार के कार्यकाल में विवाह के संबंध में दूसरा बड़ा सुधार
लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र पर विचार के लिए जया जेटली की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स का गठन किया गया था जिसने अपनी रिपोर्ट पिछले साल दिसंबर में नीति आयोग को सुपुर्द की थी। टास्कफोर्स ने युवतियों की विवाह की उम्र बढ़ाकर 21 वर्ष करने का पूरा रोल आउट प्लान सौंपा था और इसे समान रूप से पूरे देश में सभी वर्गों पर लागू करने की मज़बूत सिफ़ारिश की है। मोदी सरकार के कार्यकाल में विवाह के संबंध यह दूसरा बड़ा सुधार है जो समान रूप से सभी धर्मों के लिए लागू होगा। इससे पहले NRI मैरिज को 30 दिन के भीतर पंजीकृत कराने का बड़ा क़दम उठाया गया।
देश के जाने-माने स्कॉलर्स, क़ानूनी विशेषज्ञों, नागरिक संगठनों से परामर्श
10 सदस्यों की टास्क फोर्स ने देशभर के जाने-माने स्कॉलर्स, क़ानूनी विशेषज्ञों, नागरिक संगठनों के नेताओं से परामर्श किया। वेबिनार के ज़रिए देश में सीधे महिला प्रतिनिधियों से बातचीत कर रिपोर्ट को दिसंबर के अंतिम सप्ताह में सरकार के सुपुर्द कर दिया गया।
शादी की उम्र 21 साल रखने के लिए 4 क़ानूनों में संशोधनों की सिफ़ारिश
टास्क फोर्स ने शादी की उम्र समान 21 साल रखने को लेकर 4 क़ानूनों में संशोधनों की सिफ़ारिश की है। युवतियों की न्यूनतम उम्र में आखिरी बदलाव 1978 में किया गया था और इसके लिए शारदा एक्ट 1929 में परिवर्तन कर उम्र 15 से 18 की गई थी।
देश में 18-21 साल के बीच शादी करने वाली लड़कियां की संख्या 16 करोड़
UNICEF के अनुसार भारत में हर साल 15 लाख लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में हो होती है। जनगणना महापंजीयक के मुताबिक़ देश में 18 से 21 साल के बीच विवाह करने वाली युवतियों की संख्या क़रीब 16 करोड़ है।
आधार से जोड़ने की व्यवस्था अभी वैकल्पिक होगी
चुनाव आयोग ने मतदान पहचान पत्र को आधार से जोड़ने की सिफ़ारिश की थी, ताकि मतदाता सूची को पारदर्शी और सटीक बनाया जा सके। फ़र्ज़ी मतदाताओं या एक से अधिक जगह मतदाता सूची में दर्ज़ वोटरों को हटाने में भी मदद मिलेगी। चुनाव आयोग माई ग्रैंट वर्करों को उनकी रिहायश के शहरों में वोट देने की मंशा रखता है और इससे यह क़दम साकार हो सकेगा।
वन नेशन वन डेटा की दिशा में भी यह बड़ा क़दम होगा। जनप्रतिनिधि क़ानून में संशोधन करते हुए 1 जनवरी के बाद 18 साल के होने वाले युवाओं को साल में चार बार मतदान सूची में नाम दर्ज़ करने की अनुमति देने का प्रावधान भी इस विधेयक में होगा। अभी तक वे सिर्फ़ एक बार ही यह मौक़ा हासिल करते हैं।