Pakistan Army Chief Asim Munir के लिए अमेरिका की आगामी यात्रा किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होने वाली है। व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के बीच होने वाली इस मुलाकात को लेकर वैश्विक गलियारों में सुगबुगाहट तेज हो गई है। खबर है कि ट्रंप के 20 सूत्रीय गाजा शांति प्लान (Gaza Peace Plan) के तहत पाकिस्तान पर अपनी सेना को ‘स्टेबलाइजेशन फोर्स’ के रूप में गाजा में तैनात करने का भारी दबाव है।
6 महीने के भीतर असीम मुनीर और डॉनल्ड ट्रंप की यह तीसरी मुलाकात होगी, जो पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए बड़े खतरे की घंटी मानी जा रही है। एक तरफ ट्रंप का दबाव है और दूसरी तरफ पाकिस्तान की आवाम, जो इजराइल को मान्यता न देने के कारण अपनी सेना की वहां तैनाती का पुरजोर विरोध कर सकती है। शहबाज शरीफ सरकार ने अपनी पूरी ताकत जनरल मुनीर के हाथ में सौंप दी है, लेकिन अब यही ताकत उनके गले की फांस बनती दिख रही है।
ट्रंप की ‘चाल’ और पाकिस्तान की बेबसी
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप चाहते हैं कि मुस्लिम देशों की एक संयुक्त फौज फिलिस्तीन में पुनर्निर्माण और सुरक्षा का जिम्मा संभाले। इस योजना में पाकिस्तान की सेना को शामिल करना ट्रंप की रणनीति का अहम हिस्सा है। विश्लेषकों का मानना है कि यदि असीम मुनीर इस प्रस्ताव को ठुकराते हैं, तो ट्रंप की नाराजगी पाकिस्तान को मिलने वाली सुरक्षा सहायता और निवेश को रोक सकती है। पाकिस्तान इस समय आर्थिक तंगी से जूझ रहा है और उसे अमेरिका से बड़े निवेश और डिफेंस डील की सख्त जरूरत है।
असीम मुनीर की बढ़ी ताकत और जनता का डर
पाकिस्तान में हाल ही में संविधान में 27वां संशोधन किया गया है, जिसका एकमात्र उद्देश्य सीडीएफ असीम मुनीर की शक्तियों को असीमित करना था। विपक्ष ने इस कदम का कड़ा विरोध किया है, लेकिन मुनीर अब देश के सबसे ताकतवर शख्स बन चुके हैं। हालांकि, गाजा में सेना भेजने का फैसला उनके लिए जोखिम भरा हो सकता है। अगर पाकिस्तानी सैनिक इजराइल समर्थित शांति योजना के तहत वहां तैनात होते हैं, तो पाकिस्तान के भीतर इमरान खान समर्थकों और आम जनता का गुस्सा फूट सकता है, जिससे तख्तापलट जैसी स्थिति भी पैदा हो सकती है।
क्या भारत के साथ रिश्तों पर होगी बात?
इस महत्वपूर्ण बैठक में केवल गाजा ही नहीं, बल्कि भारत और पाकिस्तान के तनावपूर्ण रिश्तों पर भी चर्चा होने की संभावना है। माना जा रहा है कि डॉनल्ड ट्रंप भारत के साथ व्यापारिक और रणनीतिक संतुलन बनाने के लिए असीम मुनीर को भारत के सामने ‘सरेंडर’ करने या रिश्ते सुधारने की पहल करने के लिए कह सकते हैं। ट्रंप और मुनीर के बीच की यह ‘सीक्रेट डील’ क्या मोड़ लेगी, इस पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं।
सुरक्षा स्थिति और घरेलू शांति पर असर
पाकिस्तान की सेना अगर किसी विदेशी युद्ध या शांति मिशन का हिस्सा बनती है, तो इसका सीधा असर वहां की सुरक्षा स्थिति और घरेलू शांति पर पड़ेगा। आम नागरिकों को विरोध प्रदर्शनों और राजनीतिक अस्थिरता के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
क्या है पृष्ठभूमि
पाकिस्तान और अमेरिका के बीच पिछले कुछ महीनों में नजदीकियां बढ़ी हैं, खासकर रेयर मिनरल्स और निवेश के क्षेत्र में। ट्रंप ने असीम मुनीर को एक ‘महान व्यक्ति’ करार दिया है, लेकिन इतिहास गवाह है कि ट्रंप के शांति समझौते अक्सर कड़े शर्तों के साथ आते हैं। पाकिस्तान इस समय अपनी सेना और सरकार के बीच के संतुलन को बनाए रखने और अमेरिका को खुश रखने की दोहरी चुनौती से जूझ रहा है।
मुख्य बातें (Key Points)
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असीम मुनीर की US यात्रा: 6 महीने में तीसरी बार ट्रंप से मिलेंगे पाकिस्तानी सेना प्रमुख।
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गाजा में सेना की तैनाती: ट्रंप चाहते हैं कि पाकिस्तानी फौज गाजा में शांति सेना के रूप में तैनात हो।
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ट्रंप की नाराजगी का डर: प्रस्ताव ठुकराने पर पाकिस्तान को मिलने वाली सुरक्षा सहायता बंद हो सकती है।
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घरेलू विरोध का खतरा: इजराइल से जुड़े किसी भी मिशन में सेना भेजने पर पाकिस्तान में गृहयुद्ध जैसी स्थिति बन सकती है।






