- आज दिल्ली के लोगों को उद्धव ठाकरे की शिवसेना का साथ मिला, जनतंत्र और दिल्ली विरोधी क़ानून को मिलकर राज्यसभा में पास नहीं होने देंगे- अरविंद केजरीवाल
- पहले ये ऑपरेशन लोटस में फेल हुए, अब 8 साल की लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली को अधिकार मिले तो इन्होंने अध्यादेश लाकर 8 दिन में ही हमारी शक्तियां छीन ली- अरविंद केजरीवाल
- भाजपा वाले सुप्रीम कोर्ट के जजों को गालियां देते हैं, इनका संदेश साफ है कोर्ट जो मर्जी आदेश दे, अध्यादेश लाकर पलट देंगे- अरविंद केजरीवाल
- अगर राज्यसभा में यह बिल गिर जाता है तो 2024 में मोदी सरकार वापसी नहीं कर पाएगी- अरविंद केजरीवाल
- दिल्ली के अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला लोकतंत्र के लिए जरूरी था, लेकिन केंद्र ने अध्यादेश लाकर पलट दिया- उद्धव ठाकरे
- लोकतंत्र विरोधी लोगों का मुकाबला करने और संविधान को बचाने के लिए हम एक साथ आए हैं- उद्धव ठाकरे
- अगले साल लोकसभा चुनाव है, इस बार ट्रेन छूट गई तो हमारे देश से प्रजातंत्र गायब हो जाएगा- उद्धव ठाकरे
- हमारा लोकतंत्र गंभीर खतरे में है, देश में इलेक्टेड की जगह सेलेक्टेड लोग सरकारें चला रहे हैं- भगवंत मान
- पार्टियों के बीच वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन देश को बचाने के लिए सभी को एक होना पड़ेगा- भगवंत मान
नई दिल्ली/महाराष्ट्र, 24 मई (The News Air) केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों को साथ लाने की आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की मुहिम रंग ला रही है। बुधवार को उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने भी दिल्ली का साथ देने का एलान कर दिया। इससे पहले, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, बिहार के सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव इस अध्यादेश का राज्यसभा में विरोध करने का एलान कर चुके हैं। मुम्बई में हुई मुलाकात के दौरान अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के लोगों को शिवसेना और उद्धव ठाकरे का भी साथ मिल गया है। हम सभी मिलकर जन विरोधी और दिल्ली विरोधी क़ानून को राज्यसभा में पास नहीं होने देंगे। वहीं, उद्धव ठाकरे ने कहा कि दिल्ली के अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया फैसला लोकतंत्र के लिए बहुत जरूरी था, लेकिन केंद्र ने अध्यादेश लाकर इसे पलट दिया। लोकतंत्र विरोधी लोगों से देश के संविधान को बचाने के लिए हम सभी साथ हैं।
जनतंत्र में जनता के हित में कार्य करने के लिए चुनी हुई सरकार के पास शक्तियां होनी चाहिए- अरविंद केजरीवाल
‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का धन्यवाद करते हुए कहा कि सभी जानते हैं कि दिल्ली के लोगों ने अपने अधिकारों के लिए बहुत लंबी लड़ाई लड़ी। 2015 में जैसे ही दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी, वैसे ही मोदी सरकार ने एक अधिसूचना पारित कर हमारी सारी शक्तियां छीन ली। हमारी फरवरी 2015 में सरकार बनी और मई में (तीन महीने के अंदर) मोदी सरकार ने अधिसूचना जारी कर हमारी शक्तियां हमसे छीन ली। इसके बाद दिल्ली के लोगों ने 8 साल तक सुप्रीम कोर्ट में अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया। आठ साल की लंबी लड़ाई के बाद जिस दिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, उसके मात्र 8 दिन के अंदर ही केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर दोबारा हमसे हमारी सारी शक्तियां छीन ली। जनतंत्र में तो चुनी हुई सरकार के पास शक्तियां होनी चाहिए, ताकि वो जनता के हित में कार्य कर सके। क्योंकि जनतंत्र में चुनी हुई सरकार ही जनता के प्रति जवाबदेह होती है। मगर मोदी सरकार ने हमने सारी शक्तियां छीन ली। ये लोग साफ कह रहे हैं कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नहीं मानते हैं।
इन्होंने सीबीआई-ईडी और पैसे के दम पर विधायकों को तोड़कर चुनी हुई उद्धव ठाकरे की सरकार गिरा दी- अरविंद केजरीवाल
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में हमने यह भी देखा कि कैसे इनके मंत्रियों और नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के दूसरे न्यायाधीशों को गालियां दी। ये देश के न्यायाधीशों को गंदी-गंदी गालियां देते हैं। देश की न्यायपालिका और न्यायाधीशों के खिलाफ सोशल मीडिया पर अभियान चलाते हैं। इनके लोग सेवानिवृत न्यायाधीशों को देशद्रोही बोलते हैं। यानी इनका देश की न्यायपालिका को नहीं मानते। अब अध्यादेश लाकर इन्होंने ये साफ कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट चाहे जो मर्जी फैसले ले, हम उसे नहीं मानते हैं। हम कभी भी अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट देंगे। इस प्रकार तो देश नहीं चल पाएगा। ये लोग देश के लोकतंत्र को भी नहीं मानते। इसकी शिवसेना सबसे बड़ी भुक्तभोगी है। महाराष्ट्र में जनता द्वारा बहुमत से चुनी हुई सरकार को इन्होंने ईडी-सीबीआई और पैसे के बल पर विधायकों को तोड़कर गिरा दी। यह सबने देखा है।
केंद्र का अध्यादेश भाजपा के अहंकार का नजीता, सुप्रीम कोर्ट ने इनके खिलाफ कैसे फैसला दे दिया?- अरविंद केजरीवाल
उन्होंने कहा कि भाजपा तीन तरह से गैर भाजपा शासित राज्य सरकारों की शक्तियां छीन रही है। अगर किसी राज्य में भाजपा की सरकार नहीं बनती है तो ये उसके विधायकों को खरीद कर सरकार गिरा देंगे या विधायकों को ईडी-सीबीआई का डर दिखाकर उनकी सरकार को गिरा देंगे या फिर अध्यादेश लाकर विपक्षी दलों की सरकार की शक्तियां छीन लेंगे। यही काम भाजपा ने दिल्ली में किया। भाजपा के लोगों ने दिल्ली में दो-तीन बार ऑपरेशन लोटस किया और हमारे विधायकों को खरीदने की कोशिश की, लेकिन हमारा एक भी विधायक नहीं बिका। जब भाजपा ने देखा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार नहीं गिर रही तो इन्होंने अध्यादेश लाकर हमारी सारी शक्तियां छीन लीं। इन लोगों को बहुत ज्यादा अंहकार हो गया है। जब किसी आदमी को बहुत ज्यादा अहंकार हो जाता है तो वह बहुत स्वार्थी हो जाता है। इतने अहंकार और स्वार्थ के बीच जीने वाला व्यक्ति देश नहीं चला सकता। फिर वो देश के बारे में नहीं सोचता है। केंद्र का अध्यादेश इनके अहंकार का नजीता है कि सुप्रीम कोर्ट की हिम्मत कैसे हो गई हमारे खिलाफ आदेश देने की। हम देखते हैं। जब कोई व्यक्ति अहंकार में आ जाता है तो फिर कुछ नहीं बचता है।
पंजाब में राज्यपाल ने बजट सत्र की मंजूरी नहीं दी और सरकार को सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा- अरविंद केजरीवाल
‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के लोगों की लड़ाई में साथ देने के लिए शिवासेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को बधाई देते हुए कहा कि ये लड़ाई केवल दिल्ली के लोगों की ही नहीं है, ये लड़ाई देश के संविधान, जनतंत्र और संघीय ढांचे की है। आज जिस तरह से पूरे देश में राज्य सरकारों को तंग किया जा रहा है, ईडी-सीबीआई का डर दिखाकर सरकारें तोड़ी जा रही हैं। यहां तक कि राज्यपाल के जरिए मनमर्जी चलाई जा रही है, जो हैरान करने वाली बात है। पंजाब में इस बार राज्यपाल ने बजट सत्र नहीं बुलाने दिया। राज्यपाल ने कहा कि पंजाब में बजट सत्र ही नहीं होगा। राज्यपाल ने बजट सत्र की मंजूरी नहीं दी। पंजाब सरकार को मात्र एक बजट सत्र कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। जब पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट से आदेश लेकर आई तब जाकर बजट सत्र कराया गया। इस तरह से तो जनतंत्र ही नहीं बचेगा। फिर तो देश में चुनाव ही नहीं कराने चाहिए। बस एक प्रधानमंत्री और 31 राज्यपाल बैठकर अपना देश चला लेंगे। इस तरह से तो कोई मुख्यमंत्री, मंत्री परिषद की जरूरत ही नहीं रहेगी। शिवासेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने हमसे वादा किया है कि जब संसद में इस अध्यादेश का बिल आएगा तो वे इसके खिलाफ दिल्लीवालों का समर्थन करेंगे। इसके लिए मैं दिल्ली के लोगों की तरफ से उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी का धन्यवाद करता हूं। यह पहल एक तरह से 2024 का सेमी फाइनल होगा। अगर राज्यसभा में ये बिल गिर जाता है तो 2024 के चुनाव में मोदी सरकार दोबारा सत्ता में नहीं आ पाएगी।
सभी देशप्रेमी हैं, लेकिन देश से प्रजातंत्र खत्म करने वालों को हम लोकतंत्र विरोधी कहते हैं- उद्धव ठाकरे
वहीं, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि आने वाला वर्ष चुनाव का है। इस बार अगर ट्रेन छूट गई तो हमारे देश से प्रजातंत्र हमेशा के लिए गायब हो जाएगा। प्रजातंत्र को बचाने के लिए हम एक साथ आए हैं। मैं “विपक्षी एकता शब्द” का प्रयोग नहीं करूंगा, क्योंकि हम किसी के विपक्ष या विरोधी नहीं हैं। हम सभी देशप्रेमी हैं। देश से जो लोग प्रजातंत्र को हटाना चाहते हैं, ऐसे लोगों को हम लोकतंत्र विरोधी कहते हैं। आज हम देश के लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए और इन लोकतंत्र विरोधी लोगों का मुकाबला करने के लिए एक साथ आए हैं। बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने दो फैसले दिए। इसमें से एक शिवसेना के बारे में और दूसरा दिल्ली के विषय में था। प्रजातंत्र में सबसे ज्यादा महत्व लोक प्रतिनिधि का होना चाहिए। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के बारे में जो सर्वाेच्च न्यायालय ने फैसला किया है, वह प्रजातंत्र के लिए आवश्यक था। लेकिन इसके खिलाफ केंद्र सरकार जो अध्यादेश लेकर आई वो प्रजातंत्र के खिलाफ है। आम आदमी पार्टी को जनता ने चुना है, वो जनता के प्रतिनिधी हैं। इसलिए उन्हें कुछ अधिकार होने चाहिए। इस तरह से तो भविष्य में शायद ऐसे भी दिन आ जाएंगे, जब राज्यों में चुनाव ही नहीं होंगे। सिर्फ केंद्र में ही चुनाव होंगे और वो भी सिर्फ 2024 तक लोकसभा चुनाव होने की संभावना है। जनता जो फैसला करेगी, उसका परिणाम सामने दिखेगा। इसीलिए आज हम देश की जनता को नींद से जगाने के लिए साथ आए हैं।
राज्यों के राजभवन भाजपा के हेड ऑफिस और राज्यपाल इनके स्टार कंपेनर बन गए हैं- भगवंत मान
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि आज लोकतंत्र गंभीर खतरे में हैं। आज जनता द्वारा चुने हुए लोग नहीं, बल्कि केंद्र सरकार द्वारा चयनित लोग जनता और सरकार को चला रहे हैं। जबकि लोकतंत्र का मतलब होता है जिन्हें जनता ने चुनकर भेजा है। मगर राज्यपाल तो केंद्र सरकार द्वारा चयनित हैं। राज्यपाल और उपराज्यपाल को जनता ने नहीं चुना है और न ही उन्होंने जनता का वोट लिया है। उन्हें तो केंद्र सरकार ने अपनी मर्जी से चयनित कर चुनी हुई सरकारों को तंग करने के लिए भेजा है। पंजाब में राज्यपाल इस बात से मुकर गए कि वे बजट सत्र में “मेरी सरकार” शब्द का इस्तेमाल नहीं करेंगे। हमें सुप्रीम कोर्ट में जाकर इसके लिए आदेश लेना पड़ा। देशभर के राजभवन आज भाजपा के मुख्यालय बन गए हैं और राज्यपाल इनके स्टार प्रचारक बन गए हैं। ये लोग जहां जीतकर नहीं आते वहां उपचुनाव से आ जाते हैं। उपचुनाव से भी नहीं आए तो विधायकों को खरीद लेते हैं। उन्होंने कहा कि पार्टियों के आपस में वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन देश बचाने के लिए हमें इकट्ठा होना पड़ेगा। अगर देश ही नहीं बचा तो पार्टियां क्या करेंगी? 2024 में अगर ये आ गए तो संविधान को बदल देंगे और चुनाव नहीं कराएंगे। ये यही कहेंगे कि 35-40 सालों के लिए सिर्फ मैं ही रहूंगा, जो देश के लोकतंत्र के लिए बहुत खतरनाक है। हम सभी को मिलकर देश को बचाना है।