अमृतसर (The News Air) पंजाब के तरनतारन से 1992 में लापता हुए फौजी, उसके बेटे और दो रिश्तेदारों के मामले में CBI की स्पेशल कोर्ट ने पूर्व SHO को दोषी करार दे दिया है। वहीं इस मामले में 3 आरोपियों को रिहा कर दिया गया। कोर्ट इस मामले में IPC की धारा 364 व 342 के अंतर्गत दोषी SHO को 5 अप्रैल के दिन सजा सुनाएगी।
मोहाली की CBI अदालत ने उस समय के थानेदार सुरिंदर पाल सिंह को पूर्व सैनिक प्यारा सिंह, बेटे हरफुल सिंह और उनके दो रिश्तेदारों को अवैध रूप से हिरासत में रखने, अपहरण और गायब करने के मामले में दोषी ठहराया है। शुरुआत में तीन अन्य भूपिंदरजीत सिंह, रामनाथ और नजीर सिंह को भी आरोपी बनाया गया था। लेकिन संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया गया है।
23 जुलाई 1992 को किया गया था गिरफ्तार
23 जुलाई 1992 को शाम 8-9 बजे के करीब पुलिस ने रिटायर्ड फौजी प्यारा सिंह, पुत्र हरफुल सिंह, भतीजे गुरदीप सिंह पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड कर्मचारी और अन्य रिश्तेदार स्वर्ण सिंह को गांव जिओबल, तरनतारन गिरफ्तार कर लिया था। लोगों को अलग-अलग थानों में हिरासत में रखा गया। गुरदीप सिंह द्वारा रुक्का भी भेजा गया था कि उन्हें पुलिस स्टेशन वेरोवाल में हिरासत में लिया गया। उस समय PSEB यूनियन ने तत्कालीन SP (ऑपरेशन) तरनतारन खुबी राम से मुलाकात की, जिन्होंने 27 जुलाई 1992 को रिहा करने के आदेश भी डीएसपी गोइंदवाल को जारी किए थे।
इसके बाद चारों हो गए थे लापता
इन आदेशों के बाद चारों को रिहा तो नहीं किया गया, बल्कि चारों का कोई पता नहीं चला और वे गायब हो गए। वर्ष 1996 में प्यारा सिंह की पत्नी जागीर कौर ने माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में अपने याचिका दायर कर दी। इन चारों व्यक्तियों के लापता होने की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं।
10 फरवरी 2000 को इन आदेशों के अनुसार, सीबीआई ने तत्कालीन डीएसपी गोइंदवाल भूपिंदरजीत सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 120-बी आर/डब्ल्यू 364 और 342 के तहत मामला दर्ज किया। निरीक्षण सुरिंदरपाल सिंह तत्कालीन एसएचओ गोइंदवाल को भी इसमें जोड़ा गया और वहीं, तेग बहादुर तत्कालीन ASI पुलिस स्टेशन गोइंदवाल, एसएचओ वेरोवाल और अन्य अज्ञात पुलिस अधिकारियों के नाम शामिल किए गए। 30.मार्च 2002 को CBI ने भूपिंदरजीत सिंह, सुरिंदरपाल सिंह, तेग बहादुर सिंह, नज़र सिंह और राम नाथ के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट पेश कर दी थी।