Journalist Suicide in Hyderabad की खबर ने मीडिया जगत और आम जनता को झकझोर कर रख दिया है। हैदराबाद (Hyderabad) में एक प्रमुख तेलुगु न्यूज चैनल (Telugu news channel) की 40 वर्षीय महिला पत्रकार और एंकर स्वेच्छा वी. (Swetcha V.) का शव उनके घर में पंखे से लटका मिला। शुक्रवार (Friday) की रात हुई इस घटना की जानकारी पुलिस (Police) ने शनिवार को दी। पुलिस ने प्रारंभिक जांच में इसे आत्महत्या का मामला माना है और आत्महत्या की धाराओं में केस दर्ज (FIR) कर लिया गया है।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, स्वेच्छा वी. के पिता द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में एक व्यक्ति को उनकी बेटी की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है और उस संदिग्ध व्यक्ति से पूछताछ की जा रही है।
भारत राष्ट्र समिति (BRS) के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव (K.T. Rama Rao) ने पत्रकार की मौत पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने एक्स (X formerly Twitter) पर लिखा, “स्वेच्छा वोटारकर की दुर्भाग्यपूर्ण मौत की खबर से गहरा दुख हुआ। वह एक निडर पत्रकार, लेखिका और तेलंगाना की समर्पित नागरिक थीं। मेरे पास शब्द नहीं हैं।” उन्होंने आगे लिखा कि अगर कभी जीवन कठिन लगे तो बिना झिझक किसी पेशेवर से मदद लें। जीवन अमूल्य है और मदद हमेशा उपलब्ध है।
इस मामले ने आत्महत्या और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को एक बार फिर से चर्चा में ला दिया है। पत्रकारों की लगातार मानसिक, सामाजिक और पेशेवर चुनौतियों के बीच यह घटना एक चेतावनी है कि कैसे व्यक्तिगत संघर्ष उन्हें अंदर से तोड़ सकते हैं।
इसी बीच, केरल (Kerala) से भी एक आत्महत्या की दुखद खबर सामने आई है। राज्य बाल अधिकार आयोग (Kerala State Commission for Protection of Child Rights) ने एक निजी स्कूल (Private School) की 9वीं कक्षा की छात्रा की आत्महत्या पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जांच शुरू कर दी है। छात्रा का शव 23 जून को उसके घर में फांसी के फंदे से लटका मिला था। परिवार ने दावा किया है कि छात्रा ने सुसाइड नोट (Suicide Note) छोड़ा है जिसमें उसने कुछ शिक्षकों द्वारा खराब प्रदर्शन को लेकर उसे अगली कक्षा में न भेजने की धमकी देने की बात लिखी है।
आयोग अध्यक्ष केवी मनोज कुमार (KV Manoj Kumar) और सदस्य केके शाजू (KK Shaju) ने मृत छात्रा के घर और स्कूल का दौरा किया है। उन्होंने स्थानीय पुलिस (Police), जिला बाल संरक्षण इकाई (District Child Protection Unit) और स्कूल प्रबंधन (School Management) से रिपोर्ट मांगी है। यह घटना शिक्षा व्यवस्था और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर एक गंभीर चिंता पैदा करती है।
इन दोनों घटनाओं ने समाज को झकझोर कर रख दिया है। मानसिक स्वास्थ्य, समर्थन प्रणाली और भावनात्मक सहायता की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महसूस की जा रही है। ऐसे मामलों में परिवार, समाज और संस्थाओं को संवेदनशीलता के साथ आगे आना होगा।