Russia-Ukraine War के बीच अमेरिका से एक ऐसा बयान आया है जिसने पूरी दुनिया में खलबली मचा दी है। अमेरिका के राष्ट्रपति Donald Trump जहां युद्ध खत्म करना चाहते हैं, वहीं उनकी अपनी खुफिया चीफ ने रूस की असली ताकत की पोल खोलकर रख दी है।
अमेरिका की ‘डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस’ तुलसी गबार्ड ने दावा किया है कि रूस के पास यूरोप पर हमला करने की क्षमता ही नहीं है। उन्होंने पश्चिमी देशों और मीडिया के उस दावे को ‘डर का व्यापार’ बताया है, जिसमें कहा जा रहा था कि पुतिन पूरे यूरोप पर कब्जा करना चाहते हैं।
यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग में अब अमेरिका ने एक नया और चौंकाने वाला मोड़ ला दिया है। यह दावा किसी और ने नहीं, बल्कि अमेरिका की खुफिया एजेंसियों की सबसे बड़ी अधिकारी तुलसी गबार्ड ने किया है। गबार्ड ने साफ शब्दों में कहा है कि रूस के पास न तो यूक्रेन को पूरी तरह जीतने की ताकत है और न ही वह यूरोप पर हमला करने की स्थिति में है। उन्होंने उन तमाम रिपोर्टों को खारिज कर दिया जो यह कह रही थीं कि रूस अगला हमला नाटो देशों या यूरोप पर करेगा।
‘डर की राजनीति’ और डीप स्टेट की चाल
तुलसी गबार्ड ने आरोप लगाया कि अमेरिका और पश्चिमी देशों में ‘डीप स्टेट’ और मीडिया का एक हिस्सा जानबूझकर झूठ फैला रहा है। उनका कहना है कि यह सब इसलिए किया जा रहा है ताकि युद्ध समर्थक नीतियों को सही ठहराया जा सके और सैन्य खर्च बढ़ाया जा सके। गबार्ड के मुताबिक, अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का आकलन बिल्कुल स्पष्ट है कि पुतिन की सेना में वह दम नहीं है जिसका प्रचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ये ताकतें राष्ट्रपति Donald Trump की शांति कोशिशों को कमजोर करना चाहती हैं, जो लगातार युद्ध रोकने की वकालत कर रहे हैं।
खुफिया रिपोर्ट और पुतिन का सच
हालांकि, वीडियो में रट्टर (Ruttar) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया गया है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के अंदर भी विरोधाभास है। कुछ खुफिया रिपोर्ट्स अभी भी चेतावनी दे रही हैं कि व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर कब्जा करने और पुराने सोवियत साम्राज्य को वापस पाने का सपना नहीं छोड़ा है। सितंबर की एक रिपोर्ट में यही बात कही गई थी। लेकिन गबार्ड इसे खारिज कर रही हैं। खुद पुतिन ने भी हाल ही में कहा था कि यूरोप पर हमले की बात सिर्फ बकवास है और यह पश्चिमी नेताओं द्वारा अपनी जनता को डराने के लिए फैलाई जा रही है।
फ्लोरिडा में गुप्त शांति वार्ता
युद्ध के शोर के बीच शांति की एक उम्मीद भी जगी है। फ्लोरिडा में अमेरिकी और रूसी अधिकारियों के बीच एक अहम बैठक हुई। रूस के विशेष दूत किरल दमित्र ने बताया कि उनकी बातचीत अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और ट्रंप के दामाद जेरेड कुशनर के साथ बहुत ही रचनात्मक रही। यह संकेत है कि पर्दे के पीछे युद्ध को रोकने के लिए गंभीर प्रयास चल रहे हैं।
इस्लामी विचारधारा पर चेतावनी
इस दौरान तुलसी गबार्ड ने ‘अमेरिका फेस्ट 2025’ में एक और गंभीर मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि Islamic कट्टरपंथ अमेरिका के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि जर्मनी में क्रिसमस बाजार बंद हो रहे हैं और अमेरिका में भी शरिया कानून की मांग उठने लगी है। युवाओं को रेडिकल बनाया जा रहा है, जो भविष्य के लिए एक बड़ी चुनौती है।
आम आदमी पर असर
इस खुलासे का सीधा मतलब यह है कि अगर रूस वास्तव में कमजोर है, तो पश्चिमी देशों द्वारा अरबों डॉलर के हथियार भेजना जनता के पैसे की बर्बादी हो सकती है। आम लोग महंगाई से जूझ रहे हैं और उनकी सरकारें एक ऐसे युद्ध के लिए पैसा पानी की तरह बहा रही हैं, जिसका आधार ही शायद झूठ पर टिका है। ट्रंप ने भी जेलेंस्की को चेतावनी दी है कि वे रूस से समझौता कर लें, वरना उनका देश बर्बाद हो जाएगा।
क्या है पूरा विवाद
पिछले कई महीनों से पश्चिमी मीडिया और नाटो देश यह माहौल बना रहे थे कि अगर यूक्रेन हारा, तो रूस रुकने वाला नहीं है और वह पूरे यूरोप पर चढ़ाई कर देगा। इसी डर के आधार पर यूक्रेन को भारी मदद दी जा रही थी। अब तुलसी गबार्ड के बयान ने इस पूरे नैरेटिव (Narrative) की धज्जियां उड़ा दी हैं, जिससे युद्ध का पूरा समीकरण बदलता दिख रहा है।
मुख्य बातें (Key Points)
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तुलसी गबार्ड का दावा- रूस के पास यूरोप पर हमले की ताकत नहीं।
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डीप स्टेट पर युद्ध को लंबा खींचने और डर फैलाने का आरोप।
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फ्लोरिडा में रूस और अमेरिका के दूतों के बीच हुई सकारात्मक बातचीत।
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गबार्ड ने अमेरिका में बढ़ते कट्टरपंथ को भी बड़ा खतरा बताया।






