अगले महीने अमेरिका के लोग दो आकर्षक खगोलीय घटनाएं देख सकेंगे। इसे सुपरमून कहा जाता है और इनमें से एक दुर्लभ ‘ब्लू मून’ होगा। चंद्रमा 16 अगस्त तक अर्द्ध-चंद्राकार आकार में होगा और 30 अगस्त को यह ब्लू मून के तौर पर दिखाई देगा। यह एक महीने में दूसरी बार फुल मून के रूप में दिखेगा।
1 अगस्त को अमेरिका के न्यूयॉर्क में सूर्यास्त 8:13 pm (BST) पर होगा और चंद्रमा 9:23 pm (BST) पर दिखेगा। फुल मून अपने चरम पर 6:33 pm (BST) पर होगा। लुनर साइकल को पूरा होने में लगभग 29.5 दिन लगते हैं। यह फुल मून से न्यू मून और वापस फुल मून में बदलता है। आमतौर पर, अधिकतर महीनों में केवल एक फुल मून होता है। ऐसा कम ही होता है कि जब समान महीने में दूसरा फुल मून सामने आए। ब्लू मून के प्रत्येक तीन वर्ष में एक बार दिखने की संभावना होती है। अगले महीने ब्लू मून दिखने के बाद इस नजारे को दोबारा मई 2026 में ही देखा जा सकेगा।
सुपरमून तब दिखता है जब चंद्रमा का ऑर्बिट इसे फुल मून के फेज के दौरान धरती के सबसे निकट लाता है। यह रात के समय आसमान पर कुछ बड़ा और चमकीला दिखता है। इस महीने भारत ने अपने मून मिशन चंद्रयान-3 को आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया था। इसके साथ भारत चंद्रमा की सतह पर अपने स्पेसक्राफ्ट को लैंड कराने वाला चौथा देश बन जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-3 के सफल लॉन्च के बाद देश की पहली ह्युमन स्पेस फ्लाइट गगनयान के लॉन्च की तैयारी शुरू कर दी है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केअमेरिका के दौरे के दौरान स्पेस से जुड़े कुछ समझौते किए गए थे।
चंद्रयान-3 का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग और रोविंग की देश की क्षमता को प्रदर्शित करना है। चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की सफलतापू्र्वक लैंडिंग के बाद रोवर बाहर आएगा और इसके चंद्रमा पर 14 दिनों तक कार्य करने की उम्मीद है। इस रोवर पर कई कैमरा से इमेजेज ली जा सकेंगी। ISRO के डायरेक्टर, S Somanath ने बताया था, “अगर सब कुछ ठीक रहता है तो चंद्रयान 23 अगस्त को लैंड करेगा। इस तिथि का फैसला चंद्रमा पर सूर्योदय के आधार पर किया गया है। हालांकि, अगर इसमें देरी होती है तो लैंडिंग को सितंबर में रखना होगा।”