चंडीगढ़,18 नवंबर (The News Air): राजधानी चंडीगढ़ में राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा एक सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें समाज के उन लोगों के जीवन पर चर्चा की गई जो हाशिए पर रहकर जीवन व्यतीत कर रहे हैं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय ने अपने संबोधन में हाशिए पर रहने वाले समुदायों, विशेष रूप से दिव्यांगजनों, बाल पीड़ितों और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं से ग्रस्त लोगों के लिए सामाजिक न्याय को आगे बढ़ाने में कानूनी सेवा प्राधिकरणों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।
इस सम्मेलन में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ की कानूनी सेवा प्राधिकरणों द्वारा जनता और हाशिए पर रहने वाले लोगों को न्याय तक सुगम पहुंच प्रदान करने में निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
उन्होंने उपस्थित प्रतिभागियों का स्वागत किया और कानूनी व्यवस्था और सामाजिक जरूरतों के बीच की खाई को पाटने के उद्देश्य से जेल सुधार और कानूनी साक्षरता अभियानों जैसी व्यापक पहलों का विवरण प्रस्तुत किया। अपने संबोधन में, उन्होंने मजबूत कानूनी सहायता विधियों के माध्यम से न्याय तक पहुंच बढ़ाने और कानूनी प्रक्रियाओं में दक्षता व पहुंच को सुधारने के लिए क्यूआर कोड जैसी तकनीकों की शुरूआत पर जोर दिया।
इन्होंने भी लिया सम्मेलन में हिस्सा
इस कार्यक्रम में न्यायमूर्ति भूषण आर. गवई, न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय और कार्यकारी अध्यक्ष, राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत, न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय, न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय, न्यायमूर्ति ताशी राबस्तान, मुख्य न्यायाधीश, जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख उच्च न्यायालय विशेष तौर पर पहुंचे। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने अपने विस्तृत भाषण में हिमाचल प्रदेश में चल रही बहुआयामी कानूनी पहलों के बारे में जानकारी दी।