Akhilesh Yadav Vande Mataram Speech: संसद के शीतकालीन सत्र में उस वक्त सन्नाटा पसर गया जब समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने ‘वंदे मातरम’ के 150वें वर्ष पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष पर तीखे बाण चलाए। कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव ने भाजपा को ‘राष्ट्रवादी’ मानने से इनकार करते हुए उन्हें ‘राष्ट्र-विवादी’ करार दिया। उन्होंने साफ कहा कि जो लोग आज वंदे मातरम की बात कर रहे हैं, उन्होंने आजादी के आंदोलन में क्या भूमिका निभाई थी, इसका इतिहास खंगाला जाना चाहिए।
सदन में जब प्रधानमंत्री और अन्य नेता वंदे मातरम के गौरवशाली इतिहास पर बात कर रहे थे, तब अखिलेश यादव ने चर्चा का रुख मोड़ते हुए भाजपा की विचारधारा और इतिहास पर सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय को याद करते हुए कहा कि सत्ता पक्ष उन महापुरुषों और चीजों को अपनाना (Own) चाहता है, जो असल में उनकी हैं ही नहीं।
‘भाजपा के गठन और सेकुलरिज्म पर सवाल’
अखिलेश यादव ने भाजपा को उनका पुराना इतिहास याद दिलाते हुए कहा कि जब मुंबई में इस पार्टी का गठन हो रहा था, तब इस बात पर लंबी बहस चली थी कि पार्टी ‘सेकुलर’ और ‘सोशलिस्ट’ रास्ते पर जाएगी या नहीं। उन्होंने तंज कसते हुए पूछा, “आज आप कितने सेकुलर हैं? आज आप कितने सोशलिस्ट हैं?” उन्होंने इंडिगो फ्लाइट्स का जिक्र करते हुए कहा कि हवाई जहाज उड़ाए नहीं जा रहे, जबकि वादा था कि गरीब भी उसमें चलेगा।
‘ये दरारवादी लोग हैं’
सपा अध्यक्ष ने अपने भाषण में सबसे बड़ा हमला तब बोला जब उन्होंने कहा कि वंदे मातरम ने आजादी के आंदोलन में सबको जोड़ा था, लेकिन आज के ‘दरारवादी’ लोग उसी गीत का इस्तेमाल देश को तोड़ने के लिए कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “वंदे मातरम सिर्फ गाने के लिए नहीं, निभाने के लिए भी होना चाहिए।” अखिलेश ने आरोप लगाया कि कुछ लोग अंग्रेजों की तरह ‘डिवाइड एंड रूल’ (फूट डालो और राज करो) की नीति अपना रहे हैं।
‘राष्ट्रवादी नहीं, राष्ट्र-विवादी हैं’
अखिलेश यादव ने भाजपा के राष्ट्रवाद पर सीधा प्रहार करते हुए कहा, “दरअसल ये राष्ट्रवादी नहीं, बल्कि राष्ट्र-विवादी लोग हैं। जहां विवाद करना हो, ये वहां पहुंच जाते हैं।” उन्होंने इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि आजादी के दीवानों के खिलाफ कुछ लोग अंग्रेजों के लिए जासूसी और मुखबिरी का काम करते थे। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि उन ‘मुखबिरों’ से पूछा जाना चाहिए कि स्वतंत्रता के बाद भी उन्होंने वंदे मातरम को अपना गीत क्यों नहीं बनाया और तिरंगा क्यों नहीं फहराया?
‘दो शब्द ही काफी हैं’
वंदे मातरम गाने को लेकर होने वाले विवाद पर अखिलेश ने बहुत ही मार्मिक बात कही। उन्होंने कहा कि एक सच्चे भारतीय के अंदर देश प्रेम जगाने के लिए वंदे मातरम के दो शब्द ही काफी हैं, चाहे उसे पूरा गीत याद हो या न हो। उन्होंने कहा कि यह गीत किसी पर थोपने या दबाव बनाने का जरिया नहीं होना चाहिए। उन्होंने अयोध्या का जिक्र करते हुए कहा कि यूपी के लोगों ने कम्युनल पॉलिटिक्स का अंत वहीं कर दिया है, जहां से इसे शुरू किया गया था।
‘भीमराव अंबेडकर की तस्वीर और यूपी के स्कूल’
अपने भाषण के अंत में अखिलेश ने भाजपा पर अवसरवाद का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब सपा और बसपा ने मिलकर यूपी में इन्हें हराया, तब से ये लोग बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीर लगाने लगे, उससे पहले ये कभी उनकी तस्वीर नहीं लगाते थे। उन्होंने यूपी में 26,000 प्राइमरी स्कूल बंद होने और बच्चों पर मुकदमे दर्ज होने की तुलना अंग्रेजों के शासनकाल से की।
जानें पूरा मामला
संसद में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ की रचना के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष चर्चा हो रही थी। इस दौरान पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने अपनी बात रखी। जहां पीएम मोदी ने इसे आजादी का मंत्र बताया, वहीं अखिलेश यादव ने इस मौके का इस्तेमाल भाजपा की राजनीतिक विचारधारा और ऐतिहासिक भूमिका पर सवाल उठाने के लिए किया। उनका यह भाषण अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
मुख्य बातें (Key Points)
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अखिलेश यादव ने भाजपा को ‘राष्ट्रवादी’ के बजाय ‘राष्ट्र-विवादी’ कहा।
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उन्होंने पूछा कि आजादी के बाद इन लोगों ने तिरंगा क्यों नहीं फहराया?
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अखिलेश ने कहा कि वंदे मातरम देश को जोड़ने वाला गीत है, तोड़ने वाला नहीं।
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उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा महापुरुषों को ‘हाइजैक’ करने की कोशिश करती है।
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यूपी में स्कूल बंद करने की तुलना अंग्रेजों के जुल्म से की।






