Ambedkar Poster Controversy : Ambedkar Poster Controversy के चलते उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में एक नया सियासी घमासान खड़ा हो गया है, जहां समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के दफ्तर पर लगे होर्डिंग में डॉ. भीमराव अंबेडकर (Dr. B. R. Ambedkar) की आधी फोटो को काटकर उसमें अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की फोटो जोड़ दी गई। इस घटनाक्रम के बाद उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग (SC-ST Commission) ने सख्त रुख अपनाते हुए लोहिया वाहिनी (Lohia Vahini) के नेताओं पर एफआईआर (FIR) दर्ज करने का आदेश जारी कर दिया है।
आयोग के अध्यक्ष बैजनाथ रावत (Baijnath Rawat) ने इस विवादास्पद पोस्टर को अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय के प्रति अपमानजनक करार दिया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि यह न केवल बाबा साहेब डॉ. आंबेडकर का अपमान है, बल्कि करोड़ों दलितों की भावनाओं को ठेस पहुँचाने जैसा कृत्य है। आयोग ने पुलिस प्रशासन को निर्देश दिया है कि मामले में 5 मई तक रिपोर्ट सौंपकर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
इस विवाद को लेकर भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party – BJP) ने प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर जोरदार प्रदर्शन किया। भाजपा नेताओं ने इस पोस्टर को डॉ. आंबेडकर के सम्मान के विरुद्ध बताया और इसे हटाने तथा दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। बीजेपी ने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी ने जानबूझकर बाबा साहेब की छवि धूमिल करने की कोशिश की है।
राज्यसभा सांसद बृजलाल (Brijlal) ने सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि अखिलेश यादव की तस्वीर को आंबेडकर के साथ जोड़कर उन्हें बराबरी पर दिखाने का प्रयास करना बेहद निंदनीय है। उन्होंने यह भी बताया कि यही विवादित चित्र लोहिया वाहिनी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने अखिलेश यादव को भेंट स्वरूप भी दिया है, जो इस पूरे कृत्य की गंभीरता को और बढ़ाता है।
भाजपा नेताओं ने पूर्व की घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि सपा का रवैया हमेशा से दलित विरोधी रहा है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि अखिलेश यादव इस अपमान के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगें। इस पूरे विवाद के चलते राज्य की राजनीति में एक बार फिर दलित सम्मान और बाबा साहेब के मुद्दे पर गरमागरमी बढ़ गई है।