Puja Mantra Importance: हिन्दू धर्म के लोग सूर्य देव की नियमित पूजा करते हैं, लेकिन रविवार के दिन सूर्य.देव की पूजा करने का विशेष महत्व है. सूर्य देव को खुश करने के लिए एक लोटा जल ही काफी है. सूर्य देव को नियमित रूप से अर्घ्य देकर कई समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है. साथ ही कुछ उपाय से मान-सम्मान में वृद्धि, नौकरी में तरक्की और अनेक सफलता के द्वार खुल जाते हैं. पंडित राजेन्द्र तिवारी ने टीवी9 हिंदी डिजिटल से बातचीत में बताया कि किस काम के लिए सूर्य देव के इन मंत्रों में किसका जाप करना लोगों के लिए फायदेमंद रहेगा.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, अगर दिन की शुरुआत अच्छी हो तो पूरे दिन लोगों को शुभ फल प्राप्त होते हैं. इसलिए शास्त्रों में सुबह को अच्छा बनाने के लिए कई उपाय बताए गए हैं. इन्ही उपाय में से एक मंत्र का उच्चारण करना. अगर लोग सुबह उठते ही इन मंत्रों का जप करें तो भविष्य में न सिर्फ शुभ फल मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं बल्कि जीवन की सभी समस्याओं का अंत होता है और बुरा समय दूर होता है. इन मंत्रों के जप से लोगों का भाग्य साथ देने लगता है और आर्थिक समस्या का भी खत्म हो जाती हैं.
इन मंत्रों का करें जाप
1. ॐ हृां मित्राय नम: अगर आप अच्छी सेहत पाना चाहते हैं और चाहते हैं कि आपकी कार्य करने की क्षमता बढ़ जाए, तो आप सूर्य देव के पहले मंत्र का जाप उन्हें अर्घ देते समय नियमित रूप से करें.
2. ॐ हृीं रवये नम: अगर आप क्षय व्याधि से परेशान हैं और अपने शरीर का रक्त संचार ठीक करना चाहते हैं, तो सूर्य देव के सामने खड़े होकर इस मंत्र का जाप करें. इससे कफ आदि से जुड़े रोग भी दूर होते हैं.
3. ॐ हूं सूर्याय नम: मानसिक शांति के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए. इससे बुद्धि में भी वृद्धि होती है.
4. ॐ ह्रां भानवे नम: मूत्राशय से जुड़ी समस्याओं के लिए आप इस मंत्र का जाप कर सकते हैं.
5. ॐ हृों खगाय नम: मलाशय से संबंधित समस्या के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए. इसके जाप से बुद्धि का विकास होता हैं और शरीर का बल भी बढ़ता है.
6. ॐ हृ: पूषणे नम: आप अपना बल और धैर्य बढ़ाना चाहते हैं, तो इस मंत्र का जाप करें. इससे मनुष्य का मन धार्मिक कर्मों में भी लगता है.
किसके लिए कौन का मंत्र करेगा काम?
इस तरह करें सभी देवों को दर्शन : कराग्रे वसते लक्ष्मी: कर मध्ये सरस्वती । कर मूले तू गोविंदा, प्रभाते कर दर्शनम ।। सुबह सबसे पहले दोनो हथेलियों को जोड़कर देखें फिर इस मंत्र का जप बिस्तर पर ही बैठकर कर सकते हैं. अर्थ : हथेली के सबसे आगे वाले भाग में देवी लक्ष्मी, मध्य वाले भाग में मां सरस्वती का निवास है तथा मूल भाग में परमबह्मा गोविंद का निवास होता है. सुबह उठकर हथेलियों के दर्शन करने से इन सभी के दर्शन होते हैं.
निरोगी काया के लिए मंत्र
सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वित: । मनुष्यों मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय ।। अर्थ : हे देवी मां मुझे सौभाग्य और आरोग्य दो. परम सुख दो, रूप दो, जय दो, यश दो और काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो.
मान-सम्मान के लिए मंत्र
सर्वमंगल मांगल्यै शिव सर्वाथ साधिक । शरण्ये त्रयम्बके गौरि नरायणि नमोऽस्तु ते ॥ अर्थ : हे मां भगवती नारायणी! तुम सब प्रकार का मंगल प्रदान करने वाली मंगलमयी हो. कल्याण दायिनी शिवा हो. सब पुरुषार्थो को सिद्ध करने वाली, शरणागत वत्सला, तीन नेत्रों वाली एवं गौरी हो. तुम्हें नमस्कार है, तुम्हे नमस्कार है, तुम्हे नमस्कार है.
निरंतर धन प्राप्ति के लिए मंत्र
सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वित: । मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यतिं न संशय: ।। अर्थ : हे मां, मनुष्य को तुम्हारे प्रसाद से सब बाधाओं से मुक्त मिलेगी तथा धन, धान्य एवं पुत्र से संपन्न होगा- इसमें तनिक भी संदेह नहीं है.
शत्रु के नाश करने के लिए मंत्र
ॐ ह्रीं लृी बगलामुखी मम् सर्वदुष्टानाम वाचं मुखं पदं। स्तंभय जिव्हां कीलय बुद्धिम विनाशय ह्रीं लृी ॐ स्वाहा।। अगर आप लगातार शत्रुओं से परेशान हैं आप इस मंत्र को कम से कम 10 हजार बाप जप करें. वहीं अगर कोई बड़ी बाधा हो, जिसमें जीवन-मरण का प्रश्न है तो कम से कम एक लाख बार इस मंत्र का जप करें. ऐसे व्यक्ति को हमेशा सफलता प्राप्त होती है. हर वाद-विवाद में उसकी विजय होती है.
विद्या प्राप्ति के लिए मंत्र
विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा: स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु। त्वयैकया पूरितमम्बयैतत् का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्तिः॥ अर्थ : देवि! विश्व की संपूर्ण विद्याएं तुम्हारे ही भिन्न-भिन्न स्वरूप हैं. जगत् में जितनी स्त्रियां हैं, वे सब तुम्हारी ही मूर्तियां हैं. जगदम्बे! एकमात्र तुमने ही इस विश्व को व्याप्त किया हुआ है. तुम्हारी स्तुति क्या हो सकती है? तुम तो स्तवन करने योग्य पदार्थो से परे हो. इस मंत्र के जप मां सरस्वती प्रसन्न होती हैं और विद्या का आशीर्वाद देती हैं.
कर्ज मुक्ति के लिए मंत्र
ओम गं ऋणहर्तायै नम: अथवा ओम छिन्दी छिन्दी वरैण्यम् स्वाहा। अर्थ : कर्ज से मुक्ति दिलाने वाले भगवान गणेश को मेरा नमस्कार। यह ऋणहर्ता है, इसके हर रोज जप से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति का कर्ज धीरे-धीरे चुकता हो जाता है. साथ ही बाद में आपको कर्ज की नौबत ही नहीं आएगी.