वराह अवतार, नेम प्लेट विवाद पर SC के फैसले के बाद अब कौन सा नया नियम UP में होगा लागू?

0

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच कांवड़ रूट में पहचान बताने पर देश की सबसे बड़ी अदालत ने रोक लगा दी है। अब इस फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका भी दायर की गई है। याचिकाकर्ता सुरजीत सिंह यादव ने कहा कि यह आदेश शिव भक्तों की सुविधा और आस्था के लिए जारी किया गया था। वहीं इन सब के बीच अब हिंदू संगठन नया फॉर्मूला लेकर आए हैं। मुजफ्फरनगर में योग साधना आश्रम के महंत यश्वीर महाराज ने अब दुकानदारों से अपील की है कि वो अपनी दुकानों पर हिंदू धर्म के प्रतीक लगाएं ताकी कांवड़ियों को पहचानने में आसानी हो। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज इसके लिए बाध्य नहीं है। मेरा अपने सभी सनातन धर्म के मानने वालों से कहना है कि जहां भी आपका होटल, ढाबा, मिठाई की दुकान, चाय, जूस या फलों की दुकान है उस पर अपना और अपने पिता का मोटे अक्षरों में नाम लिखो। अपने आधार कार्ड की कॉपी लगाओ और उस पर भगवे रंग में ऊं का ध्वज लगाओ और भगवान वराह का चित्र लगाओ।

महंत का दावा है कि उनके इस अभियान से हिंदू समुदाय के लोगों को शुद्ध और सात्विक खाना मिल पाएगा और उनका धर्म भ्रष्ट होने से बच जाएगा। महंत का कहना है कि जिस दुकान पर खाने का सामान मिलता है वहां भगवान वराह का चित्र है तो आप वहीं भोजन करें और वहीं खाएं। भगवान वराह की तस्वीर जहां भी हो वहां भोजन में थूकने या गौ मांस डालने का घृणित कार्य नहीं होगा। कुछ दुकानदारों  की तरफ से भी इस मुहिम का समर्थन किया जा रहा है और भगवान की चित्र को दुकानों पर लगाया जा रहा है।

सावन के पहले सोमवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा फैसला सुनाया जिसने लाखों कांवड़ियों को हैरान कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार के एक बड़े फैसले पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों द्वारा पारित निर्देशों पर अंतरिम रोक लगा दी, जिसमें कहा गया था कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजनालयों को मालिकों के नाम प्रदर्शित करने होंगे। योगी का ये फैसला इसलिए आया था क्योंकि कई दुकान, ढाबे और होटल मिले जिनके नाम तो हिंदू थे लेकिन मालिक मुसलमान। योगी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अंतरिम आदेश जारी करते हुए कहा कि दुकानदारों सिर्फ खाने का प्रकार बताने की जरूरत है। यानी शाकाहारी है या मांसाहारी वो बताने की जरूरत होगी।  मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी। यानी फिलहाल असली पहचान और नाम छुपाकर दुकान और ठेला चलाया जा सकता है।

0 0 votes
Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments