The News Air- जालंधर पावरकाॅम अक्सर उपभोक्ताओं को परेशानी देने को लेकर चर्चा में रहता है। अब ‘एन’ कोड यानी औसत के हिसाब से बिल कम होने लगे हैं तो ‘आई’ कोड लगाकर बिल जारी किए जा रहे हैं। इसका मतलब है कि मीटर की रीडिंग नहीं ली गई है। विभाग के मीटर रीडर रीडिंग लेने नहीं जा रहे, जिस कारण लोगों को ‘आई’ कोड बिल जारी हो रहे हैं।
नतीजा- लोगों के बिल रुटीन के हिसाब से भी ज्यादा आ रहे हैं और उन्हें ठीक करवाने के लिए दफ्तरों में लाइनें लग गई हैं। उपभोक्ता एप्लीकेशन लेकर पहुंच रहे हैं और उन्हें यह कहकर वापस भेजा जा रहा है कि 31 मार्च के बाद बिल अपने आप ठीक हो जाएंगे। वहीं, यह भी सलाह दी जा रही है कि ज्यादा बिल आ गया है तो कोई बात नहीं, जमा करवा दीजिए- अगले बिल में एडजस्ट हो जाएगा।
लोग बोले- पिछले साल के हिसाब से भेज देते हैं बिल
बूटा मंडी माॅडल टाउन डिवीजन में बिल जमा करवाने आई सीमा ने बताया कि उनका बिल अधिक आया तो वे दफ्तर में चेक करवाने गईं। पता लगा कि ‘आई’ कोड लगाकर बिल भेजा गया है। कर्मचारी ने समझाया कि रीडिंग नहीं ली गई। कमरा नंबर-8 में ऐसे कई उपभोक्ता थे, जिनका बिल ‘आई’ कोड लगकर आया हुआ था।
मोबाइल पर भेजे जा रहे कोड लगे हुए बिल
प्रताप बाग बिजली घर में बिल ठीक करवाने आए सन्नी सहोता ने बताया कि 3 बार उनका बिल मोबाइल पर भेजा गया। इस बार बिल ज्यादा आया तो दफ्तर में जाकर चेक करवाया तो पता लगा कि पिछले बिल एन कोड के हिसाब से जारी हुए थे और इस बार आई कोड के हिसाब से तीन गुना बिल आया है।
गलत बिल आए तो ऐसा करें उपभोक्ता
‘एन’ कोड का बिल आया है तो एप्लीकेशन लिखें कि बिल अधिक आया है और उसे ठीक किया जाए। मीटर की एक फोटो और एक मिनट की वीडियो साथ ले जाएं। अगर किसी उपभोक्ता का ‘आई’ कोड का बिल आया है तो संबंधित अधिकारी से संपर्क करें। यह बिल मौके पर ही ठीक हो जाता है।
बिल रिवर्स करवा दिए गए- एक्सईएन
‘आई’ कोड लगे बिल जेनरेट होने के संबंध में एक्सईएन दविंदर पाल सिंह ने कहा कि गलत रीडिंग लेने के कारण ही उपभोक्ता को ‘आई’ कोड के बिल जेनरेट हो गए। उन्हें आज ही के दिन रिवर्स करवा दिया गया है। उपभोक्ताओं की शिकायतों का निपटारा तकरीबन कर दिया गया है।