- मुख्यमंत्री भगवंत मान दृढ़ निश्चय क्यों नहीं दिखा सकते और आरोपियों को अमेरिका में गिरफ्तार कर भारत प्रत्यर्पित क्यों नहीं करा सकते ताकि यहां की अदालत का सामना किया जा सके?: विपक्ष के नेता
जालंधर, 20 अप्रैल (The News Air) पंजाब में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने गुरुवार को आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार पर दिवंगत पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला के परिवार को न्याय सुनिश्चित करने के लिए गंभीर प्रयास नहीं करने का आरोप लगाया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने बताया कि मूसेवाला की निर्मम हत्या के आरोपियों में से एक अनमोल बिश्नोई, जो कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का भाई भी है, को अमेरिका में एक शादी समारोह में नाचते हुए देखा गया था। कुछ हफ्ते पहले जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई ने जेल से एक निजी न्यूज चैनल को इंटरव्यू दिया था।
विपक्ष के नेता ने न्याय दिलाने में पंजाब सरकार की गंभीरता पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘यह शुभदीप सिंह सिद्धू के असहाय माता-पिता के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है, जो अपने मारे गए बेटे को न्याय दिलाने के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं, जबकि अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘अब यह पता चल चुका है कि अनमोल बिश्नोई अमेरिका में हैं। इससे पहले मुख्यमंत्री मान ने इसी मामले के एक अन्य आरोपी गोल्डी बरार की अमेरिका में गिरफ्तारी का दावा किया था, जो बाद में झूठी निकली। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान दृढ़ निश्चय दिखाते हुए दोनों आरोपियों को अमेरिका में गिरफ्तार क्यों नहीं करा सकते और फिर उन्हें भारत को सौंपकर यहां की अदालत का सामना क्यों नहीं कर सकते?
पंजाब सरकार ने एक निजी समाचार मंच पर लॉरेंस बिश्नोई के साक्षात्कार की जांच के लिए एंटी ड्रग स्पेशल टास्क फोर्स के विशेष डीजीपी कुलदीप सिंह की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। समिति को 12 अप्रैल तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी। इसकी समय सीमा समाप्त हुए लगभग एक सप्ताह हो गया है, और पंजाब सरकार ने अभी तक जांच के निष्कर्षों को सार्वजनिक नहीं किया है।
कादीआं से विधायक बाजवा ने कहा कि गैंगस्टर बिश्नोई जेल से साक्षात्कार की जांच पुलिस और जेल अधिकारियों से कराना मामले को ठंडे बस्ते में डालने जैसा है। बिश्नोई का साक्षात्कार जेल से प्रसारित करने के आरोपों का सामना कर रहे पुलिस और जेल प्रशासन से निष्पक्ष जांच की उम्मीद कैसे की जा सकती है? सरकार को न्यायपालिका की अध्यक्षता वाली एक स्वतंत्र और निष्पक्ष समिति से मामले की जांच करानी चाहिए।