The News Air- (चंडीगढ़) अकाली दल और भाजपा में फिर गठबंधन हो सकता है। लोकसभा चुनाव से पहले इसकी संभावना बनी हुई है। पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) को रोकने के लिए यह प्लानिंग की जा रही है। हालांकि दोनों पार्टियां खुले तौर पर कुछ नहीं कह रही हैं। अकाली दल के वरिष्ठ नेता बलविंदर सिंह भूंदड़ ने जरुर इसके संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि इसकी संभावना जरुर है लेकिन पक्का नहीं कह सकता। पंजाब में लोकसभा की 13 सीटें हैं, ऐसे में लगातार दूसरी बार सत्ता से बाहर हुए अकाली दल के आगे पार्टी कैडर को बनाए रखने का भी संकट पैदा हो गया है।
चुनाव से इशारा, साथ रहते तो 9 सीटें जीत जाते
पंजाब चुनाव में इस बार अकाली दल की बुरी हार हुई। वह सिर्फ़ 3 ही सीटें जीत सके। भाजपा भी 2 सीटें जीती। हालांकि अगर हार-जीत के लिहाज़ से वोटों का आंकड़ा देखें तो 9 सीटें ऐसी थी, जिनमें यह गठबंधन जीत सकता था। वहाँ भाजपा और अकाली उम्मीदवार के वोट मिलाकर विजेता से ज़्यादा था। इनमें बलाचौर, डेरा बाबा नानक, डेरा बस्सी, गढ़शंकर, गुरदासपुर, जालंधर कैंट, जालंधर सेंट्रल, लुधियाना सेंट्रल और सुजानपुर की सीटें हैं। इनमें से 4 कांग्रेस और 5 आप ने जीती।
बादल फैमिली की हार से अकाली दल की हालत खस्ता
पंजाब की क्षेत्रीय पार्टी अकाली दल की हालत इस बार खस्ता हुई है। वह लगातार दूसरे टर्म सत्ता से बाहर हो गए। वहीं सबसे अहम बात बादल परिवार की हार रही। 5 बार के सीएम प्रकाश सिंह बादल अपने गढ़ लंबी से हार गए। सुखबीर बादल को भी जलालाबाद से हार मिली। बिक्रम मजीठिया अमृतसर ईस्ट से हार गए। कई अकाली दिग्गजों को भी नए उम्मीदवारों ने हरा दिया।
कृषि क़ानूनों पर तोड़ा था गठबंधन
अकाली दल ने कृषि क़ानूनों को लेकर भाजपा से गठबंधन तोड़ा था। पहले सुखबीर बादल की सांसद पत्नी हरसिमरत कौर बादल ने केंद्र सरकार से इस्तीफ़ा दिया। इसके बाद सुखबीर ने गठबंधन तोड़ दिया। हालांकि अब कृषि क़ानून वापस हो चुके हैं। किसान आंदोलन भी ख़त्म हो चुका है। अकाली दल को किसी बड़ी पार्टी के सहारे की ज़रूरत है, वहीं भाजपा को पंजाब में सिखों से नज़दीकी बढ़ाने के लिए आसरा चाहिए। ऐसे में इनकी क़रीबी बढ़ सकती है।